Ganga Saptami 2019: जानिए, कैसे हुई गंगा की उत्पत्ति ?

punjabkesari.in Saturday, May 11, 2019 - 11:35 AM (IST)

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हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी का दिन गंगा मां की उत्पत्ति का दिन माना गया है। आज वैशाख शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को यानि 11 मई को गंगा सप्तमी का पर्व मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगीरथ के तप से प्रसन्न होकर गंगा शिव की जटाओं में समाई थी। आज के दिन किया गया गंगा स्नान और दान-पुण्य विशेष महत्व रखता है और स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप मिट जाते हैं व मोक्ष प्राप्त होता है। 
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आज के दिन गंगा तट पर भक्तों का तांता लगा रहेगा। भोर से ही लोग अपनी सुख-समृद्धि की कामना लिए मां गंगा के पावन जल में डुबकी लगाने पहुंचने लगते हैं। स्नान-ध्यान के पश्चात मां गंगा और उन्हें पृथ्वी पर लाने वाले भागीरथ जी की पूजा कर लोगों में प्रसाद बांटा जाता है। सुबह से शाम तक गंगा के घाट गंगा मैया के जयकारों, घंटे-घड़ियालों की गूंज और शंख की मधुर ध्वनि से गुंजायमान होंगे और माता की आराधना के बाद उनकी आरती की जाएगी। चलिए आगे जानते हैं उनके अवतरण की कथा के बारे में।
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एक पौराणिक कथा के अनुसार गंगा का जन्म भगवान विष्णु के पैर के पसीने की बूंदों से हुआ था। वहीं दूसरी मान्यता के अनुसार गंगा भगवान ब्रह्म के कमंडल से हुआ, गंगा सप्तमी के दिन ब्रह्मलोक में रास करते हुए राधा-कृष्ण इतने लीन हो गए कि दोनों मिलकर जल बन गए। उसी जल को ब्रह्मा ने अपने कमंडल में जगह दी। लेकिन सबसे प्रचलित कथा के अनुसार भगीरथ ने पृथ्वी पर कपिल मुनि के श्राप से ग्रसित राजा सगर के 60,000 पुत्रों की अस्थियों के उद्धार और समस्त प्रणियों के जीवन की रक्षा के लिए घोर तपस्या करके मां गंगा को धरती पर लेकर आए थे। 
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कहते हैं कि स्वर्ग लोक में बह रही मां गंगा जब दिए गए वरदान के अनुसार पृथ्वी पर आने के लिए तैयार हुईं तो धरती कांप उठी। उस समय राजा भगीरथ ने  भगवान शिव से प्रार्थना कर मां गंगा के वेग को कम करने का आग्रह किया, तब गंगा सप्तमी के दिन ही गंगा शिव जी की जटाओं में समा गई। इसके बाद कैलाश से बहते हुए फिर धराधाम पर आई। इसलिए कहते हैं कि इस दिन गंगा पूजन करने से सभी तरह के पापों और दोषों से मुक्ति मिल जाती है और यश व मोक्ष की प्राप्ति होती है। 


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