Guru Ram Das Jayanti: आज भी सिख विवाह में किया जाता है चौथे सिख गुरु रामदास जी की 4 लाव का पाठ
punjabkesari.in Wednesday, Oct 08, 2025 - 11:57 AM (IST)

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Guru Ram Das Jayanti 2025: गुरु रामदास जी का जीवन सिखाता है कि सच्चा संत वही है, जो अपने जीवन को परमात्मा के भरोसे जीना जानता है। गुरु रामदास जी की बाणी में गहन दर्शन है। वे कहते कि संसार के सभी संबंध परमात्मा की व्यवस्था हैं। जो संबंध बनाता है, वही उन्हें समाप्त भी करता है। यही कारण है कि उन्होंने माता-पिता की मृत्यु के बाद परमात्मा को ही अपना माता-पिता स्वीकार किया। उनकी बाणी में ‘माई-बाप पुत्र सभि हरि के कीए’ जैसे शब्द इस भाव को सुंदरता से व्यक्त करते हैं। यह समर्पण और संतोष की भावना मानव जीवन की सर्वोच्च अवस्था है।
गुरु रामदास जी का जीवन प्रेम, दया और सेवा का प्रतीक था। उनकी शिक्षा का सार यह था कि सच्चा प्रेम केवल गुरु और परमात्मा में है। सांसारिक वस्तुएं क्षणिक हैं, परंतु गुरु की कृपा और सेवा अमर हैं। वह स्वयं गुरु अमरदास जी की सेवा में इतने रमे कि अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया।
भक्ति, वैराग्य और चार लाव
गुरु रामदास जी ने मानव जीवन की सार्थकता को चार संकल्पों में विभाजित किया, जिन्हें ‘चार लाव’ कहा गया है —
संसार में रहकर भी संसार के मोह से मुक्त रहना।
परमात्मा के भय में प्रेम का अनुभव करना।
परमात्मा से मेल की तीव्र अभिलाषा रखना।
सहज अवस्था प्राप्त करना - जहां आत्मा और परमात्मा एक हो जाएं।
इन चार लावों को ही उन्होंने आत्मिक जीवन के चार चरण कहा। यही कारण है कि आज भी सिख विवाह (आनंद कारज) में इन चार लावों का पाठ और गायन किया जाता है। ये केवल वैवाहिक संस्कार नहीं, बल्कि आध्यात्मिक एकता का प्रतीक हैं। श्री गुरु रामदास जी का जीवन न केवल सिख धर्म, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिए प्रेरणा स्रोत है - वह स्रोत, जो कभी सूखता नहीं, अमृत सरोवर की तरह सदा भरपूर रहता है।
(साभार ‘गुरमत ज्ञान’)