Inspirational Context: पूर्ण शिक्षा प्राप्त करने के लिए इस चीज का करना पड़ता है त्याग

punjabkesari.in Tuesday, Mar 12, 2024 - 11:02 AM (IST)

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Inspirational Context: एक राजा को पढ़ने-लिखने का बहुत शौक था। एक बार उसने मंत्रिपरिषद के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक की व्यवस्था की। शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए रोज आने लगा। राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई महीने बीत गए, मगर उन्हें कोई लाभ नहीं हुआ।

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गुरु खूब मेहनत करते थे परन्तु राजा को उस शिक्षा का कोई लाभ नहीं हो रहा था। राजा बड़ा परेशान था। गुरु की प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना भी गलत था, क्योंकि वह एक बहुत ही प्रसिद्ध और योग्य गुरु थे। आखिर में एक दिन रानी ने राजा को सलाह दी कि राजन आप इस सवाल का जवाब गुरु जी से ही पूछ कर देखिए।

राजा ने गुरु जी के सामने अपनी जिज्ञासा रखी, “मैं कई महीनों से आप से शिक्षा ग्रहण कर रहा हूं पर मुझे इसका कोई लाभ नहीं हो रहा है। ऐसा क्यों ?”

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गुरु जी ने शांत स्वर में जवाब दिया, “राजन बात बहुत छोटी है परन्तु आप अपने बड़े होने के अहंकार के कराण इसे समझ नहीं पा रहे हैं। आप मुझसे पद और प्रतिष्ठा में बहुत बड़े हैं परन्तु यहां पर आपका और मेरा रिश्ता एक गुरु-शिष्य का है।”

गुरु होने के नाते मेरा स्थान आपसे उच्च होना चाहिए, परन्तु आप स्वयं ऊंचे सिंहासन पर बैठते हैं और मुझे अपने से नीचे के आसन पर बिठाते हैं। यही एक कारण है जिससे आपको ज्ञान नहीं मिल रहा है। कल से अगर आप मुझे ऊंचे आसन पर बिठाएं और स्वयं नीचे बैठें तो आप अवश्य शिक्षा प्राप्त कर पाएंगे। राजा की समझ में बात आ गई। उसने तुरन्त अपनी गलती को स्वीकारा और गुरुवर से उच्च शिक्षा प्राप्त की।

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Content Editor

Prachi Sharma

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