Jagannath Rath Yatra: हर साल नया रथ, पर परंपरा वही, आखिर कौन बनाता है भगवान जगन्नाथ का रथ ?

punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 08:56 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Jagannath Rath Yatra: इस साल 2025 में जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ 27 जून से हो रहा है। यह यात्रा ओडिशा के पुरी स्थित प्रसिद्ध श्री जगन्नाथ मंदिर से आरंभ होती है और गुंडिचा मंदिर तक जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भगवान जगन्नाथ वर्ष में एक बार अपनी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ अपनी मौसी के घर, यानी गुंडिचा मंदिर, जाते हैं। इसी यात्रा को पूरे श्रद्धा और उत्साह के साथ रथ यात्रा के रूप में मनाया जाता है। लेकिन यह केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था और परंपरा का जीवंत संगम है, जिसके पीछे महीनों की निष्ठापूर्वक की गई तैयारी छुपी होती है। इस पवित्र यात्रा के लिए हर साल तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के लिए। इन रथों का निर्माण कोई आम काम नहीं होता, बल्कि यह पीढ़ियों से चली आ रही एक विशेष परंपरा है, जिसमें कुछ चुने हुए कारीगर ही भाग लेते हैं। रथों के निर्माण में प्रयोग की जाने वाली लकड़ी भी खास प्रकार की होती है, और पूरी प्रक्रिया पारंपरिक तरीकों से संपन्न होती है बिना किसी आधुनिक मशीन या उपकरण के। यह एक ऐसी सदियों पुरानी कला है, जो आज भी पूरे सम्मान और नियमों के साथ निभाई जाती है।

PunjabKesari Jagannath Rath Yatra

रथ के प्रकार 

तालध्वज रथ: भगवान बलभद्र का रथ
दर्पदलन रथ: देवी सुभद्रा का रथ
नंदीघोष रथ:  भगवान जगन्नाथ का रथ

जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए रथों का निर्माण एक अत्यंत पवित्र और पारंपरिक प्रक्रिया होती है, जिसे कोई एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सात विशिष्ट पारंपरिक समुदायों की साझेदारी से अंजाम दिया जाता है। यह सिर्फ कारीगरी नहीं, बल्कि एक धार्मिक अनुष्ठान की तरह होती है, जिसमें हर कदम विधिपूर्वक और शुद्धता के साथ उठाया जाता है। इस महायोजना की शुरुआत हर वर्ष अक्षय तृतीया के पावन दिन होती है, जब सबसे पहले रथों के लिए उपयोग की जाने वाली विशेष लकड़ी की कटाई का कार्य प्रारंभ किया जाता है। यह दिन शुभ माना जाता है और इसे रथ निर्माण की पहली ईंट के समान देखा जाता है।

 रथ निर्माण में भाग लेने वाले प्रमुख समुदाय

विश्वकर्मा समुदाय: जगन्नाथ रथ यात्रा में रथ निर्माण की पूरी प्रक्रिया में विश्वकर्मा समुदाय की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है। यही वो लोग होते हैं जो रथ की बुनियादी संरचना को आकार देते हैं- रथ की ऊंचाई, चौड़ाई, और उसका संपूर्ण ढांचा इन्हीं कुशल हाथों की देन होता है।

बढ़ई समुदाय: जगन्नाथ रथ यात्रा के रथों को आकार देने में बढ़ई समुदाय का योगदान बेहद महत्वपूर्ण होता है। रथ निर्माण में जितने भी लकड़ी के हिस्से होते हैं- चाहे वो पहिए हों, धुरी, खंभे या सीढ़ियां, इन्हें तराशने और जोड़ने का जिम्मा इन्हीं कुशल हाथों का होता है। लकड़ी की कटाई, घिसाई और जोड़ाई का हर काम ये बड़े ही निपुणता और परंपरा के अनुसार करते हैं।

PunjabKesari Jagannath Rath Yatra

कुम्हार समुदाय: यह समुदाय तीनों रथों के भारी-भरकम और मजबूत पहियों को तैयार करता है। प्रत्येक रथ के लिए कुल चार बड़े पहिये बनाए जाते हैं, जो रथ की यात्रा में उसकी मजबूती और स्थिरता का आधार होते हैं।

लोहार समुदाय: रथ के निर्माण में लोहार समुदाय की भूमिका बेहद अहम होती है। ये लोग रथ में इस्तेमाल होने वाले लोहे के सभी हिस्सों- जैसे कील, पट्टियां और जोड़ों को बनाते हैं और उन्हें मजबूती से जोड़ने का काम करते हैं। इनके बिना रथ के ढांचे को सटीकता और मजबूती देना संभव नहीं होता।

दर्जी समुदाय: दर्जी समुदाय का काम रथों को ढकने वाले सुंदर कपड़े बनाना होता है, साथ ही ये भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के पारंपरिक वस्त्र भी तैयार करते हैं। रथों की खास पहचान और भव्यता इन्हीं रंगीन और आकर्षक कपड़ों से बढ़ती है, जो पूरी यात्रा को एक अलग ही सौंदर्य प्रदान करते हैं।

माली समुदाय: रथों की भव्य सजावट का मुख्य हिस्सा माली समुदाय की मेहनत से तैयार होता है। ये फूलों की मालाएं, तोरण और अन्य सजावटी वस्तुएं बनाते हैं, जो रथों की शोभा को चार चांद लगा देती हैं। इनके द्वारा की गई सजावट रथ यात्रा को और भी आकर्षक और दिव्य बना देती है।

चित्रकार समुदाय: रथों की खूबसूरती और पहचान बनाने का काम चित्रकार समुदाय के कारीगरों के हाथों होता है। ये लोग रथों पर पारंपरिक चित्र, प्रतीक और रंग-बिरंगे डिजाइन बनाते हैं, जो हर रथ को अपनी अलग खासियत और सांस्कृतिक पहचान देते हैं। इनकी कला रथों को एक जीवंत और दिव्य स्वरूप प्रदान करती है।

PunjabKesari Jagannath Rath Yatra


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News