Inspirational Story: आपके मन में भी आता है यह भाव तो आप हैं सच्चे सेवक

punjabkesari.in Thursday, May 11, 2023 - 09:53 AM (IST)

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Inspirational Story: एक बार दो पड़ोसी राज्यों में युद्ध छिड़ गया। बहुत भयानक युद्ध चल रहा था। युद्ध में बहुत सारे सैनिक घायल हो जाते थे। दोनों राज्यों की सेना में ऐसे कर्मचारी भर्ती किए गए थे जिनका काम था युद्धस्थल पर जाकर अपनी-अपनी सेना के घायल सैनिकों की मरहम पट्टी करना और उन्हें पानी पिलाना।

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उनमें से एक राज्य की सेना का एक कर्मचारी था पंरणडव। वह युद्धस्थल पर जाता और घायल सैनिकों को पानी पिलाता और उनकी मरहम पट्टी करता। उसे जो भी घायल सैनिक नजर आता, चाहे वह उसकी अपनी सेना का हो या विरोधी राज्य की सेना का, उन सभी की सेवा करता। इस बात को लेकर उसके पक्ष के कुछ सैनिकों ने राजा को शिकायत की कि पंडवरण विरोधी राज्य के घायल सैनिकों की भी मरहम पट्टी करता है और उन्हें पानी पिलाता है। राजा ने तुरंत उसे बुलाया और पूछा- पंडवरण ! तुम्हें अपने राज्य के घायल सैनिकों की सेवा के लिए रखा गया है, किन्तु तुम तो विरोधी राज्य की सेना के घायल सैनिकों की भी सेवा कर रहे हो। ऐसा क्यों ?

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पंडवरण बोला- महाराज मेरा कर्म है कि मैं घायलों की सेवा करूं। मैं जब युद्ध स्थल पर जाता हूं तो मुझे सिर्फ दर्द से कराहते घायल मानव नजर आते हैं। मुझे उनमें अपना या विरोधी नजर नहीं आता। मुझे सिर्फ अपना कर्म याद रहता है इसलिए मैं हर घायल की सेवा करता हूं।

पंडवरण की बात सुनकर राजा ने उसे गले से लगा लिया और कहा, ‘‘पंडवरण तुम सच्चे सेवक हो।’’

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कथा का सार यह है कि सेवा कर्म में अपने और पराए का भेद नहीं किया जा सकता। संपूर्ण मानव जाति की समान दृष्टि से सेवा ही सच्ची सेवा है। वह सहज दयावश और मानवता के नाते की जानी चाहिए।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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