महाराजा पद्मसिंह को अधिक प्रिय है यह मंदिर, आज भी यहां होते हैं देवी पद्मावती केेेे दर्शन

punjabkesari.in Monday, Jan 29, 2018 - 12:07 PM (IST)

पद्मावती का अर्थ है भगवान विष्णु की पत्नी। भगवान विष्णु के अन्य मंदिरों में विष्णु और लक्ष्मी की प्रतिमाएं साथ-साथ मिलती हैं लेकिन यहां दोनों के अलग-अलग मंदिर हैं। भगवान वेंकटेश्वर (श्री विष्णु) का मंदिर तिरुपति से करीब 20 किलोमीटर दूर तिरुमला की पहाड़ियों में है और देवी लक्ष्मी (पद्मावती) का मंदिर तिरुपति से ही दूसरी तरफ पांच किलोमीटर दूर तिरुचनूर मार्ग पर स्थित है। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति भगवान वेंकटेश्वर एवं देवी पद्मावती के दर्शन नहीं करने वाले व्यक्ति की  यात्रा अधूरी मानी जाती है। पद्मावती देवी का मंदिर भी भगवान वेंकटेश्वर मंदिर और दक्षिण के अन्य मंदिरों की तरह द्रविड शैली में बना हुआ है।

 

मंदिर में देवी की चांदी की विशाल प्रतिमा है। देवी पद्मासन में बैठी हैं। उनके दो हाथों में कमल का पुष्प है। एक पुष्प अभय का प्रतीक है तो दूसरा पुष्प वरदान का। मंदिर में देवी का श्रृंगार सोने से किया गया है। मान्यता के अनुसार देवी पद्मावती के बारे में कहा जाता है कि 12 साल तक पाताल लोक में वास करने के बाद 13 वें साल में देवी मां कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि को धरती पर अवतरित हुई। 


महाराजा पद्मसिंह को मां लक्ष्मी का यह स्वरूप बहुत ही प्रिय लगा एवं यहां से देवी मां के दर्शन करने के बाद उन्होंने रतलाम के राजमहल में माता पद्मावती के इस मंदिर का निर्माण करवाया। तिरुपति सड़क और रेलमार्ग द्वारा देश के सभी शहरों से जुड़ा है। देश के बड़े शहरों से तिरुपति तक पहुंचने के लिए सीधी रेल सेवा उपलब्ध है। इसके अलावा जिन शहरों से तिरुपति तक रेल सेवा नहीं है वो चेन्नई होते हुए तिरुपति जाते हैं। चेन्नई से तिरुपति की दूरी करीब 150 किलोमीटर है। चेन्नई से तिरुपति जाने के लिए बस सेवा भी बहुतयात में उपलब्ध है। तिरुपति पहुंचने के बाद तिरुपति रेलवे स्टेशन से मंदिर जाने के लिए बहुतायत में बस सेवा व ऑटो चलते हैं। तिरुपति रेलवे स्टेशन से मंदिर की दूरी 5 किलोमीटर ही है जिसे पूरा करने में लगभग 20 से 25 मिनट का समय लगता है। 


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