Astrology- करियर और पढ़ाई संबंधित हर समस्या का हल करें तुरंत

punjabkesari.in Friday, Jun 24, 2022 - 02:13 PM (IST)

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Vedic Astrology and Education: जन्म कुंडली के द्वादश भावों में पंचम भाव का अपना विशिष्ट स्थान है। इसका कारण है कि एक तो यह त्रिकोण होने के कारण अत्यंत शुभ है। दूसरा विद्या, बुद्धि, संतान आदि का कारक भी पंचम ही है।

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Education in astrology विद्या और बुद्धि
पंचम भाव का संबंध विद्या और बुद्धि दोनों से है। अत: विद्या संबंधी समस्याओं का हल पंचम भाव, पंचमेश और विद्या कारक बुध द्वारा किया जाना चाहिए। इन तीनों में से जितने अंग अधिक शुभ दृष्टि में होंगे और बलवान होंगे उतनी ही विद्या मनुष्य को प्राप्त होगी।

Astrology Yoga for Higher Education प्रतियोगिता में सफलता
पंचम भाव का बुद्धि से भी संबंध है। अत: प्रतियोगिता, परीक्षाओं आदि का संबंध पंचम भाव से किया जाता है। भाव भावाधिपति और भव का कारक सामान्य नियम यहां भी उसी प्रकार लागू होता है।

जन्म पत्रिका में पंचम भाव से शिक्षा तथा नवम भाव से उच्च शिक्षा तथा भाग्य के बारे में विचार किया जाता है। सबसे पहले जातक की कुंडली में पंचम भाव तथा उसका स्वामी कौन है तथा पंचम भाव पर किन-किन ग्रहों की दृष्टि है, ये ग्रह शुभ-अशुभ हैं अथवा मित्र, शत्रु, अधिमित्र हैं, विचार करना चाहिए। दूसरा नवम भाव एवं उसका स्वामी, नवम भाव स्थित ग्रह, नवम भाव पर ग्रह दृष्टि आदि शुभाशुभ को जानना। तीसरा जातक का सुदर्शन चंद्र स्थित श्रेष्ठ लग्र के दशम भाव का स्वामी नवांश कुंडली में किस राशि में किन परिस्थितियों में स्थित है, ज्ञात करना। तीसरी स्थिति से जातक की आय एवं आय के स्रोत का ज्ञान होगा। 

जन्मकुंडली में जो सर्वाधिक प्रभावी ग्रह होता है। सामान्यत: व्यक्ति उसी ग्रह से संबंधित कार्य-व्यवसाय करता है। यदि हमें कार्य-व्यवसाय के बारे में जानकारी मिल जाती है तो शिक्षा भी उसी से संबंधित होगी। जैसे यदि जन्मकुंडली में गुरु सर्वाधिक प्रभावी है तो जातक को चिकित्सा, लेखन, शिक्षा, खाद्य पदार्थ के द्वारा आय होगी। यदि जातक को चिकित्सक योग है तो जातक जीव विज्ञान विषय लेकर चिकित्सक बनेगा। यदि पत्रिका में गुरु कमजोर है तो जातक आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक, रैकी या इनके समकक्ष ज्ञान प्राप्त करेगा। ज्येष्ठ गुरु होने पर एम.बी.बी.एस. की पढ़ाई करेगा। यदि गुरु के साथ मंगल का श्रेष्ठ योग बन रहा है तो शल्य चिकित्सक, यदि सूर्य से योग बन रहा है तो नेत्र चिकित्सा या सोनोग्राफी या इलैक्ट्रॉनिक उपकरण से संबंधित विषय की शिक्षा, यदि शुक्र है तो महिला रोग विशेषज्ञ, बुध है तो मनोरोग तथा राहू है तो हड्डी रोग विशेषज्ञ बनेगा।

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Which Grah is responsible for education उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु आवश्यक कारक ग्रह
Chander चंद्र : ‘चंद्र मनसो जायते’ यानी मन के द्वारा ही सभी कार्य संभव है। चंद्रमा उच्च शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण कारक ग्रह है। यदि चंद्रमा के द्वारा ‘बालारिष्ट योग’ बन रहा है तो बचपन से कष्ट अवश्यम्भावी है और अब प्रारंभिक शिक्षा कमजोर हुई तो उच्च शिक्षा में बाधा सम्भाव्य है। चंद्रमा का बली होना (उच्च, गुरु से दृष्ट या पूनम का) उच्च शिक्षा में सदा सहायक होता है। ऐसे जातकों का मन भटकाव नहीं होता, वह एकाग्र होते हैं। उच्च शिक्षा ग्रहण करते हैं।

Guru गुरु : यह उच्च शिक्षा हेतु महत्वपूर्ण कारक ग्रह है। गुरु यदि कर्क, धनु या मीन राशि में है तो जातक की उच्च शिक्षा होती है। कर्क, धनु या मीन राशि में स्थित गुरु की दृष्टि पंचम भाव पर है तो उच्च शिक्षा अवश्य होगी। उच्च के गुरु (कर्क राशिस्थ गुरु) की महादशा या अंतर्दशा में उच्च शिक्षा प्राप्ति योग अवश्य बनाती है। गुरु की बलवान स्थिति जन्मपत्री में यह संकेत देती है कि जातक को उच्च कोटि के गुरु का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त होगा जो उसकी उच्च शिक्षा में सहायक होगा।

Budh बुध : उच्च शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान बुध का होता है। बुध, बुद्धि का कारक है। यह कार्यों व क्रिया-कलापों से दूर करता है। उच्च का बुध (कन्या राशिस्थ) व सूर्य के साथ युती वाला बुध उच्च कोटि की बौद्धिक क्षमता स्थापित करता है। लग्र, पंचम या एकादश भाव में स्थित बुध जातक को प्रखर बुद्धि का बनाता है। विभिन्न भाषाओं का ज्ञान बुध ही प्रदान करता है।

Shani शनि : वर्तमान में उच्च शिक्षा हेतु आवश्यक कारक ग्रह है। शनि ग्रह मौलिक चिंतन विकसित करता है। व्यक्ति को मेहनती बनाता है उसमें जुझारू प्रवृत्ति पैदा करता है। विभिन्न शोध व अनुसंधान इसी ग्रह की देन होती है। यह कार्यों में निरंतरता का द्योतक है। उच्च शिक्षा हेतु विदेश गमन इनकी महादशा व अंतर्दशा में प्राय: देखा गया है।

Mangal मंगल : उच्च व तकनीकी शिक्षा हेतु मंगल की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह व्यक्ति में धैर्य धारण करने की क्षमता प्रदान करता है। उच्च शिक्षा हेतु आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता प्रदान करना मंगल का ही कार्य है। विभिन्न बाधाओं का निवारण करने में अकेला मंगल ही सक्षम है।

Problems in higher education उच्च शिक्षा में बाधा
पंचमेश 6, 8, 12 में राहू या केतु के साथ हो व उसकी महादशा या अंतर्दशा आ जाए तो उच्च शिक्षा में बाधा आती है।
नवमेश अष्टम भाव में हो या नवम में पाप ग्रह या नीच राशि का ग्रह हो तो भी उच्च शिक्षा में बाधा आती है।
पंचमेश, नवमेश, गुरु व गुरु से पंचम भाव का स्वामी निर्बल हो या राहू, केतु के प्रभाव में हो तो भी बाधा संभव है।

Upay उपाय : उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम बाधाकारक राहू की शांति, पंचमेश व गुरु को बल, अपने गुरुओं का सदैव आदर, मां सरस्वती की आराधना व विभिन्न ग्रहों से संबंधित उपाय भी आवश्यक है।

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Content Writer

Niyati Bhandari

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