अगर कर लिया ये काम तो आस-पास होंगी खुशियां ही खुशियां
punjabkesari.in Friday, Dec 20, 2019 - 01:18 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
मंत्र जाप करना हिंदू धर्म में बहुत महत्व रखता है। परंतु कुछ ऐसे लोग होते हैं जो मंत्र जाप करने की विधि जाने बिना कहीं भी किसी बैठे किसी भी अवस्था में बैठरकर मंत्र उच्चारण करना शुरू कर देते हैं। जिसे धार्मिक दृष्टि से ठीक नहीं माना जाता। इसके बारे में कहा जाता है हर किसी को मंत्र जाप करने की विधि से पूरी तरह सके अवगत होना चाहिए तभी इसके शुभ फल प्राप्त होते हैं। अगर बिना किसी जानकारी के किसी भी देवी-देवता का मंत्र जाप से आवाह्न किया जाता है तो वो कभी सफल नहीं होता। आज हम अपनी वेबसाइट के माध्यम से आपके लिए इसी से जुड़ी जानकारी लाए हैं जिसमें हम आपको बताएंगे कि मंत्र जाप करने के लिए तुलसी, मोती, रुदाक्ष, स्फटिक तथा चंदन की माला आदि से मंत्र जाप करते समय आपके लिए कौन सी विधि उपयोगी होती है। क्योंकि कहा जता है अगर विधि को ध्यान में रखकर मंत्र जाप किया जाए तो एक साथ कई देवी-देवताओं की दिव्य शक्तियां प्राप्त होने लगती हैं।
मंत्र जप के नियम और विधि-
बैठने का आसन:
किसी भी मंत्र को सिद्ध करने के लिए तथा उसका पूर्ण लाभ उठाने के लिए सबसे पहले सही आसन का चुनाव करें। प्राचीन समय में ऋषि मुनि इसके लिए सिद्धासन का प्रयोग किया करते थे। आप इसके अलावा पद्मासन, सुखासन, वीरासन या वज्रासन का प्रयोग कर सकते हैं।
समय का चुनाव:
किसी भी देवी-देवता की मंत्र साधना करने से पहले सही समय चुनें। वैसे धार्मिक शास्त्रों में इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त अर्थात सूर्योदय से पूर्व का समय उपयुक्त है। संध्या के समय पूजा आरती के बाद भी जप करना लाभदायक माना जाता है।
एकाग्रता:
मंत्र जप के दौरान जातक का ध्यान और मन एकाग्रचित होना चाहिए। उस समय बिल्कुल भी बाहरी दुनिया में ध्यान नही देना चाहिए। जिस देवता का आप मंत्र उच्चारण कर रहे हैं बस उनकी ही रूप का ध्यान करें।
दिशा: इस बात का खास ध्यान रखें कि मंत्र का जाप करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की तरफ़ हो तभी सुभ फल प्राप्त होंगे।
माला और आसन नमन:
जिस आसन पर आप बैठे हो तथा जिस माला से जाप करने वाले हो सबसे पहले उन दोनों को मस्तिष्क से लगाकर नमन करें उसके बाद ही मंत्र जाप शुरू करें।
माला का चयन:
जिस देवता के मंत्र का जाप कर रहे हैं, उनके लिए बताई गई उस विशेष माला से ही मंत्र जाप करें। जैसे शिव जी के लिए रुद्राक्ष की माला।
माला छिपाकर करें जाप:
मंत्र उच्चारण करते समय माला को कपड़े की थैली में रखें। इसके साथ ही इस बात का खास ध्यान रखें कि माला जाप करते समय कभी ये न देखे की कितनी मोती शेष बचे हैं। इससे अपूर्ण फल मिलता है
मंत्रो का सही उच्चारण : मंत्र उच्चारण में गलती न करें। बताते चलें माला को फेरते समय दांए हाथ के अंगूठे और मध्यमा अंगुली का प्रयोग करें। माला पूर्ण होने पर सुमेरु को पार न करें।
एक ही समय : जिस समय पर आप मंत्र जाप कर रहे हैं अगले दिन भी ठीक उसी समय पर जाप करें।