Muni Shri Tarun Sagar: मौत के सफर की तैयारी...

punjabkesari.in Friday, May 16, 2025 - 02:35 PM (IST)

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मौत का सफर
दिल्ली का सफर करना हो तो कितनी तैयारी करते हो और मौत के लिए ? मौत का सफर भी बड़ा लम्बा है। इस सफर में अंधेरे रास्तों से गुजरना पड़ता है और रास्ते में दाएं-बाएं मुड़ने के न तो कोई निशान होते हैं और न ही किसी मोड़ पर हरी-लाल बत्ती जल रही होती है। इतना ही नहीं, चीख-पुकार करने पर भी कोई सुनने वाला नहीं मिलता।

यहां तुम्हारे घर में चाहे अन्न के भंडार भरे पड़े हों, पर वहां सफर में आटे की एक चुटकी भी साथ नहीं ले जा सकते। भीषण गर्मी में जान सूखती है पर नीम का एक पत्ता तक सिर ढकने को नहीं मिलता। संकट की इस घड़ी में सिर्फ भगवान का नाम ही सहारा होता है।

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गुस्सा और जिद
गुस्सा और जिद आज के जीवन में दो जबरदस्त बुराइयां हैं। पुरुष गुस्से से परेशान हैं तो महिलाएं जिद से दुखी हैं। मैं कहता हूं, ‘‘भाई लोग गुस्सा करना थोड़ा कम कर दें और महिलाएं जिद करने से बाज आ जाएं तो नरक बना यह जीवन आज और अभी स्वर्ग बन जाए।’’  

जिद एक ऐसी दीवार है, जो अगर पति-पत्नी, बाप-बेटे, सास-बहू के बीच में आ जाए तो फिर यह दीवार तोड़नी मुश्किल है। यह दीवार तो नहीं टूटती, रिश्ते जरूर टूट जाते हैं, हां जिद क्रोध की लाडली बहन है। दोनों भाई-बहन में बड़ा प्रेम है।

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भीतर की आंख
यह आंख बड़ी नालायक है, किसी से लड़ जाए तो दुख देती है, किसी से भिड़ जाए तो दुख देती है। अगर यह आ जाए (आई फ्लू) तो दुख देती है और चली जाए तो दुख देती है। जिंदगी में अधिकतर गड़बड़ियां इसी आंख से शुरू होती हैं। तभी तो डंडे भले ही पीठ पर पड़ें तो भी आंसू तो आंख को ही बहाने पड़ते हैं। यह आंख झुक जाए तो हया बन जाती है। आंख के बड़े कारनामे हैं। बाहर की आंख मुंदे, इससे पहले भीतर की आंख खुल जानी चाहिए वरना इतिहास में तुम्हारा नाम अंधों की सूची में दर्ज होगा।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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