संस्कृत में गहरी रुचि रखते थे ‘मैक्स मूलर’
punjabkesari.in Tuesday, Mar 16, 2021 - 06:25 PM (IST)

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मैक्स मूलर जर्मनी के थे और इनके बारे में स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पश्चिमी दुनिया में अगर किसी ने वेदांत के मर्म को समझा है तो वह हैं मैक्स मूलर।
वह 6 दिसम्बर, 1823 को पैदा हुए थे और उनकी मौत हुई वर्ष 1900 में लेकिन 16 साल की उम्र से ही उनकी संस्कृत में गहरी रुचि पैदा हो गई थी और इसी की वजह से मैक्स मूलर ने ‘सैक्रेड बुक्स ऑफ द ईस्ट’ के नाम से 50 खंड लिखे हैं जिनमें शामिल हैं ऋग्वेद का भाष्य और उपनिषदों के अनुवाद।
मैक्स मूलर के पिता विल्हेम मूलर शृंगार रस के कवि थे और उनकी मां जर्मनी के एक प्रांत के मुख्यमंत्री की बेटी थीं।
मैक्स मूलर ने संस्कृत के अलावा फारसी और अरबी भी पढ़ी। उन्होंने भारतीय धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन ईस्ट इंडिया कम्पनी के ब्रिटेन लाए गए दस्तावेजों, ब्रह्मसमाज के भारतीय सदस्यों और ऑक्सफोर्ड जैसे जाने-माने विश्वविद्यालयों में अन्य यूरोपीय विद्वानों के साथ मिल कर किया।
कुछ हिन्दू लेखकों ने मैक्स मूलर की ईसाई धर्म को हिन्दू धर्म से बेहतर बताने की कोशिश करने वाला कहकर आलोचना की है तो कई ईसाई धर्मगुरुओं ने उनके जीवनकाल में उन्हें ईसाइयों के खिलाफ बताया।
लेकिन भारत के बारे में मैक्स मूलर ने लिखा है, ‘‘अगर कोई मुझसे पूछे कि प्रकृति प्रदत्त गुणों का किस मानव मस्तिष्क ने सबसे बेहतर उपयोग किया है, किसने जीवन की सबसे बड़ी समस्याओं का गहराई से अध्ययन किया है और वह कौन है जिसके साहित्य और ज्ञान को प्लेटो और कांट के दर्शन को समझने वालों को भी पढ़ना चाहिए तो मैं उसे भारत का रास्ता बताऊंगा।’’