Shri Shringa Rishi Temple Kullu: पहाड़ी शैली की मनमोहक रचना श्रृंगा ऋषि मंदिर, दिलचस्प है इतिहास
punjabkesari.in Monday, Nov 04, 2024 - 02:37 PM (IST)
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Shri Shringa Rishi Temple Kullu, Himachal Pradesh: यूं तो समस्त हिमाचल प्रदेश देव भूमि के नाम से विख्यात है, राज्य के विशेषकर कुल्लू जिले में अनेक देवी-देवताओं का वास है। शायद ही कोई गांव हो जहां के लोग अपने क्षेत्र के देवी-देवताओं के प्रति आस्था न रखते हों। क्षेत्र में कुछ देवी-देवताओं की अधिक मान्यता है, उनमें बंजर क्षेत्र के प्रमुख देवता श्रृंगा ऋषि भी शामिल हैं जिनका मूल स्थान व तपोस्थली सकीरन कंडा व भव्य मंदिर बागी गांव में है।
बागी मंदिर की सुंदरता यहां की शांति और सांस्कृतिक मासूमियत में निहित है जो आपको इस मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ने वाले हर कदम पर प्रेरित करती है। मंदिर की सुंदरता चार छतों वाली पहाड़ी शैली में मनमोहक रचना में निहित है। गहन इतिहास के साथ बागी गांव में श्रृंगा ऋषि मंदिर सुंदर गहने के रूप में सुशोभित है और यहां लकड़ी का कार्य देखने योग्य है। मंदिर के इतिहास के विषय में जब हमने जानना चाहा तो देवता के पुजारी हेम राज ने हमें विस्तार से जानकारी प्रदान की कि उनके परिवार से ही अभी तक देवता की पूजा करते आए हैं।
How did this name Baghi come about? यह नाम बागी कैसे पड़ा ?
बताते हैं, यहां बागेश्वरी माता जो मां सरस्वती का रूप है, ने हजारों सालों तक तप किया था। माता बागेश्वरी के ही नाम से यहां का नाम बागी पड़ा। देवलोक से दैवीय शक्तियां यहां आती थीं व नाच-गाना करती थीं। बताते हैं कि एक बार एक दैवीय शक्ति के पांव का घुंघरू यहां के साथ लगते गांव में गिर गया था, जिस कारण गांव का नाम ही घुंघराली पड़ गया। इस गांव में सभी ब्राह्मण परिवार ही रहते हैं।
Story related to Shringa Rishi श्रृंगा ऋषि से जुड़ी कथा
पुजारी हेमराज ने बताया कि यह मंदिर विभाण्डक ऋषि के पुत्र श्रृंगा ऋषि को समर्पित है। कौषकी नदी के किनारे जिसका पुराणों में भी उल्लेख मिलता है, विभण्डक ऋषि स्नान किया करते थे। एक दिन जब विभण्डक ऋषि नदी में स्नान ध्यान कर रहे थे, उस समय अन्य जीव-जंतु वहां पानी पीने आ गए, जैसे उन्होंने आंखें खोलीं, तो उन्होंने कुछ अप्सराएं स्नान करती देखीं तो उनका तप पानी में बह गया, वह श्रापित मशंगी ने पी लिया और वह गर्भवती हो गई। तब वह विभाण्डक ऋषि के आश्रम के पास रहने लगी। जैसे ही उसने बच्चे को जन्म दिया, वह श्राप मुक्त हो गई व पुन: देव कन्या बन गई और बच्चे को आश्रम के पास छोड़ कर देवलोक चली गई। तब विभाण्डक ऋषि को बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी, फिर विभाण्डक ऋषि ने उसका पालन-पोषण करना शुरू किया। बच्चे के सिर में एक सींग था, जिस कारण इनका नाम श्रृंगी ऋषि पड़ा। विभाण्डक ऋषि जब उनका पालन-पोषण कर रहे थे, तो वह तीव्र गति से बड़े होते गए।
आश्रम के साथ में एक रोमपाल (रोमपद) राजा की अंग नामक रियासत थी। वहां भयंकर सूखा पड़ा हुआ था। लगभग 12 वर्ष से वहां वर्षा नहीं हुई थी। तब ज्योत्षियों ने कहा कि श्रृंगा ऋषि के आने से राज्य में वर्षा हो सकती है। राजा रोमपाल ने अप्सराएं वहां भेजीं व उन्हें यह कहा गया कि आप विभाण्डक ऋषि के आश्रम से श्रृंगा ऋषि को ले आओ परन्तु जब विभाण्डक ऋषि वहां पर न हों।
अप्सराओं ने मौका देखकर, जब विभाण्डक ऋषि नहा रहे थे, तब अप्सराएं श्रृंगी ऋषि को राजा रोमपाल के राज्य में ले गईं। जैसे ही श्रृंगा ऋषि राज्य में पहुंचे, वहां भारी वर्षा होने लगी और राज्य के लोग खुश हो गए। तब राजा ने प्रसन्न होकर अपनी पुत्री शांता का विवाह श्रृंगा ऋषि से कर दिया।
Relationship with Shri Ram, Laxman, Bharat and Shatrughna श्री राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न से संबंध
रोमपाल के राज्य के साथ राजा दशरथ का राज्य था। गुरु वशिष्ठ ने राजा दशरथ को कहा कि पुत्र प्राप्ति के लिए श्रृंगा ऋषि को अपने यहां लाएं। तब दशरथ रोमपाल के राज्य गए और श्रृंगा ऋषि व माता शांता को अपने राज्य ले गए और वहां पुत्र प्राप्ति यज्ञ किया गया फिर राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न पैदा हुए।
तब अयोध्या के राजा दशरथ ने श्रृंगा ऋषि को अपनी तपोस्थली के लिए रवाना किया। तब से यहां सकीरण जाने की परम्परा चल रही है।
Chahni Village चैहणी गांव
बागी के साथ के गांव कुठेड में एक ढाढू नामक रजवाड़ा रहता था। उसने चैहणी का किला बनाया था, जो बागी गांव से लगभग आधे घंटे की दूरी पर है। राजा ने अपनी पत्नी जिसका नाम चैनी था, के नाम से किले का नाम व गांव का नाम चैहणी रखा। लगभग 45 मीटर ऊंचे किले का निर्माण राजा ने वास्तव में सुरक्षा की दृष्टि से किया था। जब राजा ने श्रृंगा ऋषि का आदेश नहीं माना तो ऋषि ने राजा को नष्ट कर दिया था। इस स्थान को यदि शिमला की ओर से जाना हो तो आप नारकंडा लूहरी-आनी-जलोड़ी जोत होकर घियागी-जिभी से अपनी कार से पहुंच सकते हैं। आप आनी से ऊपर कमांद गांव पहुंचेंगे आपको कुदरत का अनमोल खजाना दिखना शुरू हो जाएगा। जैसे ही आप जलोड़ी जोत पहुंचेंगे, वहां का मनोहारी दृश्य आपको रुकने के लिए विवश करेगा।