Geeta Jayanti: शुभ मुहूर्त के साथ जानें, गीता अवतरण कथा

punjabkesari.in Friday, Dec 22, 2023 - 12:34 PM (IST)

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2023 Gita Jayanti Date and Time: सनातन धर्म के सबसे बड़े धार्मिक ग्रंथ श्रीमद भगवत गीता जी के प्रकट दिवस को ही गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस हर वर्ष मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। जो कि आज 22 दिसंबर 2023 शुक्रवार को मनाया जा रहा है। एकादशी तिथि 22 दिसंबर 2023 को 8:16 ए.एम से आरंभ होकर 23 दिसंबर 2023 को रात्रि 07:11 ए.एम तक रहेगी। कलयुग के आरम्भ से 30 वर्ष पूर्व व आज से लगभग 5160 वर्ष पहले कुरूक्षेत्र युद्धभूमि में श्रीहरि द्वापर युगी अवतार भगवान श्री कृष्ण जब अर्जुन के नंदीघोष नामक रथ पर सारथी रूप में विराजमान थे और अर्जुन को कर्म एवं धर्म का ज्ञान देने हेतु भगवान श्री कृष्ण जी के मुख से श्री गीता का अवतरण हुआ था।

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पतित पावनी श्रीगंगा जो कि भगवान श्रीहरि विष्णु जी के चरणों से अवतरित हुई थी, जिसको इतना अधिक महत्व है कि वह प्राणी के जन्मों-जन्मों के पाप कर्मो को नष्ट कर सकती है व गंगा मैया के प्रभाव से इन्सान को मोक्ष व पितरों को शांति व बैकुंठ धाम की प्राप्ति हो जाती है। आप स्वयं इसके महत्व व प्रभाव का अंदाजा लगा सकते हैं कि श्रीगीता जी का भगवान श्री कृष्ण के मुख से अवतरण हुआ है तो यह कितनी पवित्र व प्रभावशाली एवं महत्वपूर्ण होगी। जिसमें कि आने वाले समय में इन्सान श्रीगीता जी का अनुसरण कर अपना जीवन श्रेष्ठता के साथ व्यतीत कर सकता है।

जब अर्जुन अपने सगे-संबंधियों को युद्धक्षेत्र में अपने सन्मुख देखकर युद्ध करने से इंकार कर देता है तब श्री कृष्ण समय के चक्र को कुछ समय के लिये रोक देते हैं तथा अर्जुन को कर्म व धर्म का ज्ञान देने के लिये श्रीगीता जी का ज्ञान देते हैं व अपने दुर्लभ स्वरूप का भी दर्शन करवाते हैं। श्रीगीता जी का यह ज्ञान श्रीकृष्ण व अर्जुन के मध्य 40 मिनट के संवाद के रूप में है। इस दिव्य व दुर्लभ ज्ञान को श्रीकृष्ण जी द्वारा सुनाये जाने पर अर्जुन के अलावा महर्षि वेदव्यास जी, बर्बरीक, संजय व संजय द्वारा धृतराष्ट्र तथा अर्जुन के रथ पर विराजमान श्री हनुमान जी द्वारा भी श्रवण किया गया था।

श्री कृष्ण द्वारा यह श्रीगीता रूपी दिव्य ज्ञान कुल 700 संस्कृत के श्लोकों के रूप में दिया गया है। भगवान श्री कृष्ण ने इस श्रीगीता जी में स्पष्ट रूप से कहा है कि हे अर्जुन- मैं स्वयं ही ईश्वर हूं। अब से पहले श्रीहरि के जितने भी अवतार हुए पर पहली बार 16 कला सम्पूर्ण श्रीकृष्णावतार में ही प्रभु कहते हैं कि- मैं स्वयं ही इस सृष्टि को रचने व पालने वाला ईश्वर हूं।

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जो किसी भी अन्य धर्म के किसी भी ईष्ट द्वारा नहीं कहा गया। अन्य सभी धर्मों के ईष्टों द्वारा स्वयं को उस ईश्वर के सेवक कहकर ही सम्बोधन किया गया है परन्तु श्रीगीता जी में ही श्रीकृष्ण जी ने स्वयं को ईश्वर कहकर सम्बोधन किया गया है तथा यह भी कहा कि यह दिव्य ज्ञान मैं कोई प्रथम बार नहीं दे रहा पहले भी समय-समय पर धर्म की स्थापना हेतु मैंने यह दिव्य ज्ञान दिया है। तुम्हारे पहले भी कई जन्म हो चुके हैं, जो तुम्हें याद नहीं परन्तु मैं आदि अनादि हूं मैंने यह दिव्य ज्ञान सूर्यदेव को दिया था। महार्षि भृगु जी द्वारा उनके पुत्र शुक्र जी को भी यह दिव्य ज्ञान दिया गया था व महार्षि वेदव्यास जी द्वारा उनके शिष्यों जैसे कि - वैशम्पायन, जैमिनी, पैल को भी यह दिव्य ज्ञान दिया तथा यहीं से ही आगे की आगे यह ज्ञान प्रसारित होते-होते आज कई प्रकाशनों द्वारा प्रसारित की जाती रही है।

Geeta Jayanti 2023: यह दिव्य ज्ञान कुरूक्षेत्र में ज्योतिसर नामक एक छोटे से गांव में एक प्राचीन व विशाल बरगद का वृक्ष है तथा साथ में एक तालाब भी है। यही वह प्राचीन स्थान है, जहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था। हरियाणा सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर श्रीगीता महोत्सव का आयोजन किया जाता है तथा अन्तराष्ट्रीय लेवल पर प्रचार-प्रसार कर मानवता को इस ज्ञान की अनुभूति करवाने के लिये प्रयास किया जाता रहा है।

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Sanjay Dara Singh
AstroGem Scientists
LLB., Graduate Gemologist GIA (Gemological Institute of America), Astrology, Numerology and Vastu (SSM)

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Content Writer

Niyati Bhandari

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