अजब-गजब: ज्वालामुखी के लावे से बनी अनूठी गणेश मूर्ति
punjabkesari.in Sunday, Sep 24, 2023 - 09:31 AM (IST)

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Indonesia: देश ही नहीं, दुनिया के कई हिस्सों में भगवान गणेश जी यानी गणपति की पूजा की जाती है। इंडोनेशिया ऐसा ही एक देश है। वहां तो गणेश जी की इतनी मान्यता है कि वहां के 20 हजार के नोट पर भी उनकी तस्वीर है। यहां एक सक्रिय ज्वालामुखी के मुहाने पर एक अनूठा गणेश मंदिर भी स्थित है। इस मंदिर में सालाना जलसा होता है, जिसमें जान पर खेलकर लोग लगातार 14 दिनों तक गणेश पूजा करते हैं।
Where is Ganesh temple built ? कहां पर बना है गणेश मंदिर
इंडोनेशिया में कुल 141 ज्वालामुखी मौजूद हैं, जिनमें से 130 अब भी सक्रिय हैं, यानी इनमें जब-तब विस्फोट होता रहता है। इन्हीं में से एक है माऊंट ब्रोमो पहाड़ पर बना ज्वालामुखी। दुनिया के सबसे सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक होने की वजह से इंडोनेशिया जाने वाले सैलानियों के लिए इसके बहुत से हिस्सों तक जाने की मनाही है, लेकिन ज्वालामुखी का खतरनाक होना भी यहां के लोगों को इसके मुहाने पर बने गणेश मंदिर में जाने से रोक नहीं पाता। माना जाता है कि गणेश पूजा से ही वे अब तक सुरक्षित हैं।
What is the history of puja ? क्या है पूजा का इतिहास
माऊंट ब्रोमो का मतलब स्थानीय जावानीज भाषा में ब्रह्मा जी से है। हालांकि यहां पर मंदिर गणेश जी का है। स्थानीय लोगों का मानना है कि यह प्रमुख मूर्ति 700 सालों से वहां है, जो उनके पूर्वजों ने स्थापित की थी। मान्यता के अनुसार यही गणेश मूर्ति जलते हुए ज्लावामुखी के पास होने के बाद भी अब तक उनकी रक्षा करती आ रही है।
यही वजह है कि यहां के पूर्व में बसा एक जनजातीय समूह, जिसे टैंग्गेरेसे नाम से जाना जाता है, गणेश जी की सदियों से पूजा करता आ रहा है। इस गणेश मंदिर को पूरा लुहूर पोटेन नाम से जाना जाता है। मंदिर की विशेषता है कि यहां गणेश जी की अलग-अलग तरह की मूर्तियां हैं और सारी ही मूर्तियां ज्वालामुखी के जमे हुए लावे से बनी हुई हैं।
Importance of hindu customs हिंदू रीति-रिवाज की प्रमुखता
माऊंट ब्रोमो के आसपास बने 30 गांवों में इस जनजाति के लगभग 1 लाख लोग रहते हैं। ये खुद को हिंदू और हिंदू रीति-रिवाज ही मानते हैं। हालांकि समय के साथ इनके रीति-रिवाजों में कुछ बौद्ध रिवाज भी जुड़ गए हैं। जैसे ये लोग त्रिमूर्ति (बह्मा, विष्णु, महेश) की पूजा के साथ ही भगवान बुद्ध की पूजा भी करते हैं।
What happens during the festival ? पर्व के दौरान क्या होता है
सारे रीति-रिवाजों के बीच एक खास पूजा का टैंग्गेरेसे में काफी महत्व है। यूं तो माऊंट ब्रोमो पर साल भर गणपति की पूजा होती है, पर मुख्य आयोजन जुलाई में 14 दिन तक चलता है। इस पूजा को याद्नया कासादा पर्व कहते हैं। माना जाता है कि 13वीं से 14वीं सदी के बीच इस पूजा की शुरुआत हुई। इसके पीछे भी एक लोककथा है, जिसके अनुसार भगवान ने वहां के राज-रानी, जो सालों तक नि:संतान थे, उन्हें 14 संतानें दीं, इस शर्त पर कि 25वीं और आखिरी संतान को वे पहाड़ को अर्पित कर देंगे। इसके बाद से हर साल पूजा का सिलसिला चल पड़ा।
ज्वालामुखी के भीतर गणेश जी को फल-फूल और मौसमी सब्जियां भी अर्पित की जाती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की पूजा और सुलगते हुए ज्वालामुखी को फल अर्पित करना ही उसमें विस्फोट को रोकता है और अगर ऐसा न किया जाए तो यह समुदाय जलकर खत्म हो जाएगा। चाहे ज्वालामुखी में भीषण विस्फोट ही क्यों न हो रहे हों, पूजा अवश्य की जाती है। 2016 में ज्वालामुखी में विस्फोट हो रहे थे। तब भी सरकार ने केवल 15 पुजारियों को पूजा की अनुमति दी थी, पर हजारों की संख्या में लोग पहुंच गए थे।
What is the system of priests ? क्या सिस्टम है पुजारियों का
पूजा के कई तरीके हिंदुओं से मिलते-जुलते हैं। जैसे हमारे यहां के मंदिर की पुजारी की तरह ही यहां भी पुजारी होते हैं, जिन्हें रेसी पूजांग्गा कहा जाता है। ये विधि-विधान पूरा करने में लोगों की मदद करते हैं। आगे चलकर पुजारी का बेटा ही पुजारी बनता है। बड़े उत्सव के दौरान पुजारी के तीन सहयोगी होते हैं, जिन्हें लेगेन, सेपुह और डांडन के नाम से जाना जाता है।
Tourists also come to see सैलानी भी देखने आते हैं
यह पर्व विदेशी सैलानियों को भी खासा आकर्षित करता है। हालांकि अगर किसी सैलानी को सांस लेने में दिक्कत या किसी और तरह की स्वास्थ्य समस्या हो तो उसे यहां आने की इजाजत नहीं मिलती।
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