True Love को पहचानने के लिए जानें ये बात

punjabkesari.in Friday, Mar 06, 2020 - 10:57 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ऋतु बसंत हो, पेड़-पौधों में कलियां फूट रही हों तो दिल प्रेम की कोमल भावनाओं से सराबोर क्यों न हो। प्रेम ही वह भाव है जो समूची दुनिया को एक सूत्र में पिरो सकता है। मार्टिन लूथर ने कहा है-प्रेम एकमात्र शक्ति है जो शत्रुता को दोस्ती में तबदील कर सकती है। प्रेम की जबरदस्त ताकत को लफ्जों में बयां नहीं कर सकते। यह प्रेम ही है जो घर-परिवार, शिष्टाचार, समाज, कानून की वर्जनाओं को आसानी से पार कर जाता है। प्रेम के दम पर इंसान भारी से भारी जोखिम उठा लेता है। बेशक यह प्रेम उस कोटि का नहीं होता जो मां या प्रभु के लिए होता है मगर इसकी अपनी खूबी होती है। इसके प्रभाव में इंसान जो कुछ कर गुजर सकता है वह मां या प्रभु के प्रेम में नहीं करता। एक मुगल शासक के दरबार में एक फकीर आया। खातिरदारी के बाद फकीर ने राजा को आशीर्वाद दिया, ''खुदा करे तुम इस माटी से माशूका की तरह प्रेम करो।"
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"राजा ने तुरन्त प्रश्र किया, ''माशूका की तरह क्यों, मां की तरह क्यों नहीं?" 

फकीर का कहना था, ''माशूका के प्रेम में व्यक्ति दीवाना हो जाता है, मां के प्रेम में नहीं।" 

प्रेम से अभिभूत दो जीवों में उस अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है जिसे तर्क से नहीं समझ सकते। दोनों पक्ष एक-दूसरे के साथ बेहतर, खुशनुमा महसूस करते हैं। लाओत्जे ने कहा, ''प्रेम देने वाले में अथाह साहस पैदा हो जाता है और प्रेम पाने वाला शक्ति सम्पन्न हो जाता है। मांस के हसीन लोथड़े पर लट्टू होकर आवश्यक कार्यों को दरकिनार कर देना, सुधबुध खो बैठना शुद्ध कामुकता है। प्रेम का भाव है तो वह सभी पर छलकेगा, केवल प्रेमिका पर नहीं।"
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जाहिर है, प्रेम हमें कर्तव्यों की राह से भटका भी सकता है जो बाद में हमारी ग्लानि का कारण भी बन सकता है। इसलिए प्रेम की शक्ति को स्वीकार करते हुए भी हमें यह देखना होता है कि उसका स्वरूप कैसा हो। इसमें कोई संदेह नहीं कि उच्चतम कोटि का प्रेम प्रभु के प्रति ही होता है। 


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Jyoti

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