क्यों औरतों को मस्जिद में नमाज़ पढ़ने की नहीं है अनुमति ?

punjabkesari.in Saturday, Jun 15, 2019 - 06:37 PM (IST)

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जिस तरह हिंदू धर्म में प्रार्थना का अधिक महत्व है ठीक उसी तरह मुस्लिम धर्म में नमाज़ पढ़ना अति अवाश्यक माना जाता है। इस्लाम धर्म के अनुसार दिन में 5 बार नमाज़ पढ़ी जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस्लाम धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार औरतों का मस्जिद में जाकर नमाज़ पढ़ना निषेध यानि वर्जित है। इतना ही नहीं बल्कि खासतौर पर भारत और पाकिस्तान में महिलाओं को ईदगाह में जाने तक की मनाही है। पर ऐसा क्यों है? आख़िर क्यों भारत व पाकिस्तान में इस मान्यता के चलते औरतों को नमाज़ अदा करने के लिए मस्जिद में नहीं जाने दिया जाता? क्या इसके पीछे कोई धार्मिक कारण है? या फिर इसके पीछे का कोई और कारण या रहस्य है? इससे पहले कि आपके दिमाग में इस तरह के और कई प्रश्न आने लगे चलिए हम आपको बताते हैं इससे जुड़ी खास जानकारी। 
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इंटेरनशनल इस्लामिक रिसर्च सेंटर द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एक मुस्लिम महिला ने डॉ. जाकिर नाईक से यह प्रश्न पूछा। जिसका उत्तर देते हुए नाईक ने कहा कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में जाकर नमाज पढ़ना और ईदगाह में जाने की महानी केवल भारत और पाकिस्ताम में है। हालांकि उन्होंने बताया कि कुरान में कहीं भी किसी भी पन्ने पर ऐसा उल्लेख नहीं मिलता कि मुस्लिम महिलाओं को मस्जिद में जाकर नमाज अदा नहीं करनी चाहिए। आगे उन्होंने कहा कि इस्लाम को देखने के लिए केवल भारत और पाकिस्तान को मत देखो। इसके लिए कुरान को देखो। कई हदीसे हैं, शहीह-अल-बुखारी के भाग एक के हदीथ संख्या-825 का हवाला देते हुआ जाकिर नाईक ने कहा कि महिला को मस्जिद में जाने से मत रोको ऐसा अल्लाह के रसूल फरमाते हैं। फिर शहीह-अल-बुखारी भाग एक के हदीथ संख्या-824 का हवाला देते उन्होंने कहा कि इसमें अल्लाह के रसूल फरमाते हैं कि अगर कोई मुस्लिम महिला रात को भी मस्जिद में जाना चाहती हैं तो उन्हें मत रोको।
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जाकिर नाईक इस बारे में आगे बताते हैं कि मस्जिद में औरतों जा सकती हैं पर भारत और पाकिस्तान में ऐसा क्यों है ये तो वहां के केवल इमाम बता सकते हैं। क्योंकि कुरान में तो ऐसा लिखा है कि महिलाएं मस्जिद में जा सकती हैं। बता दें कि कोलकाता में ऐसी दो मस्जिदें हैं जहां मुस्लिम महिला जा सकती हैं।


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Jyoti

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