Motivational Concept- सेवा करने का आनंद

punjabkesari.in Saturday, Mar 27, 2021 - 04:53 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
एक बार आंधी और मंद वायु में भेंट हुई। आंधी ने अपनी शक्ति की प्रशंसा करते हुए कहा, ‘‘देखो मैं जब उठती हूं तो दूर-दूर तक लोगों में हलचल मच जाती है। मनुष्य अपने घरों में घुस जाते हैं। पशु-पक्षी जान बचाकर भागते हैं। बड़े-बड़े मकान और पेड़ों को बात की बात में तोड़-मरोड़ कर रख देती हूं, उस समय बाहर किसी की जुबान पर मेरी ही चर्चा होती है। क्या तुम मेरे जैसी शक्ति नहीं चाहती।’’

मंद वायु ने मुस्कुराकर कहा, ‘‘मुझे ऐसी शक्ति नहीं चाहिए। मुझे तो सेवा में ही बड़ा आनंद आता है। जब बसंत का सुखदायी संदेश लेकर बहती हूं तो नदी, तालाब, जंगल, खेत सभी मुस्कुराने लगते हैं। चारों ओर रंग-बिरंगे फूलों के गलीचे बिछ जाते हैं, सुगंध से दिशाएं सुविकसित हो उठती हैं।’’

आंधी से लोग डरते हैं और उसे बहुत समय तक याद रखते हैं। मंद वायु से प्रसन्न होते हैं और कुछ समय बाद उसे भूल भी जाते हैं, फिर भी आंधी और मलय मरुत की तुलना नहीं हो सकती। एक में शक्ति है दूसरी में सेवा। शक्ति एक तड़क-भड़क है, जो कुछ घड़ी में नष्ट हो जाती है। सेवा में सादगी है, पर उसकी जड़ अमरलोक में है। शक्ति डराती है, किंतु सेवा आनंद की सृष्टि करती है।

सेवा न हो तो यह दुनिया वीरान हो जाए। लोग सत्ता, शक्ति, शासन, पैसा, अधिकार चाहते हैं क्यों? इसलिए कि आंधी की तरह लोगों को डरा सकें अथवा प्रदर्शन कर सकें और अपने नाम की चर्चा सुन सकें। उन्हें जानना चाहिए कि इन वस्तुओं का मूल्य तूफानी आंधी जितना है। चाहने योग्य वस्तु तो सेवा है, जिससे अपने और दूसरों के हृदयों में प्रसन्नता की बीन बजने लगती है।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Recommended News

Related News