Religious Katha- राजसी ठाठ-बाट में रहने पर भी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी थे संत
punjabkesari.in Monday, Mar 15, 2021 - 07:19 AM (IST)

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Guru gobind singh story- एक बार एक सिख ने श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के लिए असीम प्यार और श्रद्धा से शहर के सबसे बड़े सोनार से अनेक कीमती मोती, माणिक, हीरे, जवाहरात जड़वा कर एक जोड़ी कंगन बनवाए। बड़ी श्रद्धा से उन्हें एक सुंदर रुमाल में लपेटा और चल पड़ा श्री आनंदपुर साहिब की ओर।
What is the story of Guru Gobind Singh- लेकिन गुरु जी के दरबार के राजसी ठाठ-बाट, शानो-शौकत को देखकर चकरा गया। उनके मन में संशय उत्पन्न हुआ, इतने राजसी ठाठ-बाट में रहने वाले गुरु संत कैसे हो सकते हैं? गुरु जी के बारे में पूछा तो पता चला कि वह भ्रमण के लिए शहर के बाहर नदी के तट पर गए हुए हैं। शहर के बाहर पहुंचा तो देखा गुरु जी नदी के किनारे बैठे समाधिलीन हैं। उसने चुपचाप माथा टेका और बैठ गया।
Was Guru Gobind Singh ji a great teacher- थोड़ी देर के बाद गुरु जी ने आंखें खोलीं। सिख ने मस्तक निवाया और जड़ाऊ कंगन उनके चरणों में रख कर बोला, ‘‘गुरु जी! विशेष रूप से आपके लिए बनवा कर लाया हूं। कृपया स्वीकार कीजिए। मेरा जीवन धन्य हो जाएगा।’’
Shri Guru Gobind Singh Ji- गुरु जी मुस्कुरा पड़े और कहने लगे, ‘‘भाई गुरसिखा! कंगन तो वाकई बहुत ही सुंदर और कीमती हैं, बड़े प्यार से बनवाए लगते हैं।’’
Inspirational Story- गुरु जी ने एक कंगन उठाया और बड़ी मस्ती से उसे घुमाते हुए नदी में फैंक दिया। सिख अधीर होकर कहने लगा, ‘‘गुरु जी! यह क्या किया! ये तो अत्यंत मूल्यवान हैं। मैं तो आपके लिए विशेष रूप से बनवा कर लाया हूं। गुरु जी बताइए कि आपने इसे कहां फैंका है? मैं इसे ढूंढ कर बाहर निकाल लाता हूं।’’
Religious Context- गुरु जी ने दूसरा कंगन भी उठाया और निशाना लगाते हुए बताया कि वहां फैंका है। गुरु जी ने सिख के संशय का प्रतीकात्मक शब्दों में उत्तर दे दिया था कि वह संसार के कीचड़ में कमल की तरह पवित्र ढंग से जीते हैं। संसार के ऐश्वर्यों में लिप्त नहीं होते। सिख के नेत्र खुल गए और वह उनके चरणों पर गिर पड़ा।