Dr. Baliram Hedgewar Jayanti: जब ‘संघ’ के संस्थापक डा. बलीराम हेडगेवार ने बजाया अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल

punjabkesari.in Saturday, Apr 01, 2023 - 07:30 AM (IST)

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Dr. Baliram Hedgewar Jayanti 2023: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डा. केशव राव बलीराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल, 1889 को नागपुर के एक निर्धन परिवार में हुआ था। वह बचपन से ही क्रांतिकारी प्रवृत्ति के थे। उनके मन में देशभक्ति किस कदर कूट-कूट कर भरी थी, इसका पता कई घटनाओं से चलता है। 8 वर्ष की आयु में उनकी देशभक्ति की पहली झलक मिली, जब उन्होंने इंगलैंड की रानी विक्टोरिया के शासन के 60 वर्ष होने पर बांटी गई मिठाई न खाकर कूड़े में फैंक दी थी। स्कूली जीवन में ही छत्रपति शिवाजी महाराज की जीवनी पढ़कर उनके मन में ब्रिटिश शासन के खिलाफ विचारों के बीज पड़ चुके थे।

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नागपुर के सीताबर्डी किले पर ब्रिटिश शासन का प्रतीक ‘यूनियन जैक’ फहराता देख बालक केशव और उनके दोस्तों का आत्मसम्मान आहत होता था। उन्होंने फैसला किया कि सख्त पहरे में रहने वाले किले तक सुरंग बनाई जाए और उस रास्ते से जाकर किले से ब्रिटिश झंडा हटा दिया जाए।  

केशव और उनके दोस्त एक वेदशाला में पढ़ते थे। योजना के अनुरूप पढ़ाई के कमरे में बच्चों ने कुदाल-फावड़े से सुरंग खोदने का काम शुरू कर दिया। कमरे को अक्सर बंद देखकर उनके शिक्षक नानाजी वझे को शंका हुई। जब वह कमरे में गए तो वहां एक तरफ गड्ढा खुदा हुआ था और दूसरी तरफ मिट्टी का ढेर लगा था। उन्होंने बच्चों को इस योजना को अंजाम देने से रोक दिया।
जब उनके स्कूल में अंग्रेज इंस्पैक्टर निरीक्षण के लिए आए तो उन्होंने कुछ सहपाठियों के साथ ‘वन्दे मातरम्’ के जयघोष से उसका स्वागत किया। इस पर केशव को स्कूल से निकाल दिया गया। तब इन्होंने मैट्रिक तक अपनी पढ़ाई पूना के नैशनल स्कूल में पूरी की।

1910 में जब डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए कोलकाता गए तो वहां देश की नामी क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति से जुड़ गए। 1915 में नागपुर लौटने पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गए और बढ़-चढ़ कर स्वतंत्रता आंदोलन में हिस्सा लिया। 1921 में असहयोग आन्दोलन में सत्याग्रह कर गिरफ्तारी दी और उन्हें एक वर्ष की जेल हुई। नमक कानून विरोधी आन्दोलन में भी उन्होंने भाग लिया, जिसमें उन्हें 9 माह की कैद हुई। 28 सितम्बर, 1925 को विजयदशमी के दिन उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शुरुआत की और उसे देश के प्रमुख संगठन का रूप दिया। अंतत: 21 जून, 1940 को इनकी आत्मा अनंत में विलीन हो गई। नागपुर के रेशम बाग में इनके अंतिम संस्कार स्थल पर इनका प्रेरणादायक स्मृति मंदिर बना है।  

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Content Writer

Niyati Bhandari

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