Inspirational Context: संतोष से मिलता है जीवन को स्थिरता और समृद्धि का पथ

punjabkesari.in Sunday, Aug 10, 2025 - 03:31 PM (IST)

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Inspirational Context: वर्तमान में हम ऐसे आधुनिक युग में जी रहे हैं, जहां एक तरफ भौतिक समृद्धि अपनी ऊंचाई पर है, दूसरी ओर चारित्रिक पतन की गहराई है। आधुनिकीकरण में उलझा मानव सफलता की नित नई परिभाषाएं खोजता और खुद की ही अंतहीन इच्छाओं के रेगिस्तान में भटकता रहता है। ऐसे समय में सच्ची सफलता और सच्चे सुख-शान्ति की प्यास से आकुल-व्याकुल हर व्यक्ति मृग-मरीचिका के समान भ्रमित होकर अनेक मानसिक रोगों का शिकार बनता जा रहा है, क्योंकि बाहरी दुनिया की चमक-दमक ने हमें इस कदर घेर लिया है कि हम यह भूल गए हैं कि आंतरिक संतुलन ही वास्तविक सुख की कुंजी है।

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परन्तु हममें से कितने लोगों को इस बात का ज्ञान है कि जीवन में सफलता प्राप्त करना और सफल जीवन जीना ये दो अलग-अलग बातें हैं। यह जरूरी नहीं, कि जिसने अपने जीवन में साधारण कामनाओं को हासिल कर लिया हो, वह पूर्णत: संतुष्ट और प्रसन्न हो। आज बहुत से ऐसे उदाहरण हमारे समक्ष हैं, जहां धन, प्रतिष्ठा और प्रसिद्धि प्राप्त करने के बाद भी व्यक्ति बेचैनी, तनाव और अकेलेपन से घिरा होता है। इसका कारण यह है कि हमने आत्मा की शांति को नजरअंदाज कर दिया है। अत: हमें गंभीरतापूर्वक इस बात को समझना चाहिए कि इच्छित फल को प्राप्त कर लेना ही सफलता नहीं है।

जब तक हम अपने जीवन में नैतिक एवं आध्यात्मिक मूल्यों का सिंचन नहीं करेंगे, तब तक यथार्थ सफलता पाना हमारे लिए मुश्किल ही नहीं, अपितु असंभव कार्य हो जाएगा क्योंकि बिना मूल्यों के हासिल की हुई सफलता केवल क्षणभंगुर सुख के समान होती है, न कि सदा काल के लिए। वास्तविक सफलता वह है, जो हमें आत्मिक शांति, संतोष और समाज के प्रति उत्तरदायित्व का भाव दे। बदलते परिवेश में मनुष्य ने ऐसे साधन बनाने में बेशक सफलता तो पाई है, जिनसे हम हफ्तों की दूरी घंटों में और घंटों की दूरी मिनटों में तय कर सकते हैं, परन्तु यही साधन दिलों की दूरियां कम करने में नाकाम रहे हैं।

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हमने सागर की गहराई में जाकर मोती खोजना तो सीख लिया, किंतु अपने मन की गहराई में जाकर सुख-शान्ति को खोजना अब तक नहीं सीख पाए। हमने नवीनतम तकनीक को तो अपना लिया, पर जीवन के वास्तविक उद्देश्य को समझने की कोशिश नहीं की। यही एक बड़ा कारण है कि मनुष्य आज भटक रहा है और अकेलापन व अधूरापन उसके स्थायी साथी बन गए हैं। कुछ लोगों का यह कहना होता है कि हम सफल नहीं हो सकते क्योंकि हमारी तकदीर या परिस्थितियां ही ऐसी हैं। परन्तु यदि हम अपना ध्येय निश्चित कर लें, तो फिर सफलता स्वयं ही हमारी ओर ङ्क्षखची चली आएगी। महापुरुषों का जीवन इस बात का उदाहरण है कि कठिनाइयां चाहे कितनी भी हों, यदि संकल्प दृढ़ हो तो कोई भी मंजिल दूर नहीं होती। स्वामी विवेकानंद, अब्दुल कलाम या महात्मा गांधी, इन सभी ने कठिन हालातों में भी सफलता के शिखर को छूआ क्योंकि उनके जीवन का दृष्टिकोण सकारात्मक था।

याद रहे! सफल होना हर मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है, परन्तु यदि हम अपनी असफलताओं के बारे में ही सोचते रहेंगे, तो सफलता को कभी हासिल नहीं कर पाएंगे। अत: असफलताओं की चिंता न करें क्योंकि वे तो हमारे जीवन का सौंदर्य हैं और संघर्ष जीवन का काव्य है। कई बार प्रथम आघात में पत्थर नहीं टूट पाता, उसे तोडऩे के लिए कई बार आघात करना पड़ता है। इसलिए सदैव अपने लक्ष्य को सामने रख कर जरूरत है बस आगे बढ़ते रहने की। स्मरण रहे! हर नया प्रयास एक नई आशा को जन्म देता है। मन में विश्वास हो और हृदय में उत्साह, तो असंभव कार्य भी संभव बन जाता है। इसलिए तो कहा गया है कि ‘जीवन में सकारात्मक रूप से कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती।’ यही सकारात्मक सोच हमें न केवल सफलता दिला सकती है, बल्कि वह संतोष और आत्मिक संतुलन भी प्रदान कर सकती है, जिसकी तलाश में आज हर कोई भटक रहा है।

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Content Editor

Sarita Thapa

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