Meerabai Jayanti 2020: जन्म से लेकर श्री कृष्ण में समा जाने तक ऐसा था मीरा बाई के जीवन का सफर

punjabkesari.in Friday, Oct 30, 2020 - 05:35 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्रत्येक वर्ष शरद पूर्णिमा के दिन मीरा बाई जयंती का पर्व मनाया जाता है, जो इस बार 31 अक्टूूबर को मनाया जाएगा। अगर बात करें मीरा बाई की तो का जाता है इनका पूरा जीवन रहस्यों से भरा हुआ है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो इन्हें नहीं जानता होगा। क्योंकि कहा जाता है इन्हें जानने के लिए इनका श्री कृष्ण के प्रति समर्पण काफी है।  जी हां, इन्होंने अपना पूरा जीवन केवल श्री कृष्ण की भक्ति में बिताया। धार्मिक कथाओं में इनके बारे में जितना भी वर्णन मिलता है उससे यही पता चलता है कि इनकी लिए दुनिया के सारे रंग, रस फिके थे, अगर किसी में रस था तो वो सिर्फ श्री कृष्ण की भक्ति में व उनके नाम में। तो चलिए अगर आप इनके बारे में अच्छे से नहीं जानते, तो आपको बताते हैं इनके जीवन में जुड़ी कुछ ऐसी बातें जिनके माध्यम से आप मीरा बाई को अच्छे से समझ पाएंगे।
PunjabKesari,Punjab kesari, Dharam, Meera, Meera Bai, Meera Bai Jayanti 2020, Meera Bai Jayanti Special, मीरा बाई जयंती, मीरा बाई, Hindu Vrat Upvaas, Hindu Vrat Tyohar, Vrat This Year Calender, Festivals This Year Calender, हिन्दू त्यौहार
जोधपुर के मेड़वा राजकुल की इकलौती राजकुमारी थी मीरा बाई
अपने बचपन से ही श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन थी मीरा बाई
तुलसीदास जी के आदेश पर की थी श्री राम की भी भक्ति 
श्री कृष्ण की परम भक्त मीरा ने लिखे थे राम भजन
पायो जी मैंने राम रतन धन पायो, है सबसे प्रसिद्ध भजन  
मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ संपन्न हुआ था विवाह

मीराबाई जोधपुर, राजस्थान के मेड़वा राजकुल की राजकुमारी थीं। ये मेड़ता महाराज के छोटे भाई रतन सिंह की एकमात्र संतान थीं। कहा जाता है मीरा जब केवल दो वर्ष की थीं जब उनकी माता की मृत्यु हो गई। इसलिए इनके दादा राव दूदा उन्हें मेड़ता ले आए और अपनी देख-रेख में उनका पालन-पोषण किया। बता दें कि मीराबाई का जन्म 1498 के लगभग हुआ था।कुछ प्रसंगों के अनुसार मीरा बाई ने तुलसीदास को गुरु बनाकर रामभक्ति भी की। कृष्ण भक्त होने के बावजूद भी मीरा ने राम भजन भी लिखे हैं, हालांकि इसका स्पष्ट उल्लेख कहीं नहीं मिलता है। माना जाता है तुलसी दास के कहने पर मीरा ने कृष्ण के साथ ही रामभक्ति के भजन लिखे। इनमें से सबसे प्रसिद्ध भजन पायो जी मैंने राम रतन धन पाया है. जो आज के समय में भी लोगों द्वारा धार्मिक आयोजन में गाया जाता है। ऐसा कथाओं में वर्णन मिलता है कि मीराबाई का मन बचपन से ही कृष्ण-भक्ति में रम गया था।
PunjabKesari,Punjab kesari, Dharam, Meera, Meera Bai, Meera Bai Jayanti 2020, Meera Bai Jayanti Special, मीरा बाई जयंती, मीरा बाई, Hindu Vrat Upvaas, Hindu Vrat Tyohar, Vrat This Year Calender, Festivals This Year Calender, हिन्दू त्यौहार
मीराबाई के बालमन से ही कृष्ण की छवि बसी थी इसलिए यौवन से लेकर अपने अंतिम समय तक उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना था। पौराणिक कथाओं के अनुसार मीरा का कृष्ण प्रेम इनके बचपन की एक घटना की वजह से चरम पर पहुंचा था। जो इस प्रकार थी कि बाल्यकाल में एक दिन उनके पड़ोस में किसी धनवान व्यक्ति के यहां बारात आई थी। सभी स्त्रियां छत पर खड़ी होकर बारात देख रही थीं। मीराबाई भी बारात देखने के लिए छत पर आ गईं। बारात को देख मीरा ने पूछा कि मेरा दूल्हा कौन है इस पर मीराबाई को उपहास में ही भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति की तरफ़ इशारा करते हुए कह दिया गया कि यही तुम्हारे दूल्हा है जो बात उनके मन में समा गई तब से ही वे श्री कृष्ण को अपना पति समझने लगीं।

विवाह योग्य होने पर मीराबाई के घर वाले उनका विवाह करना चाहते थें, लेकिन मीराबाई श्रीकृष्ण को पति मानने के कारण किसी और से विवाह नहीं करना चाहती थी। मीराबाई की इच्छा के विरुद्ध जाकर उनका विवाह मेवाड़ के राजकुमार भोजराज के साथ कर दिया गया। परंतु विवाह के कुछ साल बाद ही मीराबाई के पति भोजराज की मृत्यु हो गई। पति की मौत के बाद मीरा को भी भोजराज के साथ सती करने का प्रयास किया गया, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं हुई। इसके बाद मीरा पहले वृंदावन और फिर द्वारिका में मीरा ने कृष्ण भक्ति की और जोगन बनकर साधु-संतों के साथ रहने लगीं।
PunjabKesari,Punjab kesari, Dharam, Meera, Meera Bai, Meera Bai Jayanti 2020, Meera Bai Jayanti Special, मीरा बाई जयंती, मीरा बाई, Hindu Vrat Upvaas, Hindu Vrat Tyohar, Vrat This Year Calender, Festivals This Year Calender, हिन्दू त्यौहार
धीरे-धीरे उनकी भक्ति बढ़ती गई। वे मंदिरों में जाकर श्रीकृष्ण की मूर्ति के सामने घंटो तक नाचती रहती। मगर मीराबाई की ऐसी कृष्ण भक्ति उनके पति के परिवार को अच्छी नहीं लगी। जिस कारण उनके परिजनों ने मीरा को कई बार विष देकर मारने की भी कोशिश की। परंतु श्रीकृष्ण की कृपा से मीराबाई हमेशा बच जाती। मान्यताओं की मानें तो जीवनभर मीराबाई की भक्ति करने के प्रभाव स्वरूप उनकी मृत्यु श्रीकृष्ण की भक्ति करते ही हुई थीं। बताया जाता है वर्ष 1547 में द्वारका में कृष्ण भक्ति करते-करते श्री कृष्ण की मूर्ति में ही समां गईं थी।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Related News