Jyeshtha Purnima 2024: 21 या 22 जून जानें, कब रखा जाएगा ज्येष्ठ माह में पूर्णिमा का व्रत ?
punjabkesari.in Wednesday, Jun 12, 2024 - 08:37 AM (IST)
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Jyeshtha Purnima 2024: ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ माह में आने वाले व्रत और त्योहारों को बेहद ही खास माना जाता है। इसी तरह ज्येष्ठ माह में आने वाली पूर्णिमा का भी अपना ही एक महत्त्व होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा करने से सुख-समृद्धि और धन-वैभव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। ज्येष्ठ महीने में आने वाली पूर्णिमा को वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए बरगद के पेड़ की पूजा करती हैं। ऐसे में लोग इस दिन की डेट को लेकर काफी परेशान हैं। तो चलिए आज इस आर्टिकल में बात करेंगे कि कब रखा जाएगा ये व्रत और क्या है इसकी सही तारीख।
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When is Jyeshtha Purnima 21 or 22 June 21 या फिर 22 जून ज्येष्ठ पूर्णिमा कब ?
हिन्दू कैलेंडर के अनुसार आपको बता दें कि 21 जून सुबह 6 बजे से ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत हो जाएगी और 22 जून को सुबह 5 के आसपास इसका समापन हो जाएगा। पंचांग के मुताबिक इसका व्रत 21 जून को ही रखा जाएगा।
Snan-dan ka samay स्नान-दान का समय
ब्रह्म मुहूर्त - 04 बजकर 04 मिनट से 04 बजकर 44 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 43 मिनट से 03 बजकर 39 मिनट तक
अमृत काल - सुबह 11 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 11 मिनट तक
Purnima Significance पूर्णिमा महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा बेहद ही खास होती है। कहते हैं जो भी व्यक्ति इस दिन दान-पुण्य करता है उसे अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। इसके अलावा ऐसा करने से जल्द ही सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती हैं। इसके अलावा इस दिन भगवान सत्यनारायण की कथा पढ़ने-सुनने का भी विधान है।
गंगा स्नान करते समय इस मंत्र का जाप करने से जीवन से सारी नकारात्मकता दूर हो जाती है और गंगा मैया का आशीर्वाद प्राप्त होता है-
गंगा गंगेति यो ब्रूयात, योजनानाम् शतैरपि। मुच्यते सर्वपापेभ्यो, विष्णुलोके स गच्छति।।
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वती। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिम् कुरु।।
गंगां वारि मनोहारि मुरारिचरणच्युतं । त्रिपुरारिशिरश्चारि पापहारि पुनातु मां ।।
Jyeshtha Purnima Puja Vidhi ज्येष्ठ पूर्णिमा पूजा विधि
पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
इसके बाद उन्हें पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें और किसी भी मिटहि का भोग लगाएं।
उनके नाम का ध्यान लगाने के बाद आरती के साथ पूजा का समापन करें।