महाभारत काल में ही श्रीकृष्ण ने बता दिया था कलियुग का हाल
punjabkesari.in Monday, Jan 22, 2018 - 10:29 AM (IST)
महाभारत के समय की बात है पांचों पाण्डवों ने भगवान श्रीकृष्ण से कलियुग के बारे में चर्चा की और कलियुग के बारे में विस्तार से पुछा व जानने की इच्छा जाहिर की कि कलियुग में मनुष्य कैसा होगा, उसके व्यवहार कैसे होंगे और उसे मोक्ष कैसे प्राप्त होगा। इन्ही प्रश्नों का उत्तर देने के लिए भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं- “तुम पांचों भाई वन में जाओ और जो कुछ भी दिखे वह आकर मुझे बताओ। मैं तुम्हें उसका प्रभाव बताऊंगा।” पांचों भाई वन में गए। युधिष्ठिर महाराज ने देखा कि किसी हाथी की दो सूंड है। यह देखकर उसका आश्चर्य का पार न रहा। अर्जुन दूसरी दिशा में गए। वहां उन्होंने देखा कि कोई पक्षी है, उसके पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं पर वह पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है यह भी आश्चर्य है। भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय ने बछड़े को जन्म दिया है और बछड़े को इतना चाट रही है कि बछड़ा लहुलुहान हो जाता है। सहदेव ने चौथा आश्चर्य देखा कि छः सात कुएं हैं और आसपास के कुओं में पानी है किंतु बीच का कुआं खाली है। बीच का कुआं गहरा है फिर भी पानी नहीं है। पांचवे भाई नकुल ने भी एक अदभुत आश्चर्य देखा कि एक पहाड़ के ऊपर से एक बड़ी शिला लुढ़कती-लुढ़कती आती और कितने ही वृक्षों से टकराई पर उन वृक्षों के तने उसे रोक न सके। कितनी ही अन्य शिलाओं के साथ टकराई पर वह रुक न सकीं। अंत में एक अत्यंत छोटे पौधे का स्पर्श होते ही वह स्थिर हो गई। पांचों भाईयों के आश्चर्यों का कोई पार नहीं रहा। शाम को वे श्रीकृष्ण के पास गए और अपने अलग-अलग दृश्यों का वर्णन किया।
युधिष्ठिर कहते हैं- “मैंने दो सूंडवाला हाथी देखा तो मेरे आश्चर्य का कोई पार न रहा।”
तब श्री कृष्ण ने कहा कि- “कलियुग में ऐसे लोगों का राज्य होगा जो दोनों ओर से शोषण करेंगे। बोलेंगे कुछ और करेंगे कुछ। ऐसे लोगों का राज्य होगा। इससे तुम पहले राज्य कर लो।”
अर्जुन ने आश्चर्य देखा कि पक्षी के पंखों पर वेद की ऋचाएं लिखी हुई हैं और पक्षी मुर्दे का मांस खा रहा है। इसी प्रकार कलियुग में ऐसे लोग रहेंगे जो बड़े- बड़े पंडित और विद्वान कहलाएंगे किंतु वे यही देखते रहेंगे कि कौन-सा मनुष्य मरे और हमारे नाम से संपत्ति कर जाए। “संस्था” के व्यक्ति विचारेंगे कि कौन सा मनुष्य मरे और संस्था हमारे नाम से हो जाए। हर जाति धर्म के प्रमुख पद पर बैठे विचार करेंगे कि कब किसका श्राद्ध है।
चाहे कितने भी बड़े लोग होंगे किंतु उनकी दृष्टि तो धन के ऊपर (मांस के ऊपर) ही रहेगी।
ऐसे लोगों की बहुतायत होगी जो परधन को हरने और छीनने को आतुर होंगे और कोई कोई विरला ही संत पुरूष होगा।
भीम ने तीसरा आश्चर्य देखा कि गाय अपने बछड़े को इतना चाटती है बछड़ा लहुलुहान हो जाता है। कलियुग का आदमी शिशुपाल हो जाएगा। बालकों के लिए इतनी ममता करेगा कि उन्हें अपने विकास का अवसर ही नहीं मिलेगा। “किसी का बेटा घर छोड़कर साधु बनेगा तो हजारों व्यक्ति दर्शन करेंगे। किंतु यदि अपना बेटा साधु बनता होगा तो रोएेगे कि मेरे बेटे का क्या होगा ?”
इतनी सारी ममता होगी कि उसे मोहमाया और परिवार में ही बांधकर रखेंगे और उसका जीवन वहीं खत्म हो जाएगा। अंत में बिचारा अनाथ होकर मरेगा। वास्तव में लड़के तुम्हारे नहीं हैं, वे तो बहुओं की अमानत हैं, लड़कियां जमाइयों की अमानत हैं और तुम्हारा यह शरीर मृत्यु की अमानत है। तुम्हारी आत्मा-परमात्मा की अमानत है।
सहदेव ने चौथा आश्चर्य यह देखा कि पांच सात भरे कुओं के बीच का कुआं एक दम खाली। कलियुग में धनाढ्य लोग लड़के-लड़की के विवाह में, मकान के उत्सव में, छोटे-बड़े उत्सवों में तो लाखों रूपए खर्च कर देंगे परंतु पड़ोस में ही यदि कोई भूखा प्यासा होगा तो यह नहीं देखेंगे कि उसका पेट भरा है या नहीं। दूसरी और मौज-मौज में, शराब, कबाब, फैशन और व्यसन में पैसे उड़ाएंगे। किंतु किसी के दो आंसू पोंछने में उनकी रूचि न होगी और जिनकी रूचि होगी उन पर कलियुग का प्रभाव नहीं होगा, उन पर भगवान का प्रभाव होगा।
पांचवा आश्चर्य यह था कि एक बड़ी चट्टान पहाड़ पर से लुढ़की, वृक्षों के तने और चट्टाने उसे रोक न पाए किंतु एक छोटे से पौधे से टकराते ही वह चट्टान रूक गई। कलियुग में मानव का मन नीचे गिरेगा, उसका जीवन पतित होगा। यह पतित जीवन धन की शिलाओं से नहीं रूकेगा न ही सत्ता के वृक्षों से रूकेगा। किंतु हरिनाम के एक छोटे से पौधे से, हरि कीर्तन के एक छोटे से पौधे से मनुष्य जीवन का पतन होना रूक जाएगा।