प्रेमानंद महाराज से सीखें साधारण जीवन में शिव का दिव्य स्पर्श पाने के 5 आसान तरीके
punjabkesari.in Wednesday, Nov 26, 2025 - 02:45 PM (IST)
Maharaj Premanand Teachings: वृंदावन के पूज्य संत, प्रेमानंद महाराज अपनी सरल वाणी और गहन आध्यात्मिक ज्ञान के लिए जाने जाते हैं। वे अक्सर भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त करने के अत्यंत सहज और व्यावहारिक तरीके बताते हैं। शिव जी का आशीर्वाद पाने के लिए भी महाराज जी कुछ बहुत ही मूलभूत सिद्धांतों पर जोर देते हैं, जिन्हें अपनाकर कोई भी भक्त आसानी से उनकी कृपा प्राप्त कर सकता है। तो आइए जानते हैं प्रेमानंद महाराज के उपदेशों के आधार पर साधारण जीवन में शिव जी का दिव्य स्पर्श पाने के 5 आसान तरीके के बारे में-

मन को शुद्ध रखें
प्रेमानंद महाराज जी का मत है कि भगवान शिव को बाहरी आडंबर या महंगी पूजा-सामग्री से अधिक, भक्त का शुद्ध मन प्रिय है। अपने हृदय को ईर्ष्या, द्वेष, लोभ और क्रोध से मुक्त रखें। शिवजी वैरागी हैं और वे सरल, निर्मल मन में ही निवास करते हैं। यदि आप किसी की निंदा करते हैं या किसी के प्रति बुरा भाव रखते हैं, तो कितनी भी पूजा कर लें, कृपा प्राप्त नहीं होगी। मन को शुद्ध रखना ही सबसे बड़ी पूजा है।
सहज भाव से स्वीकार करें
शिवजी को भोलेनाथ इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे अत्यंत सरल हैं और सहजता से प्रसन्न हो जाते हैं। जीवन में जो कुछ भी मिला है, उसे भगवान का प्रसाद मानकर संतोष रखें। जटिलता और दिखावे से दूर रहें। यदि आपके पास केवल एक लोटा जल है, तो उसे ही सच्चे और सरल भाव से अर्पित करें। शिवजी को फल-फूल या महंगे चढ़ावे नहीं, बल्कि आपका सहज स्वीकार भाव चाहिए।

नियमित नाम जप करें
प्रेमानंद महाराज हमेशा नाम जप पर विशेष बल देते हैं और शिवजी की कृपा के लिए भी यह अत्यंत महत्वपूर्ण है। अपने दैनिक जीवन के कार्यों के दौरान भी शिवजी के नाम का लगातार स्मरण करते रहें, जैसे: 'ॐ नमः शिवाय'। नाम जप मानसिक शांति देता है और आपको चौबीसों घंटे भगवान से जोड़े रखता है। यह सबसे सरल और सबसे शक्तिशाली योग है, जो बिना किसी सामग्री के किया जा सकता है।
सत्य बोलें और धार्मिक बनें
भगवान शिव सत्य और धर्म के पालनकर्ता हैं। अपने कर्मों में सत्यता और ईमानदारी बनाए रखें। किसी को धोखा न दें और अपने कर्तव्यों का पालन करें। जो व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलता है, शिवजी स्वतः ही उसकी रक्षा करते हैं। नैतिकता ही शिव कृपा की आधारशिला है।
दूसरों के कल्याण की भावना रखें
शिवजी स्वयं नीलकंठ हैं, जिन्होंने संसार के कल्याण के लिए विषपान किया। केवल अपने लिए नहीं, बल्कि पूरे जगत के कल्याण के लिए प्रार्थना करें। दूसरों की मदद करने का भाव रखें। शिवजी उन लोगों पर जल्दी प्रसन्न होते हैं जो निःस्वार्थ भाव से दूसरों की सेवा करते हैं।

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