Gayatri Jayanti: सुबह नहीं कर पाए मंत्र जप तो अभी भी है मौका, ऐसे पाएं गायत्री माता की कृपा

punjabkesari.in Monday, Jun 21, 2021 - 03:45 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज 21 जून, 2021 दिन सोमवार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को गायत्री जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। धार्मिक व ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इस दिन खास रूप से गायत्री माता की पूजा तथा गायत्री मंत्र का विधिपूर्वक जप किया जाता है। बता दें धार्मिक शास्त्रों में गायत्री माता को वेदों की जनन माता कहा गया है। इस दिन इनके मंत्रों का जप करने से व हवन आदि के व्यक्ति को कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। इस मंत्र जाप से दुख, पाप, भय, द्वेष आदि जैसे दुर्गुणों का नाश होता है। तो आइए इसी खास अवसर पर जानिए गायत्री मंत्र से जुड़ी बातें- 

गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।

कब करें गायत्री मंत्र का जाप-
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गायत्री मंत्र के साथ साथ प्रत्येक मंत्र का उच्चारण व्यक्ति को तन, मन और वचन से शुद्ध होकर करना चाहिए। बात करें गायत्री मंत्र की तो ज्योतिषी बताते हैं कि इस मंत्र का जाप दिन में तीन बार करना चाहिए। सूर्योदय से ठीक पहले, दोपहर में व सूर्योस्त से ठीक पहले और उसके बाद तक। कहा जाता है कि गायत्री जंयती के दिन इसका जप दोगुना लाभ देता है। 

यहां जानें गायत्री मंत्र के जप से होने वाले फायदों के बारे में- 
जो व्यक्ति प्रत्येक दिन गायत्री मंत्र का जाप 108 बार करता है, तो उसकी स्मरण शक्ति बेहतर व बढ़ोतरी होती है। ज्योतिषी बताते हैं खासतौर पर विद्यार्थियों को इस मंत्र का जाप करना चाहिए, शिक्षा के क्षेत्र में उन्नति मिलती है। 

किसी विशेष कार्य को संपन्न करना हो तो गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। इससे कार्य के शीघ्र सफल होने के आसार अधिक हो जाते हैं।  

इसके अलावा जिन दंपत्ति को संतान न हो, उन्हें भी गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए। विशेष रूप से आज यानि गायत्री जयंती के दिन करना चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इससे संतान की प्राप्ति होती है। 

आर्थिक स्थिती को बेहतर करने के लिए भी गायत्री मंत्र का जप लाभदायक माना जाता है। मान्यता है कि इसके शुभ प्रभाव से जप करने वाले व्यक्ति के जीवन से दरिद्रता समस्त प्रकार के दुखों का नाश होता है। 

शिव गायत्री मंत्र: ॐ तत्पुरुषाय विदमहे, महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात्। इस मंत्र के उच्चारण से जातक को पितृदोष, कालसर्प दोष, राहु-केतु तथा शनि दोष से राहत मिलती है।


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Content Writer

Jyoti

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