विवाह से पहले वर-कन्या के इस गुण का मिलान करना होता है ज़रूरी

punjabkesari.in Thursday, Mar 04, 2021 - 06:17 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार हिंदू धर्म में विवाह के दौरान कुंडलियों का मिलान अधिक आवश्यक होता है। शादी के बाद दंपत्ति का जीवन कैसा होगा ये, इसके लिए इनकी कुंडलियों के गुणों पर ही निर्भर करता है। मगर वे गुण कौन-कौन से होते हैं, इस बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। तो आपको बता दें वर-कन्या के विवाह के लिए अष्टकूट गुण का मिलान करना ज़रूरी होता है। जिसमें 8 प्रमुख बातों पर विचार करना आवश्यक होता है। ज्योतिषी बताते हैं कि अष्कूट मिलान में वर व कन्या के जन्म नक्षत्र का प्रयोग किया जाता है। परंतु अगर जिस व्यक्ति को अपने जन्म नक्षत्र न पता हो, उसके नामाक्षर के आधार पर नक्षत्र देख इस गुण का मिलान किया जाता है। आइए अब जानते हैं कौन से इनके वो आठ गुण- 

-वर्ण
वर्ण मानसिक अभिरुचियों से संबंधित होता है, जिसमें चार वर्ण होते हैं। अंग्रेजी भाषा में इसे एटीट्यूड कहते हैं।

-वश्यय
वश्यय भावनात्मक संबंध को दर्शाता है।

-तारा
ये भाग्योदय का द्योतक माना जाता है, जिसका संबंध वर-कन्या दोनों ही की सफलता से होता है।

-योनि
योनि प्रणय संबंध को दर्शाता है, इसमें प्रत्येक नक्षत्र को अश्व, श्वान, गज आदि जीवों से जोड़ा गया है।

-ग्रहमैत्री
ग्रहमैत्री के आधार पर आपसी विश्वास और सहयोग की स्थिति का आंकलन किया जाता है।

-गण
गण कुटुम्ब के साथ संबंध और सामंजस्य का आंकलन होता है।

-भकूट
भकूट से दाम्पत्य जीवन में मधुरता और प्रेम का आंकलन किया जाता है। 

-नाड़ी
नाड़ी दाम्पत्य जीवन में स्थिरता का द्योतक माना गया है। नाड़ी मात्र तीन होती हैं. मध्य, आदि और अंत्य नाड़ी। नाड़़ी अलग होने पर ही नाड़ी मिलान माना जाता है।

उपरोक्त 8 पैमानों के आधार पर गुण मिलान किया जाता है। इन सभी का कुल योग अंक 36 होता है, जिनमें से 18 या इससे अधिक गुण मिलने पर मिलान शुभ माना जाता है। साथ ही नाड़ी और भकूट पर विशेष विचार किया जाता है। नाड़ी और भकूट के अंक क्रमशः 8 और 7 होते हैं।

जब ये दोनों मिल जाते हैं, तो कुंडली मिलान की संभावना अत्यंत प्रबल हो जाती है। इन दोनों के सकारात्मक होने पर कुल 15 अंक का योग गुण मिलान में बन जाता है। जब ये गुण मिल जाते हैं तो इनके अलावा मांगलिक दोष पर भी विचार किया जाता है। ज्योतिषी बताते हैं जन्मनक्षत्र के पता न होने पर ही विवाहादि में नामाक्षर नक्षत्र पर विचार होता है।


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Content Writer

Jyoti

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