Muni Shri Tarun Sagar- दुख में रोना नहीं और सुख में सोना नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Apr 02, 2024 - 10:44 AM (IST)

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सबसे अच्छा वार-परिवार
परिवार एक माला के समान है, जिसके सभी मनके परिवार में एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं और इनको जोड़ने का कार्य आपसी प्रेम और विश्वास करता है। आपसी प्रेम और विश्वास जितने अधिक होंगे, परिवार का आधार उतना ही सुदृढ़ होगा। सात वार होते हैं, अगर सवाल किया जाए कि सबसे अच्छा वार कौन-सा है? तो मेरा जवाब होगा कि सबसे अच्छा वार है-परिवार।

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दुख तो आता ही है
दुख किसके जीवन में नहीं आता। गरीब हो या अमीर, संत हो या संसारी, छोटा हो या बड़ा, सबकी जिंदगी में दुख आता है। जिंदगी में सबको दुख का सामना करना पड़ता है। फर्क सिर्फ इतना है कि कोई दुख से निपट लेता है और किसी को दुख निपटा देता है। अगर आप मेरा कहा मानें तो मैं आपसे निवेदन करूंगा कि दुख में रोना नहीं और सुख में सोना नहीं। मतलब दुख में घबराना नहीं और सुख में इतराना नहीं।

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तुम मनुष्य हो 
दो बैल हैं। दोनों को एक साथ घास डाली जाती है। उनमें से एक बैल ऐसा होता है जो अपने सामने पड़ी घास नहीं खाता, बल्कि दूसरे की घास खाने लगता है। स्वयं की घास पर पैर रख रहा है और सामने वाले बैल को सींग मार रहा है। कुछ आदमी भी ऐसे ही होते हैं, जो दूसरों की सम्पत्ति पर नजर गड़ाए रहते हैं और उसे हड़पना चाहते हैं। मेरा कहना है तुम मनुष्य हो, मवेशी नहीं। अपनी घास खाओ, दूसरों की दूसरों को चरने दो।

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जागना होगा
जीना है तो जागना होगा। सिर्फ बिस्तर से उठ जाना, जागना नहीं है। जागने से तात्पर्य होश की जिंदगी जीना, भीतर की, हृदय की आंख खुलना है। क्रोध, पाप, अपराध और नशा सब बेहोशी की परिणति है। दुनिया कहती है कि आदमी शराब पीकर बेहोश हो जाता है, पर भगवान महावीर एक नई बात कहते हैं। वह कहते हैं कि शराब पीकर आदमी बेहोश नहीं होता, बल्कि बेहोश आदमी ही शराब पीता है।

 


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Content Writer

Niyati Bhandari

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