30 अगस्त को जन्माष्टमी पर बने रहे हैं ये शुभ संयोग!

punjabkesari.in Tuesday, Aug 17, 2021 - 04:44 PM (IST)

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जन्माष्टमी का इंतजार सभी कृष्ण भक्तों को बड़ी शिद्दत के साथ रहता है और कई दिन पहले से ही भक्त इस पर्व की तैयारी शुरू कर देते हैं। वैसे भी भगवान् श्रीकृष्ण समस्त देवताओं में भगवान विष्णु के अकेले ऐसे अवतार हैं जिनके जीवन के हर पड़ाव में वे अलग अलग रंग में दिखाई देते हैं। बचपन से लेकर उनका पूरा जीवन लीलाओं से भरा हुआ है। यह भगवान श्री कृष्ण जी ही हैं, जिन्हें कन्हैया , श्याम, गोपाल,  केशव,  वासुदेव , गोविंद, मोहन, माधव , द्वारकेश या द्वारकाधीश आदि नामों से भी जाना जाता है और उन्हें इस युग के सर्वश्रेष्ठ  युगपुरुष का स्थान भी दिया गया है।भगवान श्री कृष्ण के जन्म पर्व को जन्माष्टमी के रूप में मनाया जाता है । इस बार  जन्माष्टमी 30 अगस्त को पड़ रही है और कई शुभ संयोग भी इस दिन बनने जा रहे हैं। श्रीमद्भागवत पुराण के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र कृष्ण अष्टमी तिथि, बुधवार, रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि में मध्य रात्रि में हुआ था। शास्त्रों में कहा गया है कि जन्माष्टमी के अवसर पर 6 तत्वों का एक साथ मिलना बहुत ही दुर्लभ होता है। ये 6 तत्व हैं भाद्र कृष्ण पक्ष, अर्धरात्रि कालीन अष्टमी तिथि, रोहिणी नक्षत्र, वृष राशि में चंद्रमा, इनके साथ सोमवार या बुधवार का होना।

इस बार ऐसा संयोग बना है कि ये सभी तत्व 30 अगस्त को मौजूद रहेंगे। इस दिन सोमवार है, सुबह से अष्टमी तिथि व्याप्त है, रात में 2 बजकर 2 मिनट तक अष्टमी तिथि व्याप्त है जिससे इसी रात नवमी तिथि भी लग जा रही है। चंद्रमा वृष राशि में मौजूद है। इन सभी संयोगों के साथ रोहिणी नक्षत्र भी 30 अगस्त को मौजूद है। ऐसे में इन संयोगों को लेकर धार्मिक विषयों के जानकार इस बार जन्माष्टमी को बहुत ही उत्तम मान रहे हैं। 

हमारे शास्त्रों के अनुसार ऐस संयोग जब जन्माष्टमी पर लगते हैं तो इस अवसर को हाथ से जाने नहीं देना चाहिए। इस संयोग में जन्माaष्टमी व्रत करने से 3 जन्मों के जाने-अनजाने हुए पापों से मनुष्य मुक्त हो जाता है। इस संयोग में जन्माष्टमी व्रत करने से प्रेत योनी में भटक रहे पूर्वजों को भी मनुष्य व्रत के प्रभाव से मुक्त करवा लेता है। इस साल श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा. अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रात 11:25 बजे शुरू होगी, जो 30 अगस्त रात 1:59 बजे तक रहेगी. इसीलिए इस साल पर्व 30 अगस्त को होगा। जन्माष्टमी पर पूजन का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त, रात 11:59 बजे से देर रात 12:44 बजे तक का रहेगा. रोहिणी नक्षत्र का आरंभ 30 अगस्त, सुबह 06:39 बजे से हो रहा है, जिसका समापन 31 अगस्त को सुबह 09:44 बजे पर होगा।

जो लोग जन्माष्टमी व्रत आरंभ करना चाह रहे हैं उनके लिए इस वर्ष व्रत आरंभ करना बहुत ही उत्तम रहेगा। जो लोग पहले से जन्माष्टमी व्रत कर रहे हैं उनके लिए इस बार जन्माष्टमी का व्रत अति उत्तम रहेगा। इस वर्ष सप्तमी वृद्धा और नवमी वृद्धा का चक्कर भी नहीं है ऐसे में स्मार्त और वैष्णव दोनों के लिए 30 अगस्त का दिन ही जन्माष्टमी व्रत के लिए उत्तम है। कृष्ण जन्माष्टमी के व्रत को "व्रतराज"  माना गया है यानी इस दिन व्रत करने से आपको साल भर के व्रतों से भी अधिक फल प्राप्त होता है। ऐसी मान्यता भी है कि इस दिन व्रत करने से भगवान अपने भक्तों को महा पुण्य के सभी फल प्रदान करते हैं। यानी संतान प्राप्ति,  सुख समृद्धि , वंश वृद्धि , दीर्घायु  व पित्र दोष मुक्ति का आशीर्वाद मिलता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी को कृष्णाष्टमी, गोकुल अष्टमी , अष्टमी रोहिणी, श्री कृष्ण जयंती व श्री जयंती के नाम से भी जाना जाता है और जन्माष्टमी पर पूरे देश में उत्सव का सा माहौल रहता है। मैं यह भी बताना चाहूंगा कि गृहस्थ संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्माष्टमी मनाते हैं और वैष्णव संप्रदाय के लोग कृष्ण जन्म उत्सव मनाते हैं।


जन्माष्टमी पर पूजन व‍िध‍ि- 
शुभ मुहूर्त में बाल कृष्ण को सबसे पहले दूध से स्नान कराएं।
फिर दही, घी, शहद से नहलाएं. अब गंगाजल से स्नान कराएं।
इन चीजों को एक बड़े बर्तन में एकत्र कर पंचामृत बना लें।
स्नान पूरा होने के बाद बाल गोपाल को सजाएं. लंगोट पहनाएं, उन्हें वस्त्र व गहने पहनाएं।
भगवान कृष्ण के भजन गाएं. चंदन और अक्षत से तिलक करें व धूप, दीप दें।
माखन-मिश्री, तुलसी पत्ता का भोग लगाएं।
अब बाल गोपाल को झूले पर झुलाएं। 
भजन-कीर्तन करें।  
बाल गोपाल को घर में बने भोग प्रसाद के रूप में अर्पित करें।
धनिए की पंजीरी, खीर, मिठाई, पंचामृत आदि अर्पित करें।


गुरमीत बेदी 
gurmitbedi@gmail.com


 
 


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Content Writer

Jyoti

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