International Men Day 2023: अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस आज, जानें क्या है इसके पीछे का इतिहास

punjabkesari.in Sunday, Nov 19, 2023 - 09:11 AM (IST)

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International Men Day: इस समाज में पुरुषों को हर क्षेत्र में अग्रणी माना जाता है। हालांकि आज महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं हैं लेकिन पुरुष आर्थिक, भावनात्मक, सामाजिक और शारीरिक रूप से महिलाओं से अधिक मजबूत माने जाते हैं और परिस्थितियों ने उन्हें मजबूत बनाया है। इस स्थिति के कारण मनुष्य से अधिक बल, शक्ति, साहस की अपेक्षा की जाती है। यदि भारतीय पुरुष ने स्वयं को एक अग्रणी के रूप में स्वीकार कर लिया है, तो स्पष्ट है कि उसे इस नेतृत्व के योग्य बनना ही होगा।

आज अंतरराष्ट्रीय पुरुष दिवस है, जो हर साल 19 नवम्बर को मनाया जाता है, लेकिन महिला दिवस के विपरीत, इस दिन कोई विशेष उत्सव नहीं होता।
बहुत से लोगों को यह भी पता नहीं है कि विशेष रूप से पुरुषों को समर्पित भी एक दिन होता है। अधिकतर पुरुषों के अनुसार अक्सर मजाकिया लहजे में कहा जाता है कि एक दिन बहुत छोटा है क्योंकि ‘बाकी साल वैसे भी महिलाओं का ही होता है’।

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History of Men Day पुरुष दिवस का इतिहास

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत 1909 में हो गई थी। इसे देखते हुए पुरुषों ने भी अलग से पुरुष दिवस मनाने की मांग की। पुरुष 1969 से अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का आह्वान कर रहे थे। अंतत: अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस की शुरुआत 1999 में त्रिनिदाद और टोबैगो के डॉक्टर जेरोम तेलुकसिंघ द्वारा की गई। उन्होंने अपने पिता के जन्मदिन का सम्मान करने के लिए 19 नवम्बर की तारीख चुनी।

भारत में अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का उद्घाटन समारोह 19 नवम्बर, 2007 को अग्रणी भारतीय पुरुष अधिकार संगठन द्वारा आयोजित किया गया था। 19 नवम्बर की तारीख इस तथ्य के आधार पर स्वीकार की गई कि ऑस्ट्रेलिया और वैस्ट इंडीज (जमैका, त्रिनिदाद और टोबैगो) पहले से ही 19 नवम्बर का दिन अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस के तौर पर मना रहे थे।वर्ष 2008 में, यह कार्यक्रम भारत में फिर से मनाया गया और इसे जारी रखने की योजना बनाई गई। तब से हर साल 19 नवम्बर को भारत में भी अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाया जाने लगा।

Purpose of men day पुरुष दिवस का उद्देश्य
यह दिन पुरुषों के जीवन के संघर्ष को दर्शाता है। यह उनकी उपलब्धियों और समाज व परिवार के प्रति योगदान को याद करने का बेहतर अवसर है। राष्ट्र, संघ, समाज, समुदाय, परिवार, विवाह और बच्चों की देखभाल में उनके योगदान के लिए पुरुषों को भी विशेष रूप से धन्यवाद दिया जाना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस का उद्देश्य पुरुषों के मुद्दों के बारे में बुनियादी जागरूकता को बढ़ावा देना है इसलिए यह दिन उन सभी मुद्दों को संबोधित करने के लिए वार्षिक आधार पर मनाया जाता है, जिनका सामना पुरुष  वैश्विक स्तर  पर  चुपचाप करते हैं।

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अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस मनाने का उद्देश्य न केवल पुरुषों और लड़कों से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना है, बल्कि पुरुषों के मानसिक स्वास्थ्य को नियंत्रण में रखना और पुरुष आत्महत्या की घटनाओं को कम करना भी है। कुछ लोग सोचते हैं कि पुरुषों को दुनिया घूमने के लिए अधिक आजादी और अधिक अवसर मिलते हैं, तो यह भी सोचना चाहिए कि अवसरों के साथ-साथ जिम्मेदारियां भी अधिक मिलती हैं। परिवार में चाहे कितने भी लोग हों, सभी का खर्च उठाना उसकी नैतिक जिम्मेदारी बन जाती है। यदि वह इस जिम्मेदारी को पूरा करने में विफल रहता है तो इससे उसे बहुत शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। उसे निकम्मा कहा जाता है, जो अपना घर भी नहीं संभाल पाता।

इसके अतिरिक्त, अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस उन पुरुषों के योगदान को याद करके मनाया जाता है, जो अपने देश के युवाओं को सकारात्मक रूप से प्रभावित और रोल मॉडल के रूप में कार्य करते हैं। सीमा पर तैनात सेना के सभी जवान इस देश की रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालने के लिए तैयार एवं तत्पर रहते हैं। अंतर्राष्ट्रीय पुरुष दिवस पुरुषों को अपने जीवन में युवाओं को एक पुरुष होने के मूल्यों, चरित्र और जिम्मेदारियों को सिखाने के लिए भी प्रोत्साहित करता है।

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महात्मा गांधी ने कहा था कि हमें वह बदलाव बनना चाहिए, जो हम चाहते हैं, जिस बदलाव के बारे में हम सोचते हैं। यह तभी संभव है जब हम सभी, पुरुष और महिलाएं, मिलकर सोचें कि हम एक निष्पक्ष और सुरक्षित समाज बनाएंगे, जो सभी को समृद्ध होने का मौका देगा। संक्षेप में, यह पुरुषों के लिए और पुरुषों के बारे में एक दिन है और यह परिवार, समाज और दुनिया में पुरुषों की भूमिका को दर्शाता है। इसका उद्देश्य पुरुषों के स्वास्थ्य और कल्याण में व्यावहारिक सुधार करना है। यदि पुरुषों और महिलाओं को समाज में और लोगों की सोच में समान अधिकार मिलेंगे तो दोनों की स्थिति में सुधार होगा। महिलाओं की आदतें, उनकी इच्छाएं और हुनर घर की चारदीवारी तक ही सीमित नहीं रहेंगे और पुरुष भी अतिरिक्त मानसिक बोझ से और आत्महत्या जैसे घोर अपराध से भी बच जाएगा।
 


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Content Editor

Prachi Sharma

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