Motivational Concept: बाल गंगाधर तिलक का अनूठा राष्ट्रप्रेम

punjabkesari.in Tuesday, Mar 15, 2022 - 06:52 PM (IST)

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मुम्बई में आयोजित एक संगोष्ठी में देश-विदेश के अनेक विद्वान उपस्थित थे। विश्व की प्राचीन सभ्यता और वेद ज्ञान विषय पर विद्वान विचार व्यक्त कर रहे थे। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक भाषण देने खड़े हुए तो सभागार तालियों से गूंज उठा। उन्होंने भारतीय और पश्चिमी सभ्यता-संस्कृति की तुलना की। उपस्थित विद्वद्जन उनके तथ्यपूर्ण प्रभावी भाषण को सुनकर स्तब्ध रह गए। 
PunjabKesari, Bal Gangadhar Tilak, बाल गंगाघर तिलक, Dharm
भाषणों की समाप्ति के बाद संगोष्ठी के अध्यक्ष पारसी विद्वान ने कहा, ‘‘तिलक जी आप राजनीति की दलदल में क्यों फंस गए। आपकी अनूठी प्रतिभा तथा अध्ययन का उपयोग तो विद्वानों के लिए साहित्य सृजन के कार्य में होना चाहिए।’’
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तिलक जी ने उत्तर दिया, ‘‘भारत भूमि बांझ नहीं है किविद्वान पैदा होने बंद हो जाएंगे। मेरे जैसे अनेक विद्वान देश में हैं और आगे होते रहेंगे। इस समय अपने देश का नागरिक होने के नाते मेरा सर्वोपरि धर्म अपनी मातृभूमि को स्वाधीन कराने में सहयोग देना है, इसलिए मैं राजनीति में सक्रिय हूं।’’ 

पारसी विद्वान लोकमान्य तिलक के अनूठे राष्ट्रप्रेम को देखकर उनके समक्ष नतमस्तक हो गए।
 


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Content Writer

Jyoti

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