हनुमान जी और अर्जुन की पहली मुलाकात थी कुछ ऐसी, पढ़िए रोचक कथा

punjabkesari.in Saturday, Oct 03, 2020 - 03:59 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
महाभारत के प्रमुख पात्रों के बारे में तो लगभग लोग जानते ही हैं, मगर बहुत कम लोग हैं जिन्हें ये पता है कि कुछ द्वापर युग में होने वाले महाभारत युद्ध के साक्षी बनने वालों में कुछ पात्र त्रेता युग के भी थे। जी हां, शायद आप सही समझ रहे हैं हम बात कर रहे हैं हनुमान जी। अपनी वेबसाइट के माध्यम से हमने आपको पहले बताया कि कैसे हनुमान जी ने द्वापर युुग में कई अर्जुन के अहम को खत्म किया था। आज भी हम आपको इन दोनों से जुड़ा यही किस्सा विस्तारपूर्वक बता रहे हैं। 
PunjabKesari, Mahabharata, hanuman ji, sri krishan, Lord hanuman, Lord Krishna,  story of arjun and hanuman ji, Dharmik Katha, Religious Story, Dant Katha in hindi, Mahabharata yudha, Arjun and Sri Krishna
बता दें हनुमान जी और अर्जुन की मुलाकात का किस्सा हालांकि कथाओं में अलग-अलग मिलता, मगर जो हम आपको बताने वाले हैं उसके अनुसार जब अर्जुन और बजरंगबली की मुलाकात हुई थी तो अर्जुन अपने घमंड में हनुमान जी से कहता है कि मैं आपके समय होता तो पत्थर का रामसेतु बनवाने के बजाय अकेला ही अपने धनुष से मज़बूत सेतु बना देता। मगर श्री राम ने स्वयं भगवान होने के बाद ऐसा क्यों नहीं किया?

अर्जुन की बात सुनकर हनुमान जी ने जवाब देते हैं कि वहां बाणों का सेतु कोई काम नहीं कर सकता था। अगर उस समय कोई पुल बन भी जाता को हमारे एक ही वानर के चढ़ने पर बाणों का सेतु टूट हो जाता। जिस पर अर्जनु ने पटलकर जवाब दिया कि मैं अभी आपके समक्ष सरोवर में अपने बाणों से सेतु बनाऊंगा। जिस पर अगर आप चल पाएंगे और वो टूटेगा भी नही और अगर ऐसा नहीं हो पाया यानि सेतु टूट गया तो मैं आपके सामने अग्नि में प्रवेश कर जाऊंगा और अगर नहीं टूटा तो आपको अग्नि में प्रवेश करना पड़ेगा। 
PunjabKesari, Mahabharata, hanuman ji, sri krishan, Lord hanuman, Lord Krishna,  story of arjun and hanuman ji, Dharmik Katha, Religious Story, Dant Katha in hindi, Mahabharata yudha, Arjun and Sri Krishna
हनुमान जी ने बिना कोई विचार किए अर्जन की यह चुनौती स्वीकार कर ली। अर्जुन ने सेतु बनाया, जिस पर जैसे ही हनुमान जी ने सेतु पर पहला पग रखा तो सेतु डगमगाने लगा, दूसरा पग रखने पर चरमराया और तीसरा पग रखने से सरोवर के जल में खून ही खून हो गया। इसके बाद हनुमानजी सेतु से नीचे उतर आए और अर्जुन से कहा कि अग्नि तैयार करो। अग्नि प्रज्‍वलित हुई और जैसे ही हनुमान अग्नि में कूदने चले वैसे ही भगवान श्रीकृष्ण प्रकट हो गए।

श्रीकृष्ण ने कहा- हे हनुमान! आपका तीसरा पग सेतु पर पड़ा, उस समय मैं कछुआ बनकर सेतु के नीचे लेटा हुआ था। आपकी शक्ति से आपके पैर रखते ही मेरे कछुआ रूप से रक्त निकल गया। यह सेतु टूट तो पहले ही पग में जाता अगर मैं कछुए के रूप में इसका भार उठाए न खड़ा होता। जिसके बाद हनुमान जी क्षमा मांगी और कहा कि मेरा ये अपराध कैसे दूर होगा।
PunjabKesari, Mahabharata, hanuman ji, sri krishan, Lord hanuman, Lord Krishna,  story of arjun and hanuman ji, Dharmik Katha, Religious Story, Dant Katha in hindi, Mahabharata yudha, Arjun and Sri Krishna
उधर दूसरी ओर वहीं यह सारी घटना देखकर अर्जुन देख रहा, जिसे ये देखकर बहुत पछतावा हुआहो रहा था कि, इसलिए उसने हनुमान जी और प्रभु श्रीकृष्ण से क्षमा मांगी। तब श्रीकृष्ण ने हनुमान जी से कहा, ये सब मेरी इच्छा से हुआ है, आप दुखी न हो, मेरी इच्‍छा है कि आप अर्जुन के रथ की ध्वजा पर स्थान ग्रहण करो। ऐसी कथाएं प्रचलित हैं कि यही कारण था कि हनुमान जी अर्जुन के रथ की ध्वाजा में विराजे हुए थे जिससे अर्जुन अपनी ओर आने वाली हर मुश्किल से बचा रहा था। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Jyoti

Recommended News

Related News