इस एक सीख ने बदल डाली थी सुकरात की सोच, आप भी जानें

punjabkesari.in Friday, May 03, 2019 - 05:53 PM (IST)

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यूनान के महान दार्शनिक थे सुकरात। उनकी पत्नी काफी झगड़ालू थी। वह छोटी-छोटी बातों पर अमूमन सुकरात से लड़ती रहती थी लेकिन सुकरात हर समय शांत रहते। वास्तव में सुकरात की हर समय पढऩे की आदत पत्नी को ठीक नहीं लगती थी।

एक दिन सुकरात अपने कुछ शिष्यों के साथ घर आए तो पत्नी किसी बात पर उनसे नाराज हो गई। सुकरात ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया लेकिन वह ऊंची आवाज में सुकरात को भला-बुरा कहने लगी।
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इतना कुछ होने पर भी सुकरात कुछ नहीं बोले तो उनकी पत्नी ने बाहर से कीचड़ उठाकर सुकरात के मुंह पर डाल दिया।

सुकरात जोर से हंसे और  कहा, ‘‘तुमने आज एक पुरानी कहावत झुठला दी है। कहा

जाता है कि ‘जो गरजते हैं, बरसते नहीं’ लेकिन तुम गरजती भी हो और बरसती भी हो।’’

सभी शिष्य यह घटनाक्रम देख रहे थे। एक शिष्य ने सुकरात से पूछा, ‘‘आप यह सब कैसे सह लेते हैं?’’
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सुकरात बोले, ‘‘वह योग्य है, ठोकर लगा कर देखती है कि सुकरात कच्चा है या पक्का।

उसके इस व्यवहार से मुझे पता चलता है कि मेरे अंदर सहनशीलता है या नहीं। ऐसा करके वह मेरा भला ही कर रही है।’’

पत्नी ने जब ये शब्द सुने तो वह बहुत शॄमदा हुई। उसने

कहा, ‘‘मुझे क्षमा करें। आप देवता समान हैं, मैंने यह जानने में भूल की।’’
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उस दिन से पत्नी का व्यवहार बदल गया। वह शांत रहती और सुकरात के कार्यों में उनकी मदद करती। तात्पर्य यह कि सहनशीलता एक ऐसा गुण है, अगर इसे विकसित कर लिया जाए तो बड़ी से बड़ी मुश्किल दूर की जा सकती है।


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Jyoti

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