Inspirational Context: ये है जिंदगी का गूढ़ा रहस्य, आप भी अपनाएं एक बार

punjabkesari.in Saturday, Feb 24, 2024 - 11:08 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Inspirational Context: एक धर्मनिष्ठ राजा को एक दिन अपना दोष जानने की इच्छा हुई। सेवकों से लेकर नागरिकों तक सबसे पूछा पर सबने यही कहा कि आप में कोई दोष नहीं। 

वह एक संत के पास पहुंचे। संत से पूछा कि वह अपना दोष कैसे जानें ? 

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संत ने बताया कि शासन का प्रभाव तो हर चीज पर होता है। राजा अत्याचारी हो तो राज्य के मीठे फल भी कड़वे हो जाते हैं। राजा ने उनकी बात सुन ली, पर उनसे सहमत नहीं हुए। वह चले आ रहे थे। तभी उन्होंने एक व्यक्ति को फल तोड़कर खाते देखा। राजा ने उसका स्वाद पूछा तो उसने बताया कि फल बड़े मीठे हैं। 

लौटकर राजा ने अपनी नीतियां बदल दीं। संत के कथन की परीक्षा के लिए प्रजा पर अत्याचार शुरू कर दिए। धर्म की जगह अधर्म को बढ़ावा दिया। प्रजा अत्याचारों से कराह उठी। फिर राजा घूमने निकले। एक व्यक्ति को बुलाया और फल चखने को कहा। उसने फल खाकर अजीब मुंह बनाया। राजा ने भी फल चखा, उन्हें भी कड़वा लगा। दूसरा फल चखा, वह भी वैसा ही निकला। वह परेशान हो उठे। 

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उन्होंने अपने गुरु से संत का कथन और फल वाली बात बताई।

 गुरु ने समझाया, “संत ने मन का गूढ़ रहस्य समझाया है। शांतिपूर्ण और सुखद वातावरण में हमारा मन शांत रहता है, तब हमें स्वादहीन चीजें भी  स्वादिष्ट मालूम पड़ने लगती हैं। लेकिन जब चारों ओर त्राहि-त्राहि मची हो तब मन अशांत रहता है और स्वादिष्ट चीजों का स्वाद भी पता नहीं चलता।” 

राजा ने बात समझ ली और फिर से प्रजा के कल्याण में जुट गए।

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Content Editor

Prachi Sharma

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