Ganesh Utsav 2021: जब चन्द्रमा को हुआ अपने सौंदर्य का अभिमान, गणेश जी ने दिया श्राप

punjabkesari.in Wednesday, Sep 08, 2021 - 09:25 AM (IST)

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Ganesh chaturthi 2021 september: 10 सितम्बर 2021, शुक्रवार के दिन चतुर्थि तिथि रात्री 9:57 (21:57) तक रहेगी व चन्द्रोदय का समय 9:14 पी.एम तक है अर्थात इस दिन चन्द्र के दर्शन (चन्द्र दर्शन निषेध) नहीं करने चाहिए। दर्शन करने से लग जायेंगे झूठे आरोप। भगवान श्री कृष्ण पर भी लगा था स्यमंतक मणि चोरी का झूठा आरोप। कई बार कहा जाता है की बिना गलती किये भी झूठे आरोप लग जाते है क्योंकि कलयुग के समय में जाने अनजाने कुछ ऐसे कर्म हमारे हाथों हो जाते हैं जिनका परिणाम हमे भुगतना ही पड़ता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन निषिद्ध माना गया है। इसी दिन चन्द्र-दर्शन से भगवान श्रीकृष्ण पर स्यमंतक मणि की चोरी का मिथ्या कलंक लगा था। आइये जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।

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Ganesh chaturthi story: पौराणिक कथा के अनुसार कहते हैं कि एक दिन चन्द्रमा को अपने सौंदर्य का अभिमान हो गया और उन्होंने गणेश जी के स्वरूप के कारण गणेश जी का उपहास कर दिया। अपने तिरस्कार पर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया कि आज से तुम काले-कलंक से युक्त हो हो जाओ तथा जो भी आज के दिन तुम्हारा मुख देखेगा वह भी कलंक का पात्र होगा। उस दिन भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि थी।

चन्द्रमा के क्षमा-याचना करने पर गणपती जी ने कहा- भविष्य में तुम सूर्य से प्रकाश पाकर महीने में एक दिन पूर्णता को प्राप्त करोगे। मेरा श्राप केवल भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को विशेष प्रभावी रहेगा, बाकी चतुर्थियों पर इतना प्रभावी नहीं होगा। इस दिन जो मेरा पूजन करेगा उसका मिथ्या कलंक मिट जायेगा।

चतुर्थी तिथि के स्वामी गणपति हैं। उपरोक्त प्रसंग से लेकर आज तक अनेक लोगों ने गणपतिजी के उस श्राप के प्रभाव का अनुभव किया तथा निरंतर अनुसंधानगत प्रमाणों के कारण आम जनमानस ने भी इसे स्वीकार किया।

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चतुर्थी को चन्द्र दर्शन के निषेध का वैज्ञानिक कारण यह है कि इस दिन सूर्य, चन्द्र और पृथ्वी एक ऐसी त्रिभुज कक्षा में रहते हैं। जिससे प्राणशक्ति की विषमता रहती है अपितु उसमें मारक किरणों की भी सत्ता है। पृथ्वी की ओर सूर्य की सदैव एक ही दिशा नहीं रहती, पृथ्वी के भ्रमण के कारण वह प्रतिक्षण बदलता रहती है। यह दशा चन्द्र पिंड की भी है। सब चतुर्थीयों को और खासकर भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को अपनी चौथी कला दर्शाने वाला चन्द्रमा सूर्य की मृत्यु-किरण वाले भाग से प्रकाशित होता है। हमारा मन चन्द्र से अनुप्राणित (प्रेरित) है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्र-दर्शन करने से हमारा मन भी चन्द्रमा की विकृत तरंगों से तरंगित होगा व अशुभ फल प्राप्ति का निमित्त बनेगा। अतः इस दिन चन्द्र-दर्शन निषिद्ध है।

संजय दारा सिंह
एस्ट्रोजेम वैज्ञानिक

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Content Writer

Niyati Bhandari

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