Dr Ramvilas Vedanti : जानें, राम मंदिर आंदोलन में 25 बार जेल जाने वाले डॉ. रामविलास वेदांती की पूरी कहानी
punjabkesari.in Tuesday, Dec 16, 2025 - 09:36 AM (IST)
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Dr Ramvilas Vedanti : उत्तर प्रदेश में राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल रहे और भाजपा के वरिष्ठ नेता, पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती महाराज का सोमवार को निधन हो गया। बीते कुछ दिनों से उनकी तबीयत बेहद नाजुक बनी हुई थी। रविवार को गंभीर हालत में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके निधन की सूचना मिलते ही राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संतों, नेताओं और समर्थकों में शोक की लहर दौड़ गई।
जानकारी के अनुसार, डॉ. वेदांती मध्य प्रदेश के लालगांव क्षेत्र के भठवा गांव में कथा वाचन कर रहे थे। यह कथा 17 दिसंबर तक चलनी थी, लेकिन शनिवार देर रात उन्हें सीने में तेज दर्द और घबराहट की शिकायत हुई। इसके बाद उन्हें इलाज के लिए रीवा लाया गया, जहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। सोमवार को उनके निधन की पुष्टि हुई।
कौन थे डॉ. रामविलास वेदांती ?
डॉ. रामविलास वेदांती राम मंदिर आंदोलन के शुरुआती दौर से ही सक्रिय रहे। उनका जन्म 7 अक्टूबर 1958 को हुआ था। वे एक प्रभावशाली हिंदू संत होने के साथ-साथ संसद तक पहुंचने वाले नेता भी थे। उन्होंने 12वीं लोकसभा में सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व किया और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ संसदीय क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर सांसद चुने गए। राम मंदिर आंदोलन में मुखर भूमिका निभाने के साथ-साथ वे श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट से भी जुड़े रहे।
प्रतापगढ़ की राजनीति में रचा इतिहास
प्रतापगढ़, जिसे राजा-रजवाड़ों और परंपरागत राजनीतिक परिवारों का गढ़ माना जाता रहा है, वहां डॉ. वेदांती ने भाजपा के लिए नया इतिहास लिखा। भगवान राम के नाम पर चुनाव लड़ते हुए उन्होंने जिले में पहली बार भाजपा को जीत दिलाई। यह वह समय था जब अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को लेकर देशभर में जबरदस्त जनसमर्थन देखने को मिल रहा था। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रतापगढ़ में हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन मछली शहर लोकसभा सीट से रामविलास वेदांती ने बड़ी जीत दर्ज की। इस सीट में प्रतापगढ़ की पट्टी और बीरापुर विधानसभा क्षेत्र भी शामिल थे।
1998 में ऐतिहासिक जीत
राम मंदिर आंदोलन से गहराई से जुड़े डॉ. वेदांती ने वर्ष 1998 में प्रतापगढ़ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। राम लहर के बीच जनता ने उन्हें भारी मतों से विजयी बनाया। कांग्रेस प्रत्याशी रत्ना सिंह की तुलना में उन्हें बड़ी बढ़त मिली। यह जीत राम जन्मभूमि न्यास से उनके जुड़ाव और आंदोलन में सक्रिय भूमिका का परिणाम मानी गई।
राम मंदिर आंदोलन पर स्पष्ट विचार
डॉ. वेदांती राम मंदिर के मुद्दे पर हमेशा स्पष्ट और मुखर रहे। उन्होंने कई मंचों से कहा था कि विवादित ढांचे को हटाए बिना भव्य राम मंदिर का निर्माण संभव नहीं था। उन्होंने इस बात से भी इनकार किया था कि किसी मस्जिद को गिराया गया है। उनका मानना था कि वहां पहले से मंदिर के अवशेष मौजूद थे। उन्होंने यह भी कहा था कि इस्लाम को हिंदुओं से कोई खतरा नहीं है और कई मुसलमान भी राम मंदिर निर्माण को लेकर सकारात्मक सोच रखते हैं। उनके अनुसार, आज़ादी के बाद राम मंदिर के लिए चला आंदोलन किसी भी धार्मिक स्थल के लिए सबसे लंबा संघर्ष रहा है।
भव्य राम मंदिर का सपना
डॉ. वेदांती का विश्वास था कि अयोध्या में बनने वाला राम मंदिर दुनिया के सबसे भव्य मंदिरों में शामिल होगा और एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन केंद्र बनेगा। वे मानते थे कि मंदिर के लिए तय की गई भूमि भविष्य में कम पड़ सकती है। उन्होंने यहां तक कहा था कि राम मंदिर की ऊंचाई 1111 फुट होनी चाहिए, ताकि वह दूर-दूर के देशों से भी दिखाई दे।
आंदोलन में अहम भूमिका
राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भागीदारी के कारण डॉ. वेदांती को राम जन्मभूमि न्यास का कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाया गया था। 6 दिसंबर 1992 के बाबरी ढांचा विध्वंस मामले में जिन नेताओं पर केस चला, उनमें उनका नाम भी शामिल था। हालांकि, बाद में सीबीआई की विशेष अदालत ने उन्हें अन्य आरोपियों के साथ बरी कर दिया। डॉ. वेदांती का कहना था कि उन्होंने किसी मस्जिद को नहीं, बल्कि मंदिर के अवशेषों को हटाया था। राम मंदिर निर्माण के दौरान भी उनकी भूमिका अहम रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में अयोध्या सीट पर भाजपा की हार के बाद उन्होंने सार्वजनिक रूप से नाराजगी भी जाहिर की थी।राम मंदिर आंदोलन को धार देने वाले संत-नेताओं में डॉ. रामविलास वेदांती का नाम हमेशा प्रमुखता से लिया जाता रहेगा।
