महाकुंभ: विदेशियों को खींच रही आध्यात्मिकता

punjabkesari.in Monday, Jan 27, 2025 - 08:35 AM (IST)

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महाकुंभ नगर (एजैंसी): स्वीडन से आए टॉमू स्वस्तिक द्वार के पास स्थित पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में संतों के बीच गंभीर चर्चा में मशगूल दिखे। उन्होंने स्वयं के और उनके जैसे कई अन्य विदेशियों के महाकुम्भ में पहुंचने की वजह को समझाया।

टॉमू ने कहा, ‘ज्यादातर लोग हिंदू धर्म के मुख्य देवताओं, राम, कृष्ण और शिव या त्रिदेवों के बारे में जानते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि ज्यादातर लोग हिंदू धर्म के गहरे अर्थ को समझते हैं। मेरा मानना है कि सनातन के आध्यात्मिक सार को समझने के लिए कुंभ से बेहतर कोई जगह नहीं हो सकती।’ स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम से लगभग 115 किलोमीटर दूर एस्किलस्टुना निवासी टॉमू ने रुद्राक्ष की दो मालाएं भी पहनी हुई थीं।

 उन्होंने कहा, ‘कई विदेशी यहां आ रहे हैं क्योंकि वे हिंदू धर्म के गहरे अर्थ और दर्शन को समझना चाहते हैं। उदाहरण के लिए, कई लोग ‘हरे राम, हरे कृष्ण’ का जाप करते हैं और ऐसा लगता है कि वे इस जाप में पूरी तरह खो गए हैं।’ 

टॉमू ने कहा, ‘कई लोगों को यह भी महसूस होता है कि उन्हें और अधिक जानने की जरूरत है और यही कारण है कि महाकुंभ में ऐसे विदेशी नागरिकों की संख्या बढ़ रही है। भारत विश्व स्तर पर उच्च आध्यात्मिकता वाले देश के रूप में जाना जाता है।’

टॉमू की तरह अमरीका के टेक्सास की राजधानी ऑस्टिन से लेस्ली और जॉन चैथम भी पहली बार महाकुंभ में आए हैं। यह उनकी पहली भारत यात्रा है। उनके समूह में नौ लोग हैं, जिनमें ब्रिटेन और कनाडा के लोग भी शामिल हैं। 

रियल एस्टेट क्षेत्र में काम करने वाले लेस्ली ने कहा, ‘मेरे पास भारत से कई ग्राहक हैं और उनके साथ काम करना एक संतोषजनक अनुभव है।’ कुछ विदेशियों ने न केवल हिंदू धर्म अपनाया है, बल्कि हिंदू नाम भी अपनाया है और कुछ आध्यात्मिक परीक्षा से भी गुजरे और महामंडलेश्वर बन गए हैं। टॉम, अमरीकी सेना के एक पूर्व वरिष्ठ कमांडर के बेटे हैं। 

उन्होंने हिंदू धर्म अपनाने के लिए आईटी क्षेत्र की एक अच्छी नौकरी छोड़ दी। उन्हें ‘अखाड़ा’ में एक नया नाम स्वामी व्यासानंद गिरि और एक पद भी मिला है। वह अब पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में महामंडलेश्वर हैं।’

इसी तरह माइकल अमरीका के पूर्व सैनिक हैं। वह न्यू मेक्सिको से हैं। वह बाबा मोक्षपुरी के नाम से लोकप्रिय हैं और जूना अखाड़े का हिस्सा हैं। माइकल ने बताया, ‘एक समय मैं भी अन्य लोगों की तरह ही था जो परिवार के साथ समय बिताना पसंद करता था और भ्रमण करना पसंद करता था।’ इसी के चलते वह साल 2000 में कुछ समय के लिए भारत आए और तब से वे देश में ही रह रहे हैं। प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरु नीम करोली बाबा के आश्रम की उनकी यात्रा एक अनोखा अनुभव था। 
 


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Content Editor

Sarita Thapa

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