राहु की दशा में तीन ग्रह संवार देते हैं बिगड़ी तकदीर, जानिए कौन से हैं वो ग्रह
punjabkesari.in Wednesday, Mar 24, 2021 - 06:20 PM (IST)
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राहु का नाम सुनते ही हम में से बहुत से लोग चिंतित हो जाते हैं और तरह-तरह की आशंकाओं में झूलने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र में राहु ग्रह को एक क्रूर व पाप ग्रह माना गया है। इसे छाया ग्रह भी कहा जाता है क्योंकि यह सौरमंडल में दिखाई नहीं देता। यानि सौरमंडल में इसका वजूद नहीं है। हमारे जो 9 ग्रह हैं, उनमें सूर्य व चंद्रमा तो साक्षात नजर आते हैं। 5 ग्रहों- बुध, शुक्र, शनि, गुरु व मंगल को भी टेलिस्कोप से देखा जा सकता है लेकिन राहु और केतु 2 शैडो ग्रह हैं जो दिखाई नहीं देते लेकिन हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। कालसर्प दोष भी यही दोनों ग्रह मिलकर बनाते हैं।
राहु भले ही एक क्रूर व पाप ग्रह है, लेकिन यदि राहु कुंडली में मजबूत स्थिति में होता है तो अच्छे परिणाम देता है। रंक से राजा बना देता है लेकिन जब राहु खराब स्थिति में होता है तो राजा से रंक भी बना देता है यानी कपड़े उतरवा लेता है ।
ज्योतिष में राहु ग्रह को किसी भी राशि का स्वामित्व प्राप्त नहीं है। लेकिन मिथुन राशि में यह उच्च होता है और धनु राशि में यह नीच भाव में होता है। किसी भी व्यक्ति की कुंडली में राहु की महादशा 18 साल रहती है। 18 साल की अवधि में बारी बारी नौ ग्रहों की अंतर्दशाये आती हैं। इनमें 6 ग्रहों की अंतर्दशाओं के दौरान तो परेशानियां बढ़ती हैं लेकिन तीन ग्रहों की अंतर्दशाएं व्यक्ति को मालामाल कर देती हैं और बिगड़ी तकदीर सँवार देती हैं। यह तीन ग्रह हैं देव गुरु बृहस्पति , बुध और शुक्र। राहु की महादशा के दौरान परेशानी झेल रहे लोगों को बड़ी शिद्दत से इन तीनों ग्रहों की अंतर्दशाओं का इंतजार रहता है। राहु की महादशा में सबसे पहले राहु की अंतर्दशा आती है और राहु की अंतर्दशा का काल 2 साल 8 महीने और 12 दिन का होता है। राहु के अंतर्दशा होने पर लोगों को अपमान और बदनामी झेलनी पड़ती है। राहु के अशुभ प्रभाव में दुर्घटना होने की आशंका रहती है। व्यक्ति का मन विचलित रहता है।
बृहस्पति की अंतर्दशा
राहु की महादशा में बृहस्पति की अंतर्दशा दो साल चार महीने और 24 दिन की होती है। राहु के साथ बृहस्पति की दशा होने पर अच्छे संयोग बनते हैं। करियर में लाभ होता है और पूजा-पाठ में मन लगता है। कुंडली में गुरु के अंतर्दशा होने पर किसी जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए। साथ ही शिवजी के मंदिर में साफ-सफाई और पीले रंग के फूल भोलेनाथ को अर्पित करना चाहिए।
राहु की अंतर्दशा
राहु की महादशा में शनि की अंतर्दशा 2 साल 10 महीने और 6 दिन की होती है। ऐसा होने पर पत्नी-पति के बीच मनमुटाव बढ़ जाता है। करियर में सफलता नहीं मिलती। एक्सिडेंट होने की संभावना होती है। व्यक्ति को पेट संबंधित बीमारियां होने लगती है। उपाय के लिए हर सोमवार महामुत्युंजय मंत्र का जाप करना चाहिए।
बुध की अंतर्दशा
राहु के महाशा में बुध की अंतर्दशा 2 वर्ष 3 महीने और 6 दिवस की होती है। राहु के साथ बुध होने पर जातकों को शुभ फलों की प्राप्ति होती है। उपाय के तौर पर हर बुधवार गणेशजी की पूजा करनी चाहिए और दुर्वा अर्पित करनी चाहिए। साथ ही पक्षियों को हरी मूंग की दाल डालें।
केतु की अंतर्दशा
केतु की अंतर्दशा एक साल और 18 दिन की होती है। इस अवधि में जातकों को बेहद नुकसान उठाना पड़ता है। उपाय के लिए भैरव मंदिर में ध्वज चढ़ाए और कुत्तों को रोटी या बिस्किट खिलाना चाहिए।
शुक्र की अंतर्दशा
राहु की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा 3 साल की होती है। इस अवधि में जातकों के वाहन और जमीन खरीदने की संभावना बढ़ जाती है। पति और पत्नी के संबंध मधुर होते हैं। उपाय के लिए गाय को घास खिलानी चाहिए।
सूर्य की अंतर्दशा
सूर्य की अंतर्दशा 10 महीने और 24 दिन की होती है। इस अवधि में आंख संबंधित बीमारी का सामना जातकों को करना पड़ता है। इस दशा से राहत पाने के लिए सूर्यदेव को अर्घ्य देना चाहिए।
चंद्र की अंतर्दशा
राहु की महादशा में चंद्र की अंतर्दशा 1 साल और 6 महीने की होती है। इस अवधि में जातकों को धन नाश और संतान कष्ट का सामना करना पड़ता है। उपाय के लिए सफेद चीजों का दान करें। साथ ही भगवान शिव का दूध से अभिषेक करना चाहिए।
मंगल की अंतर्दशा
मंगल की अंतर्दशा 1 साल और 18 दिन की होती है। इतने समय जातकों को चोट और गंभीर रोग की संभावना रहती है। करियर के मामले में सबकुछ ठीक नहीं रहता। उपाय के लिए हर मंगलवार लाल वस्तुओं का दान करना चाहिए।