नवरात्रि में करें इनमें से कोई 1 उपाय, होगी मां काली की विशेष कृपा
punjabkesari.in Sunday, Mar 18, 2018 - 08:13 AM (IST)
आज मां दुर्गा की पूजा-अर्चना का पर्व चैत्र नवरात्रि आरंभ हो गया है। अाज से नौ दिन तक पूरे विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाएेगी। इन दिनों मे की गई पूजा से प्रसन्न होकर माता रानी अपने भक्तों के सारे कष्टों व दुखों का नाश करती है। तो आईए जानें कुछ एेसे उपाय जिससे भक्त मां को शीघ्र ही प्रसन्न करके अपनी समस्त मनोकामनाओं की पूरे कर सकते हैं।
संकटों के नाश हेतु
हर समस्या या संकट का समाधान मां काली की पूजा से हो जाता है ।
भक्तों से शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवी-देवताओं में से एक हैं मां काली। माता अपने भक्तों के सभी कष्ट और क्लेश पलभर में दूर कर देती हैं। काली माता मां दुर्गा का ही एक रूप है। नवरात्रि के दिनों में देवी मां की आराधना के श्रेष्ठ फल प्राप्त होते हैं।
नवरात्रि में एक छोटा-सा उपाय करने से सभी कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। मां काली अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। प्रात: काल सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर मां काली के मंदिर जाएं। देवी मां को 7, 11 या 21 नींबूओं की माला बनाकर अर्पित करें। माला अर्पित करने के बाद मां को गुलाब के फूल चढ़ाएं और लाल गुलाब की माला समर्पित करें। इसके बाद मां काली को गुड़ के प्रसाद का भोग लगाएं। यह प्रसाद वहां अन्य भक्तों को वितरित कर दें।
इसके अतिरिक्त नियमित रूप से मां काली को सप्ताह में या माह में एक बार अवश्य गुड़ का प्रसाद चढ़ाएं और गरीबों की मदद करें। इस प्रकार करने से आपके कष्ट जल्दी ही कम होने लगेंगे और आपका जीवन सुखी एवं समृद्धिशाली बना रहेगा।
धन लाभ हेतु
नवरात्रि में किसी भी दिन नीचे लिखे उपाय में से कोई भी एक उपाय करें। धन लाभ होने लगेगा-
पीपल के पत्ते पर राम लिखकर तथा कुछ मीठा रखकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं। इससे धन लाभ होने लगेगा।
भगवान शंकर को सुबह चावल तथा बिल्व पत्र चढ़ाएं। शीघ्र ही आपकी धन की इच्छा पूरी होगी।
प्रमोशन हेतु
जो लोग नौकरीपेशा वाले हैं तथा जिन्हें अपने कार्य पूर्णरूपेण ठीक से करने के बावजूद प्रमोशन नहीं मिल रहा है तो उन्हें नवरात्रि में साधना कर अपना अभीष्ट प्राप्त करने में सफलता मिल सकती है।
इसके अलावा निम्न दिए गए मंत्र का उच्चारण करें, नवरात्रों में नियमित इस मंत्र का जाप करने से भक्त मां की कृपा का पात्र बनता है।
मंत्र
ततो वव्रे नृपो राज्यमविभ्रंश्यन्य जन्मनि।
अत्रेव व निजं राज्यं हतशत्रु बलं बलात्।