Mahashivratri katha: महाशिवरात्रि व्रत न भी कर पाएं तो अवश्य पढ़ें ये कथा
punjabkesari.in Tuesday, Feb 25, 2025 - 07:25 AM (IST)
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Mahashivratri fast story: महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर भगवान शिव को प्रसन्न एवं संतुष्ट करने और सब पापों का नाश करने वाला तथा परम गुणकारी है महाशिवरात्रि व्रत। इस पावन अवसर पर जो भी जीव उनके चरणों में प्रणाम करता है, भगवान शिव अपने भक्तजनों को मृत्यु आदि विकारों से रहित कर देते हैं। महाशिवरात्रि के व्रत की कई प्रचलित कथाएं हैं, जो विभिन्न पौराणिक ग्रंथों और लोक मान्यताओं से जुड़ी हुई हैं। कुछ कथाएं जिनका उल्लेख कुछ विशेष ग्रंथों और वाचिक परंपराओं में होता है, निम्नलिखित हैं-
राजा चित्त्रसेन और महाशिवरात्रि की कथा
एक समय की बात है, एक सम्राट चित्त्रसेन अपने राज्य में बहुत ही खुशहाल जीवन जी रहा था। वह भगवान शिव का बहुत बड़ा भक्त था और हर वर्ष महाशिवरात्रि का व्रत विधिपूर्वक करता था। एक वर्ष जब महाशिवरात्रि का दिन नजदीक आया, वह बहुत बीमार हो गया। उसका शरीर कमजोर था और वह पूजा करने के लायक नहीं था।
तभी उसकी पत्नी ने उसे एक सुझाव दिया कि वह महाशिवरात्रि का व्रत पूरी श्रद्धा से करने के बजाय एक दिन पहले एक छोटी सी पूजा कर ले और भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उसकी पूजा और व्रत का महत्व समझे। राजा ने अपनी पत्नी की बात मानी और पूजा शुरू की।
उस रात भगवान शिव ने राजा को दर्शन दिए और उसकी पूजा से प्रसन्न होकर उसे स्वास्थ्य, दीर्घायु और अपार सुखों का आशीर्वाद दिया। भगवान शिव ने राजा से कहा, “जो भी मेरी पूजा और व्रत सच्चे दिल से करता है, वह चाहे जिस भी अवस्था में हो, उसकी संजीवनी शक्ति उसे प्राप्त होती है।”
भगवान शिव और मदनासुर की कथा
किसी समय की बात है, एक राक्षस का नाम मदनासुर था। वह बहुत ही शक्तिशाली और दुष्ट था। उसने देवताओं से युद्ध किया और उन्हें पराजित कर दिया। भगवान शिव के दर्शन करने के बाद उसने भगवान शिव से वरदान प्राप्त किया कि वह अमर हो जाएगा। मदनासुर ने यह वरदान प्राप्त करने के बाद देवताओं के लिए बहुत परेशानियां खड़ी कर दी थीं।
भगवान शिव ने महाशिवरात्रि के दिन मदनासुर को चुनौती दी और कहा कि जो कोई भी महाशिवरात्रि के दिन व्रत और पूजा करेगा, वह अमर नहीं हो सकता। भगवान शिव ने मदनासुर को बताया कि उनकी पूजा से भक्ति और सत्य का सच्चा रूप ही अमरता की प्राप्ति का मार्ग है। इसके बाद मदनासुर ने शिव पूजा को स्वीकार किया और उसकी बुराई समाप्त हो गई।
गंगा का पृथ्वी पर आगमन और महाशिवरात्रि
यह कथा विशेष रूप से उत्तर भारत में प्रचलित है। यह कथा एक अद्भुत साक्षात्कार की ओर संकेत करती है, जो महाशिवरात्रि के दिन हुआ था। एक समय की बात है, जब गंगा देवी ने स्वर्ग से पृथ्वी पर आने का निर्णय लिया था। देवता चिंतित थे क्योंकि गंगा का प्रलयकारी जल पृथ्वी पर आने से कई तबाही कर सकता था।
भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में समाहित करने का निर्णय लिया, ताकि वह पृथ्वी पर धीरे-धीरे बह सके और कोई भी भय नहीं हो। महाशिवरात्रि के दिन जब गंगा पृथ्वी पर अवतरित हो रही थी, भगवान शिव ने अपने जटाओं में गंगा को धारण किया, जिससे उसका वेग नियंत्रित हो सका। इस महान घटना की याद में महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखने की परंपरा बनी।
पार्वती जी की तपस्या और महाशिवरात्रि
यह कथा विशेष रूप से दक्षिण भारत में प्रचलित है। एक समय की बात है, देवी पार्वती ने भगवान शिव के साथ विवाह के लिए कठोर तपस्या की। उन्होंने महाशिवरात्रि के दिन व्रत रखा और रातभर जागरण किया। उनके इस तप के परिणामस्वरूप भगवान शिव ने उनसे प्रसन्न होकर विवाह का प्रस्ताव दिया। इस दिन को श्रद्धा और भक्ति के प्रतीक रूप में मनाना शुरू हुआ।
नंदी और महाशिवरात्रि
यह कथा भगवान शिव के वाहन नंदी से जुड़ी है। नंदी भगवान शिव का सबसे प्रिय भक्त था और उसका समर्पण अत्यधिक था। एक वर्ष नंदी ने महाशिवरात्रि का व्रत पूरे मनोयोग से किया। उसने पूरी रात जागरण किया और भगवान शिव की पूजा की। भगवान शिव ने उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिए और नंदी को अपना नायक बना लिया। नंदी की भक्ति की वजह से उसे भगवान शिव का वाहन बनने का आशीर्वाद मिला।
यह कथा दर्शाती है कि किसी भी व्यक्ति की सच्ची भक्ति और समर्पण से भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इन कथाओं में महाशिवरात्रि की पूजा के महत्व, शिव के प्रति भक्तों की श्रद्धा और व्रत रखने के लाभ के बारे में महत्वपूर्ण संदेश दिए गए हैं। ये कथाएं विभिन्न क्षेत्रीय परंपराओं और शास्त्रों में मिलती हैं, जो महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की उपासना की महिमा को बढ़ाती हैं।