Khidrane di dhab: जब गुरु गोविंद सिंह की फौज ने मुगलों काे भागने पर मजबूर कर दिया...
punjabkesari.in Wednesday, Jan 11, 2023 - 09:33 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
‘मुक्तसर’ से ‘श्री मुक्तसर साहिब’ बने इस ऐतिहासिक शहर का नाम पहले ‘खिदराना’ था और यहां खिदराने की ढाब थी। इसका मालिक फिरोजपुर जिले के जलालाबाद का निवासी ‘खिदराना’ नामक व्यक्ति था, इसी कारण इसका नाम ‘खिदराने की ढाब’ मशहूर था।
1100 रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं। अपनी जन्म तिथि अपने नाम, जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर व्हाट्सएप करें
यहां दशम पातशाह गुरु गोबिंद सिंह जी ने मुगल फौज के विरुद्ध अपना अंतिम युद्ध लड़ा, जिसे ‘खिदराने की जंग’ कहा जाता है। 1705 ई. में गुरु गोबिंद सिंह जी ने कोटकपूरा पहुंच कर ‘चौधरी कपूरे’ से किले की मांग की लेकिन मुगलों के डर से उसने किला देने से इन्कार कर दिया तो गुरु जी चल कर सिख सिपाहियों के साथ ‘खिदराने की ढाब’ पर पहुंचे। वह अभी यहां पहुंचे ही थे कि सरहिंद के सूबेदार की कमान में शत्रु सेना यहां पहुंच गई।
40 सिंह योद्धा गुरु जी के साथ मिल कर मुगल सेना पर झपट पड़े। यह युद्ध 21 बैसाख, संवत् 1762 विक्रमी को हुआ, जिसके दौरान सिख सेना की वीरता देख कर मुगल सेना भाग गई। इस युद्ध में मुगलों के अधिकांश सैनिक मारे गए और गुरु जी के भी कई सिंह शहीद हो गए। इसी जगह पर गुरु गोबिंद सिंह जी ने, भाई महा सिंह जी, जो अपने साथियों समेत आनंदपुर साहिब में बेदावा देकर आए थे, उस बेदावे को फाड़ कर बेदवाइए सिंहों को मुक्त किया और भाई महा सिंह को अपनी शरण में ले लिया।
भाई महा सिंह जी ने यहीं शहीदी प्राप्त की। इस जंग में माता भाग कौर ने भी जौहर दिखाए और घायल हुईं। उनकी मरहम-पट्टी गुरु जी ने अपने हाथों से की और स्वस्थ होने पर खालसा दल में शामिल कर लिया।