Ganesh Chaturthi 2025: क्या आप जानते हैं ? क्यों होते हैं बप्पा सिर्फ 10 दिनों के मेहमान !

punjabkesari.in Thursday, Aug 28, 2025 - 04:00 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Ganesh Chaturthi 2025: हिंदू धर्म में गणेश चतुर्थी का विशेष स्थान है। इस पर्व की शुरुआत भाद्रपद महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से होती है, जिसे गणेश चतुर्थी कहा जाता है। इस दिन भक्त अपने घरों में और सार्वजनिक पंडालों में गणपति बप्पा की मूर्ति स्थापित करते हैं। आमतौर पर गणेश स्थापना 10 दिनों तक की जाती है और इसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा के विसर्जन के साथ होता है। हालांकि कुछ लोग 1.5, 5 या 7 दिन बाद भी विसर्जन करते हैं लेकिन धार्मिक दृष्टि से 10 दिन तक पूजा करना सबसे अधिक शुभ और परंपरागत माना गया है।

PunjabKesari Ganesh Chaturthi 2025

आखिर क्यों 10 दिनों तक ही की जाती है गणपति की पूजा ?
इस परंपरा के पीछे एक प्राचीन पौराणिक कथा जुड़ी है, जो महाभारत से संबंधित है। माना जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन ही भगवान गणेश ने महाभारत की लेखनी शुरू की थी। वेदव्यास जी ने जब उनसे महाभारत लिखने का अनुरोध किया तो गणेश जी ने एक शर्त रखी कि वे लेखन के दौरान एक बार भी नहीं रुकेंगे। अगर रुके, तो वे लिखना बंद कर देंगे। वेदव्यास जी ने सहमति दी और 10 दिनों तक निरंतर भगवान गणेश ने लेखन कार्य किया। जब यह कार्य पूरा हुआ तो अनंत चतुर्दशी का दिन था। इतने दिनों तक बिना रुके लेखन करते-करते गणेश जी धूल-मिट्टी से भर गए थे, और तब उन्होंने स्वयं को साफ करने के लिए सरस्वती नदी में स्नान किया। उसी घटना के प्रतीक रूप में आज भी गणपति स्थापना गणेश चतुर्थी को होती है और विसर्जन अनंत चतुर्दशी को।

PunjabKesari Ganesh Chaturthi 2025

10 दिन क्यों माने जाते हैं खास ?

हिंदू दर्शन में संख्या 10 को पूर्णता और संपूर्णता का प्रतीक माना गया है। इन दस दिनों को जीवन के दस मूल गुणों से जोड़ा गया है  धैर्य, साहस, ज्ञान, भक्ति, दया, प्रेम, त्याग, विनम्रता, सत्य और विवेक। ये दस दिन आत्ममंथन, पूजा-पाठ और आंतरिक शुद्धि का अवसर होते हैं। गणेश चतुर्थी जहां नए आरंभ और ऊर्जा का प्रतीक होती है, वहीं अनंत चतुर्दशी त्याग और समर्पण का प्रतीक मानी जाती है। यह समय होता है बप्पा को विदा कर उनके आशीर्वाद के साथ जीवन में नई शुरुआत करने का।

विसर्जन का आध्यात्मिक संदेश
गणेश विसर्जन केवल एक धार्मिक क्रिया नहीं बल्कि यह जीवन की नश्वरता और प्रकृति से एकात्मता का संदेश भी देता है। मिट्टी से बनी गणेश प्रतिमा का जल में विलीन हो जाना यह दर्शाता है कि हम सभी प्रकृति से आए हैं और उसमें एक दिन वापस लौटना है। यह भाव हमें विनम्र और अहंकार रहित जीवन जीने की प्रेरणा देता है।

PunjabKesari Ganesh Chaturthi 2025


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Prachi Sharma

Related News