Motivational Concept: दूसरों के लिए गड्ढा खोदने वाले खुद उसमें...

punjabkesari.in Tuesday, Aug 03, 2021 - 11:04 AM (IST)

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सुनीता शादी करके ऐसे ससुराल में गई जहां न तो उसकी सुनने वाला कोई था और न ही कोई अपना या हमदर्द था। हर कोई उसे दबाने की कोशिश करता और वह चुपचाप सब सहती रहती और सबके काम भी करती रहती। फिर भी ननदें तथा देवर बिना बात उसके साथ लड़ते और बहुत तंग करते। ऊपर से पति भी ऐसे कि जैसे सब कुछ देख कर भी अनदेखा कर देते। वह जब भी ज्यादा परेशान होती, चुपचाप अपने कमरे में जा कर रो लेती। मायके जाती तो वहां भी किसी को कुछ न बताती लेकिन एक मां तो अपने बच्चे की रग-रग से वाकिफ होती है।

सुनीता की म मी ने भी अपनी बेटी का चेहरा देख कर ही जान लिया था कि बेटी ऊपर से खुश होने का दिखावा तो कर रही है लेकिन जो खुशी शादी के बाद लड़कियों के चेहरे पर होनी चाहिए वह नहीं दिख रही और शादी के पहले वाली चेहरे की चमक भी खो-सी गई है।

लेकिन उन्होंने अभी बेटी को ज्यादा कुरेदना ठीक नहीं समझा और उसे बोलीं, ‘‘देखो सुनीता बेटी... अन्याय करना अगर गलत है तो अन्याय सहना उससे भी ज्यादा गलत है। अगर तुम खुद पहले किसी का बुरा नहीं करते और अगर तु हारे साथ कोई गलत करे तो तु हें उसके खिलाफ भी खुद ही आवाज उठानी होगी।’’
सुनीता ने उनकी यह बात गांठ बांध ली।
अगली बार जब ननद-देवर ने उसके साथ गलत व्यवहार किया तो सुनीता को मन ही मन मां की बात याद करके जैसे हि मत आ गई।

वह उनसे बोली, ‘‘देखो मेरे साथ जो कोई भी कुछ गलत करता है, मैं उसका आगे से गलत तो नहीं करती न ही पलट कर जवाब देती हूं लेकिन अपनी झोली उल्टी करके झाड़ देती हूं और मन ही मन प्रभु से प्रार्थना करती हूं कि हे प्रभु जिसने मुझे जो दिया वह वापस उसी के पास चला जाए।’’

सुनीता की बात सुनकर सब सहम गए उसके बाद चाहे डर से ही सही सुनीता को उन सबके व्यवहार में काफी परिवर्तन दिखाई दिया। सच में जो दूसरों के लिए गड्ढा खोदते हैं खुद उसमें गिरने के नाम से ही कितना डरते हैं। —रीटा मक्कड़
 


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Content Writer

Jyoti

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