Hariyali Teej Vrat Katha: वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि के लिए पढ़ें हरियाली तीज व्रत कथा

punjabkesari.in Sunday, Jul 27, 2025 - 06:42 AM (IST)

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Hariyali Teej Vrat Katha 2025: हरियाली तीज नारी शक्ति का पर्व है। यह व्रत नारी के प्रेम, समर्पण और शक्ति का प्रतीक है। विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत करती हैं। इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में सामंजस्य और प्रेम बढ़ता है। अखंड सौभाग्य के साथ पति की उम्र लंबी होती है और रिश्ते में मजबूती आती है। प्रकृति से जुड़ाव होता है। हरियाली और पर्यावरण के प्रति आदर का भाव उत्पन्न होता है। पुण्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। शिव-पार्वती की पूजा से जीवन के पाप क्षय होते हैं और आध्यात्मिक उत्थान होता है। हरियाली तीज व्रत की कथा शिव-पार्वती के पुनर्मिलन की पवित्र गाथा है। जिसे व्रत के दिन सुनना या पढ़ना अत्यंत पुण्यकारी माना जाता है:

Hariyali Teej Vrat Katha
Hariyali Teej Vrat Katha हरियाली तीज व्रत कथा:  बहुत पुराने समय की बात है। देवी सती जिन्होंने पहले जन्म में शिवजी से विवाह किया था, अपने पिता दक्ष के यज्ञ में जाकर आत्मदाह कर लेती हैं क्योंकि उनके पिता ने शिवजी का अपमान किया था। सती का शरीर छिन-भिन्न हो गया और शिवजी गहन तपस्या में लीन हो गए।

पुनः सती ने पार्वती के रूप में हिमालय राज के घर जन्म लिया। पार्वती बचपन से ही शिवजी को पति रूप में पाने की इच्छा रखती थीं। नारद मुनि ने माता पार्वती को बताया कि यदि वे शिवजी को पति रूप में प्राप्त करना चाहती हैं तो उन्हें कठोर तप करना होगा।

Hariyali Teej Vrat Katha
पार्वती जी ने घने जंगल में जाकर वर्षों तक तपस्या की। वह सूखी पत्तियां खाकर, फिर बिना अन्न-जल के कठोर व्रत करती रहीं। उन्होंने कई वर्षों तक तीज के दिन निर्जल व्रत रखा और शिवजी की आराधना करती रहीं।

शिवजी पार्वती के इस अद्भुत तप से प्रसन्न हुए लेकिन वे उनकी परीक्षा लेना चाहते थे। उन्होंने एक ब्राह्मण रूप धरकर पार्वती के पास जाकर कहा, “हे कन्या! तुम शिव को क्यों पति बनाना चाहती हो? वे जटाधारी हैं, भस्म लपेटते हैं, सर्प धारण करते हैं। वे तुम्हारे योग्य नहीं हैं।”

यह सुनकर पार्वती मुस्कुराईं और दृढ़ स्वर में बोलीं: “मुझे शिव जी ही पति रूप में स्वीकार हैं। मैं जीवन भर व्रत करूंगी, तप करूंगी, परंतु शिव को ही वर रूप में स्वीकार करूंगी।”

शिव जी पार्वती की अडिग श्रद्धा से प्रसन्न होकर अपने वास्तविक रूप में प्रकट हुए और उन्हें पत्नी रूप में स्वीकार कर लिया। उस दिन सावन मास की शुक्ल पक्ष की तीज तिथि थी। तभी से यह दिन हरियाली तीज के रूप में मनाया जाता है।

Hariyali Teej Vrat Katha
कथा का संदेश
यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची श्रद्धा, प्रेम और धैर्य से भगवान को पाया जा सकता है। देवी पार्वती ने जिस दृढ़ निष्ठा और संकल्प से शिव को पाया, वही आदर्श आज भी नारी शक्ति के लिए प्रेरणा है।

Hariyali Teej Vrat Katha
हरियाली तीज कथा के बाद व्रती यह प्रार्थना करें
"हे गौरी मां! जैसे आपने शिवजी को पाया, वैसे ही हम सब पर भी कृपा करें। हमारे वैवाहिक जीवन में प्रेम, सौभाग्य और समृद्धि बनी रहे।"

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Content Writer

Niyati Bhandari

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