महाशिवरात्रि 2022: यहां त्रिशूल चढ़ाने से होती है हर मुराद पूरी , जानिए कहां है ये स्थल

punjabkesari.in Tuesday, Mar 01, 2022 - 05:44 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जहां भगवान भोलेनाथ ने भस्मासुर से बचने के लिए अपना त्रिशूल छोड़ा था, जिसे वर्तमान समय में चौरागढ़ मंदिर के नाम से जाना जाता है। उसी भोलेनाथ की नगरी में आज यानि 01 मार्च महाशिवरात्रि के अवसर पर भक्तों का जन सैलाब उमड़ा।  यहां पिछले 5 दिन में  5 लाख भक्त पहुंच चुके है, बताया जाता है कि कोरोना काल में पिछले 2 साल से यहां मेला नहीं लगाया गया था। बताया जा रहा है अब 2 साल बाद ये मेला शुरू हुआ तो भक्तों के चहरे पर इसकी खुशी साफ नजर आई। तो वहीं इसके साथ ही इसके परिणाम स्वरूप लोगों का व्यापार भी एक बार दोबारा शुरु हो गया है। बता दें यहां महाशिवरात्रि पर मुख्य रूप से त्रिशूल चढ़ाने की परंपरा है। माना जाता है ऐसा करने से व्यक्ति की हर मनोकामना पूरी होती है। 

बता दें आज महाशिवरात्रि के मौके पर करीब 2 लाख से ज्यादा भक्त महादेव के दर्शनों के लिए पहुँचे हैं। बताया जाता है पचमढ़ी जितना सुंदर है उतनी ही सुंदर यहां की वादियां, पर्वत, पहाड़ और जंगल हैं। साथ ही साथ ये भी कहा जाता है कि जिस जगह देवों के देव महादेव विराजते हैं, वह स्थान मध्यप्रदेश के एकमात्र हिल स्टेशन के कई प्राचीन मंदिर में से प्रमुख माना जाता है। इस मंदिर की खासियत के बारे में बात करें तो वो ये है कि यहां जैसे बड़ा महादेव गुप्त महादेव नाग द्वारी जटाशंकर चौरागढ़ ये सब पहाड़ों की गुफाओं में विराजमान हैं जिन्हें देख कर ऐसा प्रतीत होता है मानो जैसे महादेव का कैलाश पर्वत जैसा घर यहां भी मौजूद हो। बता दें महाशिवरात्रि के खास अवसर पर इस धार्मिक स्थल पर शासन प्रशासन के करीब हज़ारों कर्मचारियों की ड्यूटी लगी है साथ ही साथ कलेक्टर ओर जिला के स.पी भी यहां डेरा डाले हुए व्यवस्था की जायजा ले रहे हैं। 


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Content Writer

Jyoti

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