Maghi Ganesh Jayanti 2020: शास्त्रों में है इस दिन का खास महत्व
punjabkesari.in Saturday, Jan 18, 2020 - 02:31 PM (IST)
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गणपति बप्पा के अनुयायी वैसे तो रोज़ ही उनकी ध्यान करते हैं परंतु कुछ दिन अधिक विशेषता प्राप्त होते हैं जिस कारण इन दिनों में की गई पूजा दोगुना लाभ प्राप्त करवाती है। इन्हीं में एक दिन है माघ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथी। हिंदू कैलेंडर के अनुसार इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है जो इस बार 28 जनववरी को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म हर माह में आने वाली चतुर्थी तिथि की तरह इसका भी अधिक महत्व है। परंतु इसका महत्व ज्यादा इसलिए हो जाता है क्योंकि ये हिंदू धर्म के सबसे पावन कहे जाने वाले माह यानि माघ माह में आती है जिस कारण इसे माघी गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है।
वैसे तो इसका पूरे भारत में महत्व है किंतु मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में इसकी अधिक धूम देखने को मिलती है। बल्कि यहां तो इस दिन को एक उत्सव के तौर पर मनाया जाता है। जिसकी तैयारियां अभी से शुरू हो गई है बताया जा रहा है कि इस 25 जनवरी से 1 फरवरी तक सिद्धिविनायक मंदिर में चलने वाले इस उत्सव की तैयारियां ज़ोरों-शोरो से चल रही है। तमामग्रंथो के साथ-साथ अग्नि पुराण में भी इस तिथि का वर्णन किया गया है जिसमे इसकी विशेषता बताते हुए कहा गया है कि इस पावन तिथि को गणेश भगवान की कृपा तो प्राप्त होती है साथ ही मृत्यु के बाद मोक्ष भी प्राप्त होता है। अगर दक्षिण भारत की बात करें वहीं ये मान्यता प्रचलित है इस दिन भगवान गणपति का जन्म हुआ था। जिस कारण यहां इस तिथि का अधित महत्व है। चलिए जानते हैं इस गणेश पूजा की पूजन विधि व इसका महत्व-
गणेश जयंती पूजा विधि:
सूर्योदय से पहले स्नान-ध्यान करके शुद्ध कपड़े धारण करें।
पूजा-स्थान पर गणेश जी की मूर्ति स्थापित करें फिर इनकी विधिवत पूजा करें।
पूजा शुरू करने के लिए निम्न मंत्र का जाप करें।
गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजम्बूफलचारु भक्षणम्ं।
उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
फिर संकल्प लेकर- ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें तथा विधिवत गणेश की की पूजा कर आरती करें। आरती के बाद गणेश जी को 11 या 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। शाम के समय ब्राह्मण भोजन कराकर खुद भोजन करें।
माघी गणेश जयंती शुभ मुहूर्त:
चतुर्थी तिथि की शुरुआत 28 जनवरी, 2020 को सुबह 8 बजकर 20 मिनट से शुरू हो रही है। साथ ही चतुर्थी तिथि का समापन सुबह 10 बजकर 50 मिनट पर हो रहा है।
बता दें दक्षिण भारत में माघ शुक्ल गणेश चतुर्थी को तिल कुंड चतुर्थी या माघ विनायक चतुर्थी के तौर पर मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन गणेश तरंगे पृथ्वी पर आई थी। इसलिए इस दिन को गणेश जयंती के रूप में मनाया जाता है।