कांवड़ यात्रा पर जाने से पहले, जान लें उससे जुड़े कुछ नियम

punjabkesari.in Wednesday, Jul 17, 2019 - 12:34 PM (IST)

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आज से सावन के पवित्र महीने की शुरुआत हो गई है। हर साल की तरह इस साल भी लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए बहुत से उपाय करते हैं और इसी बीच कांवड़ यात्रा भी आरंभ होती है, जिसका अपना एक अलग ही महत्व होता है। बहुत से श्रद्धालु सुख-समृद्धि की कामना लिए इस पावन यात्रा के लिए निकलते हैं। भगवान शिव को समर्पित इस कांवड़ यात्रा में श्रद्धालु पवित्र गंगा जल या फिर किसी नदी विशेष के शुद्ध जल से अपने ईष्ट देव का जलाभिषेक करते हैं, जिससे भगवान प्रसन्न होकर अपने भक्तों की हर मनोकामना को पूरा करते हैं। ऐसे में इस बार आप भी कांवड़ यात्रा पर जाने की सोच रहें हैं तो उससे पहले उस यात्रा से जुड़े कुछ नियमों को जान लेना बहुत जरूरी है। 
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नियम-
कांवड़ यात्रा के दौरान बगैर स्नान किए कांवड़ को स्पर्श करना मना होता है, इसलिए नहाने के बाद ही अपना कांवड़ लेकर आगे बढ़ना चाहिए। 

भगवान शिव को समर्पित इस यात्रा के दौरान कभी भी कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जाता है। यदि कहीं शौच, विश्राम आदि के लिए रुकना ही पड़ जाए तो इसे पेड़ आदि ऊंचे स्थानों पर रखा जाता है। 
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यात्रा के दौरान पवित्रता का पूरा ख्याल रखें और कांवड़ यात्रा पर चमड़े से बनी किसी चीज़ का न तो प्रयोग करें और न ही स्पर्श करें। 
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कई लोग कांवड़ को सिर के ऊपर रख लेते हैं, जबकि शास्त्रों में ऐसा करना मना है। इसके अलावा किसी वृक्ष या पौधे के नीचे कांवड़ को रखना मना है।

जो भक्त कांवड़ यात्रा पर जाते हैं, वह कभी भी यात्रा के दौरान गलत शब्दों का प्रयोग, क्रोध और विवाद नहीं कर सकते।

कांवड़ यात्रा के दौरान बोल बम और जय शिव-शंकर का जयकारा या फिर शिव मंत्रों का जाप या भगवान का ध्यान करें।

कांवड़ यात्रा के दौरान किसी भी प्रकार का नशा जैसे मांस, मदिरा, भांग आदि का सेवन न करें। इस पावन यात्रा के दौरान भूलकर भी तामसिक भोजन न करें।
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कांवड़ यात्रा के इन नियमों का पालन करने के साथ-साथ भगवान शिव के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का भाव होना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।


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