Diwali 2025: 20 या 21 अक्टूबर कब है दिवाली?
punjabkesari.in Sunday, Oct 19, 2025 - 02:01 PM (IST)
शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
Diwali Trading time: दिवाली की तिथि को लेकर बड़ी कंफ्यूजन है। सरकारी छुट्टी 20 अक्टूबर की है। यह बिल्कुल वैसी ही स्थिति पैदा हो रही है जैसी पिछले साल हुई थी। पिछले साल भी 31 अक्टूबर और 1 नवंबर की तिथि को लेकर कंफ्यूजन था और शास्त्र का विधान यह था कि 1 नवंबर को दिवाली मनाई जानी चाहिए। इस बार भी दिवाली को लेकर बहुत कंफ्यूजन वाली स्थिति पैदा हुई है। सरकारी छुट्टी 20 की हो गई। लेकिन जब हम मुहूर्त ट्रेडिंग की बात करेंगे निफ्टी के ऊपर या हमारे बाजार के ऊपर शेयर बाजार में जो ट्रेडिंग होती है मुहूर्त ट्रेडिंग उसके लिए एनएससी ने जो टाइम दिया है वो 21 अक्टूबर का दिया है। तो इसका मतलब है कि एक्सचेंज को लग रहा है कि दिवाली उस दिन है और शास्त्र क्या कहता है? पंचांग क्या कहते हैं? यदि हम यूपी के वाराणसी के पंचांग उठाएंगे तो उनका मत है कि दिवाली जो है वो 20 अक्टूबर को मनाई जानी चाहिए। जालंधर का पंचांग देवी दयाल जी का है। यह 150 साल पुराना पंचांग है। इसमें क्या विधान दिया गया है दिवाली को लेकर? इसमें क्या तिथि दी गई है दिवाली को लेकर? इसको एक्सप्लेन करेंगे। हालांकि ये अकेला पंचांग नहीं है, जो 21 अक्टूबर को दिवाली मनाने के लिए कह रहा है। बहुत सारे पंचांग ऐसे और हैं देश में जिन्होंने 21 अक्टूबर का दिवाली का दिन बताया है। यह क्यों बता रहे हैं? क्या इसका रीजन है? क्या लॉजिक है इसके पीछे? उसके पीछे शास्त्रीय विधान क्या है?
दिवाली के दिन खासतौर पर मां लक्ष्मी के पूजन को लेकर। यह इस पंचांग का मत है। तो सबसे पहले तो इन्होंने लिखा है कि गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी अमावस्या दो दिन प्रदोष व्याप्त होने से दिवाली यानी कि महालक्ष्मी पूजन संबंधी जनमानस में कुछ संशय रहेगा। यह याद रखिए यह जो पंचांग निकलता है। अक्टूबर के आसपास यह पंचांग निकल जाता है। यह इस साल अक्टूबर में जो दिवाली है उसके बारे में इसके ऊपर चर्चा है। यह पंचांग लगभग नवरात्रों में या फिर दशहरा के आसपास हमें मिल जाता है। बाजार में ईजीली मिल जाता है। ऑनलाइन भी मिल जाता है। तो ये पिछले साल ही छप गया था। कोई थोड़ा सा क्योंकि यह यह नई चीज नहीं है तो यह साल भर पहले का ही उनका विधान है जो इन्होंने लिखा हुआ है। तो इन्होंने लिखा है कि प्रदोष व्यापनी यानी कि सूर्यास्त के बाद त्रिहूर्त जब सूर्य अस्त होता है तिथि के बाद तो प्रदोष काल माना जाता है। उसके बाद त्रिमहूर्त कार्तिक अमावस्या के दिन दीपावली मनाने की शास्त्राज्ञा है। यानी कि यदि अह अमावस्या शुरू हो गई है और उसके बाद सूर्यास्त में प्रदोष काल भी मिल गया है। और तो हम अगली तिथि को अह काउंट अह अगले दिन को काउंट करेंगे। अब कंफ्यूजन क्यों है इसमें?
इसमें लिखा है इस वर्ष विक्रमी संवत 2082 में 20 अक्टूबर 2025 के दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्थ चतुर्थी चतुर्दशी तिथि का समाप्ति काल 1545 यानी कि 3:45 को 20 अक्टूबर के दिन चतुर्दशी खत्म हो रही है और उसके बाद अमावस शुरू हो रही है। यानी कि अमावस की जो तिथि शुरू होगी, वह होगी 20 अक्टूबर को 3 बजकर 45 मिनट दोपहर के समय और अतः चतुर्द चतुर्दशी तिथि समाप्ति के साथ ही कार्तिक अमावस्या शुरू होकर अगले दिन 21 अक्टूबर शाम 5 बजकर 55 मिनट तक व्याप्त है। यानी कि अमावस्या का टाइमिंग कितना है? 20 अक्टूबर 3 बजकर 45 से लेकर शाम के 5 बजकर 55 मिनट 21 अक्टूबर तक रहेगा।
तो क्या सूर्य अस्त होता है? अगले दिन 21 अक्टूबर प्रदोष काल में अमावस तिथि की व्याप्ति बहुत ही कम समय के लिए है। क्योंकि पंजाब, हिमाचल, जम्मू आदि राज्यों में सूर्यास्त लगभग 5 बजकर 45 पे होगा। यानी कि सूर्यास्त सूर्य उदय के समय भी अमावस्या होगी 21 को जो 20 को नहीं होगी। वैसे चरती तिथि की माना चरते सूर्य की तिथि मानी जाती है। तो सूर्य उदय जब होगा तब अमावस चल रही होगी और सूर्य अस्त जब होगा तब भी अमावस्या चल रही होगी। उसके 10 मिनट बाद का हमें प्रदोष काल भी मिलता है। यह 21 अक्टूबर की डिटेल है सारी। जबकि 20 अक्टूबर 2025 को अमावस्या पूर्णतः प्रदोष एवं निश्चित काल को व्याप्त कर रही है। परंतु फिर भी शास्त्र निर्देश अनुसार दीपावली पर्व 21 अक्टूबर मंगलवार 2025 को ही मनाना शास्त्र संबत होगा। यथा 21 अक्टूबर मंगलवार को ही दिवाली पर्व मनाने के पक्ष में जो उन्होंने एक श्लोक दिया है पुरुष पुरुषार्थ चिंतामणि का यह श्लोक दिया है। यह संस्कृत में है। उसका एग्जैक्ट मीनिंग टू मीनिंग मतलब क्या है?
उन्होंने बोला है कि अमावस्या केवल पहले दिन ही प्रदोष काल को व्याप्त हो श्लोक के मुताबिक तथा अगले दिन अमावस्या 3 प्रहर से अधिक व्याप्त हो। यानी कि जो अगला दिन 21 अक्टूबर को जो दिन चल रहा है उसमें 3 प्रहर से ज्यादा का समय अमावस्या के दिन है। अगले दिन भी प्रतिपदा तिथि वृद्धि गामिनी होकर यानी कि जो अमावस्या की तिथि का मान है मान मींस समय है। यदि प्रतिपदा की तिथि का मान उससे ज्यादा हो तो अगले दिन माना जाता है। आगे इन्होंने डिटेल दी है। वृद्धि गामनी होकर अह यह लिखा है अर्थात यदि अमावस्या केवल पहले दिन ही प्रदोष काल को व्याप्त हो तथा अगले दिन अमावस्या 3 प्रहर से अधिक व्याप्त हो एवं अगले दिन भी प्रतिपदा तिथि वृद्धि गामिनी होकर तीन प्रहर के उपरांत समाप्त हो रही हो तो दूसरे दिन अर्थात अमावस्या के दिन ही लक्ष्मी पूजन करना चाहिए। तो यह बताया गया है कि उपरोक्त शास्त्र नियम के अनुसार 21 अक्टूबर मंगलवार को अमावस्या 17:55 यानी कि 5:55 तक है जो स्पष्ट है सूर्यास्त के कुछ मिनट बाद तक है। अर्थात 3 बजकर 30 मिनट प्रहर से अधिक ही है। तथा प्रतिपदा तिथि 20 घंटे 17 मिनट पर समाप्त होने से वृद्धि गामिनी है। जो अमावस्या की तिथि का जो कुल मान है वह है 26 घंटे 10 मिनट और प्रतिपदा तिथि का जो कुल मान है वह है 26 घंटे 22 मिनट। यानी कि 12 मिनट प्रतिपदा तिथि का मान भी अधिक है। यानी कि उसका ड्यूरेशन जो है वह अमावस्या से अधिक है। इस शास्त्रीय विधान के मुताबिक भी जो दिवाली बताई जा रही है इस संवत के पंचांग के मुताबिक 21 अक्टूबर की बताई जा रही है।
अतः धर्म संधू में दिए गए उपरोक्त श्लोक के अनुसार 21 अक्टूबर मंगलवार को ही लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र संवत होगा। निर्णय संधु, धर्म सिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि, इति, निर्णय आदि ग्रंथों में दिए गए शास्त्र वचन के अनुसार दोनों दिन प्रदोष काल में अमावस्या की व्याप्ति कम या अधिक होने पर दूसरे दिन ही अर्थात सूर्योदय से सूर्यास्त प्रदोष काल व्याप्त वाली अमावस्या के दिन ही लक्ष्मी पूजन करना युक्ति संगत होगा। इसका मतलब यह है कि 21 अक्टूबर का दिन जब अमावस्या चढ़ते सूरज की है। यानी कि सूर्य उस दिन उदय भी होगा तभी भी अमावस्या होगी। सूर्य अस्त होगा तो भी अमावस्या होगी और सूर्यास्त के 10 दिन 10 मिनट बाद की जो प्रदोष काल का समय मिल रहा है जो शाम के 5 बजकर 45 मिनट और 55 मिनट का जो 10 मिनट का डिफरेंस आ रहा है वो भी व्याप्त है तो इस पंचांग के मुताबिक ये बनता है कि 21 अक्टूबर के दिन दिवाली मनानी चाहिए यानी कि लक्ष्मी पूजन मां लक्ष्मी जी का पूजन जो है वो 21 अक्टूबर के दिन करना चाहिए। आगे इन्होंने कुछ और भी लिखा है। अतः सभी शास्त्र वचनों के अनुशीलन के पश्चात हमारे मतानुसार 21 अक्टूबर 2025 मंगलवार को ही दीपावली पर्व तथा श्री लक्ष्मी पूजन करना शास्त्र संवत होगा। संपूर्ण भारत में यह पर्व इसी दिन होगा। यह निर्णय भारत के अधिकतर पंचांगकारों को मान्य है। परंपरा अनुसार तथा गत अनेक उदाहरण भी इसी मत की पुष्टि करते हैं।
इन्होंने 2011, 2020 और 2000 जो 24 का पंचांग है या इससे पहले का जो पंचांग है उसमें भी जब यह कंफ्यूजन हुआ था तो यही यही शास्त्र निर्णय उस समय भी लागू हुआ था। यहां पर लिखा है ध्यान दें कुछ पंचांगकारों के अनुसार मतानुसार पश्चिमी राजस्थान, गुजरात, पश्चिमी महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरला आदि राज्यों में जहां अमावस्या तिथि प्रदोष काल से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी। यानी अर्थात जहां सूर्य सूर्यास्त जो है वो 5 बजकर 55 मिनट के बाद होगा वहां दीपावली पर 20 अक्टूबर सोमवार को ही करना तर्कसंगत नहीं है। यह यह भी बोल रहे हैं कि इन राज्यों में भी करना तर्कसंगत नहीं है। उसके लिए उन्होंने आगे एक श्लोक दिया संस्कृत का और उस संस्कृत की श्लोक की जो आगे व्याख्या की गई है।
उन्होंने बताया कि इस शास्त्र वचन शास्त्र वचन अनुसार इसी दिन यानी कि 21 अक्टूबर अह 2025 प्रदोष काल में सकल्यपादित अमावस को विद्यमान तो विद्यमान रहेगी ही यानी कि अमावस्या की तिथि जो है वह बताई गई है। इसको इसको उन्होंने टर्म दी है सकल्यपादित अमावस्या वो भी विराजमान रहेगी। इसका अभिप्राय यह भी है कि भले ही गणितागत तिथि किसी भी दिन कर्मकाल के एक ही पल को व्याप्त क्यों ना करे उसका पूर्ण कर्मकाल धर्म शास्त्र अनुसार सकल्य पादिता तिथि के व्याप्त होने के कारण व्रत पूजा अनुष्ठान के योग्य होता है। अतः इन प्रदेशों में भी गत वर्ष की भांति लक्ष्मी पूजन 21 अक्टूबर मंगलवार के दिन सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल के 2 घंटे 24 मिनट की अवधि के भीतर में ही किया जाएगा। यानी कि ये क्लियर कट बता रहे हैं कि मान लीजिए सूर्य अस्त हो गया शाम के 5 बजकर 45 मिनट तिथि हमारे पास 10 मिनट फालतू है तो उसके सूर्यास्त के 2 घंटे 24 मिनट बाद की जो अवधि होती है उसको प्रदोष काल बोलते हैं। तो इस अवधि में मां लक्ष्मी जी का पूजन किया जा सकता है। तो मोटे तौर पर शाम के 5 बजके 45 से लेकर 55 से लेकर अगले 2 घंटे 24 मिनट यानी कि लगभग 8:00 बजे तक का समय जो होगा उस समय लक्ष्मी पूजन किया जा सकता है इसके अनुसार अनुसार क्योंकि प्रदोष काल भी व्याप्त है। सनसेट भी है हमारे पास सनराइज भी है। तिथि सेम है और हमें वह मिल रहा है। लेकिन 20 अक्टूबर की जो तिथि है वह शुरू हो रही है अह दोपहर के समय 3 बजकर 45 मिनट पर और उस समय हमें सनराइज़ नहीं मिल रहा।
21 की रात अमावस में नहीं मिलेगी। लेकिन जो शास्त्र कहता है जो या जो पंचांग का मत है इस पंचांग का मत है यह हमारा सबसे क्रेडिबल पंचांग है नॉर्थ इंडिया में पंजाब हरियाणा हिमाचल दिल्ली में यही पंचांग हमारा चलता है और यह 150 साल पुराना पंचांग है देवीदयाल पंडित देवी दयाल जी का यह इनका पंचांग है और इस पंचांग के मुताबिक 21 अक्टूबर को दिवाली बनती है। आगे इन्होंने लिखा है, अतः अंतिम निर्णय यही है कि 21 अक्टूबर मंगलवार को ही धर्मनिष्ठ लोग सूर्यास्त के पश्चात अल्पकालिक प्रदोष काल व्याप्त अमावस्या के बावजूद सैन्य काल से प्रदोष काल समाप्ति तक अर्थात सूर्यास्त से आधा घंटे पहले ही सूर्य अस्त के बाद 2 घंटा 24 मिनट तक की कालावधि में निसंदेह होकर लक्ष्मी पूजन कर सकते हैं। तो जो कंफ्यूजन है छुट्टी को लेकर छुट्टी हो सकता है 20 अक्टूबर की हो क्योंकि सरकारी छुट्टी 20 अक्टूबर की है।
कुछ पंचांग एक मत नहीं है क्योंकि इंडिया में लगभग डेढ़ 200 के आसपास पंचांग निकलते हैं। हर एक का अलग मत है। वाराणसी के पंचांग 20 अक्टूबर की दिवाली बता रहे हैं। हमारे इधर के पंचांग वो 21 अक्टूबर की दिवाली दिवाली बता रहे हैं। कुछ और पंचांग भी हैं जो दिवाली 21 अक्टूबर की ही बता रहे हैं। तो अल्टीमेटली जो लक्ष्मी जो आपका मोहर ट्रेडिंग है वो भी 21 अक्टूबर को ही है। तो कुल मिलाकर हमारा जो रीजन है वहां पर लक्ष्मी पूजन के लिहाज से यदि हम शास्त्र की बात करते हैं तो समय 21 अक्टूबर का ही निकलता है। बाकी पूरे इंडिया में अपने पंचांग के मुताबिक देखिए हर जगह पर एक अलग व्यवस्था है। अलग तरीके से त्यौहार मनाया जाता है। हमारे रीजन में शास्त्र के मुताबिक इसी डेट को यानी कि 21 अक्टूबर को ही दिवाली मनानी चाहिए।
नरेश कुमार
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