Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas: क्यों कहा जाता है गुरु तेग बहादुर जी को हिन्द की चादर ? जानें उनकी अमर शहादत की कहानी

punjabkesari.in Sunday, Nov 23, 2025 - 12:16 PM (IST)

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Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas: सिख इतिहास के नवम् गुरु, श्री गुरु तेग बहादुर साहिब, धर्म-सिद्धांतों के ऐसे प्रहरी के रूप में स्मरण किए जाते हैं, जिनकी शहादत का उदाहरण विश्व इतिहास में अनुपम है। उन्होंने न केवल अपने धर्म की, बल्कि समूचे मानव समाज की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए जो बलिदान दिया, वह अमर और अद्वितीय है।

पंचम पातशाह गुरु अर्जुन देव जी की शहादत के पश्चात नवम् गुरु तेग बहादुर साहिब का बलिदान यह स्पष्ट कर गया कि धर्म मात्र पूजा-पाठ का नाम नहीं, अपितु कर्तव्य, साहस, त्याग और मजलूमों की रक्षा का पवित्र व्रत है। धर्म मनुष्य को सेवा, समर्पण, त्याग और नि:स्वार्थ भावना से ओतप्रोत करता है। श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत का मुख्य उद्देश्य भी यही था- धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा। यद्यपि उनके विरुद्ध कुछ राजनीतिक और व्यक्तिगत षड्यंत्र भी सक्रिय थे, पर उनका केंद्रीय बलिदान मानव-धर्म की रक्षा का था।

Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas

उन्होंने व्यापक धार्मिक यात्राओं के माध्यम से लोगों को अत्याचार के विरुद्ध जागरूक किया। उन्होंने सिखों में संगठन, साहस, आत्मबल और अन्याय के प्रतिरोध की भावना विकसित की।

उनका यह विचार- ‘भै काहू को देत नहीं, न भय मानत आन’- लोगों में निर्भीकता भरता था। यही कारण था कि कट्टरवादी औरंगजेब उनकी बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव से असंतुष्ट था।

सिख संगठन की शक्ति मुगल शासन के लिए एक चुनौती बन रही थी। साथ ही समय-समय पर गुरुगद्दी के संबंध में कुछ निकट संबंधियों द्वारा रची गई साजिशें भी विरोध का कारण रहीं। प्रिथीचंद, मेहरबान, धीरमल्ल और रामराय द्वारा किए गए षड्यंत्र इतिहास में वर्णित हैं। रामराय ने तो स्वयं को गुरु घोषित करने तक का प्रयास किया और औरंगजेब के साथ मिल कर गुरु तेग बहादुर साहिब के विरुद्ध झूठे आरोप लगाए।

औरंगजेब ने जबरन धर्म-परिवर्तन के अपने अभियान को तेज करने के लिए कश्मीर को केंद्र चुना। इतिहासकार मैकालिफ के अनुसार, वह मानता था कि कश्मीरी पंडित यदि इस्लाम अपना लें तो आम जनता को इस्लाम में परिवर्तित करना आसान हो जाएगा। अत: उसने इफ्तिखार खान को कश्मीर भेजा, जिसने तलवार के बल पर पंडितों और पुजारियों को धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किया। अनेक लोग भयवश अपना धर्म और संस्कृति छोड़ने को विवश हो गए।

कश्मीर ही नहीं, बल्कि पूरे हिंदुस्तान में प्रलोभनों और अत्याचारों के माध्यम से हिंदुओं को इस्लाम स्वीकारने के लिए बाध्य किया जा रहा था। जब परिस्थितियां असहनीय हो गईं तो कश्मीरी पंडितों ने एकमात्र आशा के रूप में श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की ओर रुख किया। पंडित कृपा राम के नेतृत्व में उनका प्रतिनिधिमंडल आनंदपुर साहिब पहुंचा और गुरु जी से सहायता की प्रार्थना की।

गुरु जी ने स्थिति को समझते हुए कहा कि वे जाकर औरंगजेब को कहें- यदि वह गुरु तेग बहादुर को इस्लाम धर्म में परिवर्तित कर ले, तो हम सब उसके अधीन हो जाएंगे। यह घोषणा अत्याचार के विरुद्ध एक नैतिक चुनौती थी।

गुरु जी जानते थे कि औरंगजेब उसी बहाने उन्हें गिरफ्तार करना चाहता है। शीघ्र ही जब वह अपने प्रचार-अभियान पर थे, उन्हें आगरा के निकट गिरफ्तार कर लिया गया।

Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas
मुगल शासन द्वारा गुरु जी के सामने तीन शर्तें रखी गईं-

इस्लाम स्वीकार कर लो, तो वैभव और सुख-सुविधाएं मिलेंगी।
करामात दिखाओ, जिससे तुम्हारी आध्यात्मिक शक्ति प्रमाणित हो।
यदि इन दो में से कुछ नहीं स्वीकारना, तो मृत्यु का सामना करो।

गुरु साहिब ने शांत मुस्कान के साथ कहा- ‘धर्म छोड़ने का प्रश्न ही नहीं उठता। करामात दिखाना ईश्वर के कार्य में हस्तक्षेप है। यदि हमारे विचार स्वीकार्य नहीं, तो हम मृत्यु स्वीकार करने को तैयार हैं।’

गुरु साहिब को भयभीत करने के लिए उनके साथ आए तीन महान सिख- भाई मतीदास, भाई सतीदास और भाई दियाला- को अत्यंत क्रूर यातनाएं देकर शहीद किया गया। भाई मतीदास को आरे से चीर दिया गया, भाई दियाला को खौलते कड़ाह में बैठाकर और भाई सतीदास को रुई में लपेटकर जला दिया गया। उनकी दृढ़ता और बलिदान इतिहास में अमर हैं।

अंतत: मार्गशीर्ष सुदी 5 सम्वत्, 1732 को दिल्ली के चांदनी चौक में गुरु तेग बहादुर जी ने शहादत देकर न केवल कश्मीर, बल्कि समस्त भारत के धर्म और संस्कृति को विनाश से बचाया।

उनकी शहादत ने मानवाधिकारों, धार्मिक स्वतंत्रता और सत्य के लिए बलिदान का सर्वोच्च आदर्श स्थापित किया। उनका बलिदान मानवता को मानसिक गुलामी से मुक्त कर निर्भीकता, आत्मबल, त्याग और सत्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है, इसीलिए भारतीय इतिहास में गुरु तेग बहादुर साहिब को ‘हिन्द की चादर’ कहा जाता है- जो मजलूमों की रक्षा के लिए बलिदान दे देते हैं।
 

 Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas


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Content Editor

Prachi Sharma

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