Defence Sector Astrology: शनि का गोचर अमन पर भारी: 7 साल जंग में फंसी रहेगी दुनिया !

punjabkesari.in Friday, Jun 27, 2025 - 03:09 PM (IST)

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Defence Sector Astrology: शनि 29 मार्च को मीन राशि में आए हैं और यहीं पर रहेंगे। 2028 में मेष में जाएंगे उसके बाद 2030 के आसपास वह शनि  वृषभ में शनि का रोहिणी नक्षत्र में जाना अच्छा नहीं होता। रोहिणी नक्षत्र में जब शनि आते हैं, तो दुनिया में बवाल होता है। शनि अल्टीमेटली रोहिणी में भी आएंगे शनि का मीन, मेष और वृषभ राशि में गोचर करना वैसे ही अच्छा नहीं होता। 1907 से लेकर 1914 में शनि मीन, मेष और वृषभ में फिर 1937 से लेकर 1944 तक थे। मीन, मेष, वृषभ में फिर 1996 से लेकर 2003 तक थे। मीन, मेष, वृषभ में तो दुनिया भर में बवाल मचा पहली वर्ल्ड वॉर हुई और दूसरी वर्ल्ड वार हुई। इंडिया, पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान पे अमेरिका ने हमला किया। लादेन मारा गया उसके दौरान अमेरिका पर हमला हुआ ये सारी चीजें हुई। इसके अलावा 115 साल की इस रिसर्च के दौरान यह बहुत सारी बड़ी घटनाओं को जन्म देने वाला होता है। बहुत सारे बड़े  क्फ्लिक्ट उनको जन्म देने वाला होता है। शनि का मीन, मेष और वृषभ राशि में गोचर क्या रंग क्या रंग लेकर आएंगे। जब पहले शनि, मीन, मेष राशि में थे। 1907 से लेकर 115 साल तक यदि उसका गोचर देखते हैं क्योंकि यह तीन टाइम ऐसा हो गया 1907 से लेकर 14 और फिर 37 से 44, 96 से 2003 और अब आगे दोबारा आने वाला है। जैसे ही मीन राशि में प्रवेश किया है यह क्फ्लिक्ट जो है वो ईरान वाला बढ़ा है। अगले 7 साल जो है वो दुनिया के लिए अच्छे नहीं है। यदि दुनिया के लिए अच्छे नहीं है, तो बाजार के लिए कैसे अच्छे हो सकते हैं। बाजार के ऊपर इसका डेफिनेटली असर नजर आएगा। अब कितना नजर आता है। यह भविष्य के घर में है।

शनि का गोचर किस तरीके से दुनिया में बवाल पैदा करता है किस तरीके से दुनिया अनस्टेबल होती है दुनिया में जो शांति भंग होती है। 1907 से लेकर 1914 के बीच यह सात साल का साइकिल है। जिसमें शनि, मीन, राशि में रहते हैं। मेष राशि, वृषभ राशि में रहते हैं और जब मेष, मीन और वृषभ में शनि रहते हैं।1907 में शनि, मीन राशि में थे ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के बीच ट्रिपल एंटिटी का गठन हुआ था। उस समय यह गठबंधन जो हुआ था जर्मनी, ऑस्ट्रिया और जर्मनी, ऑस्ट्रिया, हंगरी और इटली की ट्रिपल अलायंस के विरुद्ध था। यह पावर बैलेंस के लिए बना था ताकि पावर जो है वो यूरोप में बैलेंस हो सके। यह शीतकाल  जो युद्ध था। यह शीत युद्ध वह विश्व युद्ध की शुरुआत के तौर के ऊपर देखा जाता है। 1908 में शनि, मीन राशि में ही थे ऑस्ट्रेलिया हंगरी ने बोसनिया और हरजे, गोवा पर कब्जा कर लिया था। जिससे बोसिया का संकट पैदा हुआ और सर्बिया रूस वह इस कदम पर भड़क उठे थे यह 1908 में हुआ था बालकन से जो एरिया है वहां पर तनाव की शुरुआत इसी से हुई थी।

1911 में शनि थे मेष राशि में यह दूसरे मोरक्को संकट की शुरुआत थी। जर्मनी ने उत्तरी अफ्रीका में फ्रांस के प्रभाव को चुनौती दी। जिससे ब्रिटेन और फ्रांस का गठजोड़ और मजबूत हुआ। सैन्य दौड़ ने और ज्यादा गति पकड़ ली थी। इसी अवधि के दौरान 1912, 1921 आते-आते शनि इस समय भी मेष राशि में थे। पहला बेलकन जो वार शुरू हो गया था. सर्बिया, बुल्गारिया, ग्रीस मैटन, मैटन ग्रोवा ने मिलकर उस्मानी साम्राज्य पर आक्रमण करके बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया था। उस समय 1913 जब शनि मेष से वृषभ राशि में गोचर कर रहे थे, तो उस समय सेकंड बालकन वॉल जो है वह शुरू हुआ। पूर्व सहयोगी जो देश थे  जिन्होंने पहले यह किया था. उन्होंने ही आपस में युद्ध किया। सर्बिया की ताकत बढ़ी और ऑस्ट्रिया और हंगरी को खतरा उससे महसूस होने लगा था। 1914 में शनि वृषभ राशि में आए 28 जून को फ्रॉस फर्डिनेंट की हत्या हो गई। इसके कुछ दिन बाद शनि वृषभ राशि से बाहर गए। लेकिन इसी घटना ने प्रथम विश्व युद्ध को शुरुआत करवा दिया। यह चिंगारी जो भड़की थी विश्व युद्ध की पहले विश्व युद्ध की वो इसी के कारण भड़की थी।

अब शनि मीन राशि में है। अभी 2028 में मेष में जाएंगे। फिर 2030 में आगे जाकर अह वृषभ में जाएंगे। सिर्फ 1907 से लेकर 1914 का साइकिल था। 1937 से लेकर 1944 के दौरान शनि का गोचर था। मीन, मेष और वृषभ राशि में 26 फरवरी 1937 को शनि, मीन राशि में आए थे और जिस समय शनि मीन राशि में आए 1937 में जापान ने चीन पर हमला कर दिया और इसी साल में दूसरा चीन और जापान का जो दूसरा युद्ध था, वह शुरू हुआ था। यूरोप में जो हिटलर थे, जो ये दूसरा वर्ल्ड वार था। हिटलर के कारण भी हुआ था। यूरोप में हिटलर ने अपने जो हथियारों की दौड़ है उसको तेज कर दिया। 1938 में भी शनि मीन राशि में ही थे। ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया का विलय हुआ। जर्मनी ने ऑस्ट्रिया को अपने में मिला लिया चेंबरलेन जो है वो उसकी तृष्टिकरण नीति जो है वो एक्टिवेट हुई। 1939 में शनि मीन राशि में आ गए। 1 सितंबर 1939 को जर्मनी ने पोलैंड पर हमला कर दिया। जिससे सेकंड वर्ल्ड वॉर की शुरुआत हो गई।

 शनि मेष और मीन में पहला वर्ल्ड वॉर भी वही सेकंड वर्ल्ड वॉर भी वही 1940 में शनि मेष में ही थे। जर्मनी ने फ्रांस डेनमार्क नार्वे आदि देशों पर कब्जा किया इटली युद्ध में शामिल हो गया। इस 1940 में 1941 में शनि मेष से वृषभ राशि में आ गए। हिटलर ने सोवियत संघ जो आज का रूस है। उसके ऊपर हमला किया और 7 दिसंबर को जापान ने पल हारबर्स पर हमला कर दिया। अमेरिका को युद्ध में इसी के कारण मजबूर होना पड़ा।  जब वो नागासाकी और हिरशिमा वाली घटना हुई 1942, 43 में शनि वृषभ राशि में थे। स्टलिड ग्लाद और अल अलामीन की लड़ाईयों के कारण जर्मनी और जापान की जापान की हार की शुरुआत हो गई। 1944 में शनि वृषभ राशि से बाहर जाने की तैयारी में थे। युद्ध का जो रुख था मित्र राष्ट्रों के पक्ष में मुड़ने लगा था। नाजी शासन का अंत जो है, वो करीब आने लगा था। शनि का मीन का मेष का और वृषभ का 9 अप्रैल 1966 को से लेकर 10 जून 1973 तक शनि मीन में थे। मेष में और वृषभ राशि में थे इस समय भी विश्व में भारी उथल-पुथल है, वो जो देखने को मिली थी। 1966 में 1966 में शनि का गोचर मीन राशि में था। इस दौरान अमेरिका ने वियतनाम युद्ध में सैनिकों की संख्या बढ़ाई और बमबारी तेज कर दी यह युद्ध जो है। वह दक्षिण वियतनाम में जो है साम्यवादी विएटकांग और उत्तर वियतनाम के खिलाफ था।  शीत युद्ध की पृष्ठभूमि में लड़ा जा रहा था। 1967 में शनि का गोचर मीन राशि में था इजराइल ने मिस सीरिया और जॉर्डन पर हमला कर दिया।

 ईरान के ऊपर हमला किया और केवल छ दिनों में गाजा पट्टी वेस्ट बैंक गोलन हाइट्स और सनाई प्रायद्वीप पर कब्जा कर लिया। इस युद्ध से मध्य पूर्व में तनाव और गहरा गया जो आज तक चल रहा है यानी कि शुरुआत कहां हुई थी 1967 में आज 60 साल बाद भी वही हालत है हम 58 साल बाद 1968 में शनि ने मीन से मेष राशि में प्रवेश किया। इस दौरान उत्तर वियतनाम और विएटकांग ने अमेरिका और दक्षिण वियतनाम की सेना पर बड़ा हमला किया। इस आक्रमण से अमेरिका में युद्ध विरोधी आंदोलन तेज हो गया और जनता का विश्वास जो है वो युद्ध से डगमाने डगमगाने लगा था। उस समय 1971 में शनि का गोचर मेष राशि में था। इस दौरान भारत और पाकिस्तान की लड़ाई हुई थी। उस समय बांग्लादेश में ग्रह युद्ध चल रहा था भारत ने निर्णायक जीत हासिल की। उसमें बांग्लादेश का गठन हुआ। उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी। इसके परिणाम स्वरूप बांग्लादेश एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस युद्ध ने एशिया में राजनीतिक नक्शे को पूरी तरह से बदल दिया था। यह 1971 की घटना थी उन 1972 में शनि का गोचर वृषभ राशि में था। इस दौरान वियतनाम युद्ध में शांति वार्ता और अमेरिका की वापसी की शुरुआत हुई। इस दौरान अमेरिका ने अपने सैनिकों की वापसी जो है वह शुरू कर दी थी। हालांकि युद्ध औपचारिक रूप से 1975 में समाप्त हुआ था। 1973 में शनि का गोचर वृषभ राशि में था और इस दौरान यम केपुर युद्ध की तैयारी हुई और वैश्विक तेल संकट जो क्राइसिस आया था। एनर्जी का वो इस इस तैयारी की इसमें बहुत बड़ी भूमिका थी। इसी के कारण हुआ था केपरवाले में इस दौरान मिडिल ईस्ट में तनाव शुरू हुआ। इस समय उपेक देशों ने तेल उत्पादन पर नियंत्रण बढ़ाया। 1973 में तेल का बड़ा संकट पैदा हुआ। यह आर्थिक आर्थिक अस्थिरता और वैश्विक भू राजनीतिकरण के जो तनाव था। वह उसको बढ़ाने वाला था।

 शनि के मूवमेंट की यह तीसरा साइकिल था। उसमें अब 1996 पे आते हैं 2003 का यह बीच का साइकिल था। जो लोग 40 साल के आसपास के हैं। उनको ये घटनाएं सारी याद होंगी। जब 1996 में 10 फरवरी 1996 से लेकर 7 अप्रैल 2003 के बीच में शनि मीन में थे। मेष में थे और वृषभ में थे। अब 1996 में था मीन राशि में गोचर तालीबान ने काबुल पर कब्जा कर लिया और इस्लामी अमीरात बनाने की घोषणा कर दी। यहीं से अफगानिस्तान वाला क्राइसिस शुरू हुआ था और अफगानिस्तान वैश्विक संकट का केंद्र बन गया। 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किए पाकिस्तान ने भी परमाणु परीक्षण कर दिया। उस समय वाजपेयी हुआ करते थे।  दक्षिण एशिया में तनाव जो है उस समय पूरा पीक पर पहुंच गया था हमारी सेनाएं पाकिस्तान के साथ आमने-सामने हो गई थी। ये ऐसा दौर था 99 में शनि मेष राशि में थे कारगिल युद्ध हुआ था। भारत और पाकिस्तान के बीच सीधा सैन्य टकराव था। भारत ने घुसपैठियों को उस समय पीछे हटाकर हमने जो है वो कारगिल पर विजय हासिल की थी। 2001 में शनि वृषभ राशि में थे 91 वाला आतंकी हमला हुआ अलकायदा ने अमेरिका पर हमला किया था। ट्विन टावर वाली घटना सबको याद होगी वो जहाज जो बिल्डिंग के साथ टकराते हैं। शनि वृषभ राशि में थे अफगानिस्तान पर अमेरिका ने सीधा हमला किया तालिबान को सत्ता से बाहर किया। जैसे अमेरिका ईरान में कर रहा है। जैसा उसने बगदाद में किया था। इराक में उसको हटाया था। वैसे ही अब ईरान वाला नंबर जो है वो लगता है आने वाला है। वहां से वैश्विक आतंकवा आतंकवाद के खिलाफ जो है मोर्चा शुरू हुआ। यह वो समय था जब भारत की बात को दम मिलने की तैयारी शुरू हुई। इराक युद्ध की तैयारी शुरू हुई। अमेरिका ने सद्दाम हुसैन के खिलाफ अभियान की शुरुआत की। डब्ल्यूबीएमडी का आरोप था वो पूरा केंद्र में रहा। उस समय यह सारी स्थिति थी, जब शनि वहां पर चल रहे थे। इस शनि का गोचर आगे था तो यह सारी स्थितियां जो है वो तब-तब पैदा हुई।

 2003 तक 1996 से लेकर 2003 तक जब शनि मेष में थे। मीन में थे, मेष में थे और वृषभ में थे। 1907 से लेकर आज तक शनि जब मीन, मे, और वृषभ में गए तब आर्थिक संकट पैदा हुआ। तब तक समस्याएं आई दुनिया में तब आपसी क्फ्लिक्ट पैदा हुए और बाजारों में वो गिरावट आई। उस समय बहाना.com बबल बना था लेकिन गिरावट बहुत बड़ी थी और इस दौरान 1996 से लेकर 2003 के साल थे। उस समय बाजार वो काफी अच्छा नहीं था।  इसका असर डेफिनेटली बाजार के ऊपर नजर आएगा। सन 2000 से लगातार 25 साल से कि बाजार निफी कहां से था और कहां देख लिया। पैसे अपने पास रखें ताकि आप निचले लेवल पर इन्वेस्ट कर सकें तो यह आपको अंडरस्टैंडिंग देने के लिए था कि दुनिया की स्थिति क्या रहने वाली है इसका बाजार के ऊपर इंपैक्ट क्या पड़ेगा। 

नरेश कुमार
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Content Editor

Sarita Thapa

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