महाभारत युद्ध में इस्तेमाल किए गए थे ये व्यूह, क्या आपको पता है?

punjabkesari.in Saturday, Jun 26, 2021 - 03:17 PM (IST)

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शास्त्रों के अनुसार महाभारत का युद्ध पूरे 18 दिन तक चला था जिसमें तमाम तरह की संहारक युद्ध विद्याओं के साथ-साथ कई तरह के अस्त्र-शस्त्र का इस्तेमाल किया गया था। यूं तो पूरे युद्ध में कौरव और पांडव दोनों ही पक्ष की ओर से कई तरह के व्यूहों की रचना की गई थी। खास तौर पर कौरवों की ओर से 13 दिन अभिमन्यु वध के लिए रचा गया चक्रव्यू आज भी लोगों को क्रोध से भर देता है। आजम आपको महाभारत युद्ध में इस्तेमाल किए गए उन्हीं 11 लोगों की रचना के बारे में बताने जा रहे हैं। कथाओं के अनुसार इन 11 व्यूहों की रचना पहले यह दिन कौरवों ने वज्र व्यूह के साथ की थी तो पांडवों ने तीसरे दिन अर्धचंद्राकर व्यूहों के साथ की थी।

इसके अलावा महाभारत के दौरान कौन-कौन से खास व्यूहों की रचना की गई आइए जानते हैं-

गरुड़- यह जो गरुड़ पक्षी की तरह बनता है जिसकी रचना महाभारत के दौरान पितामह भीष्म द्वारा की गई थी। इसमें सैनिकों को विपक्षी सेना के सामने इस तरह खड़ा किया जाता है कि आसमान से देखने पर वह गरुड़ पक्षी जैसी आकृति में दिखाई दे।

क्रौंच- यह सारस की एक प्रजाति माना जाता है। इस व्यूह का आकार इसी पक्षी की तरह होता है। कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध में युधिष्ठिर ने छठें दिन कौरवों के संघार के लिए इस युग की रचना की थी।

मकर- बताया जाता है कि प्राचीन काल में मकर नाम का एक जलचर हुआ करता था जिसका सिर मगरमच्छ जैसा तो सर पर पत्नी की तरह सिंह को दी थी। परंतु यहां तात्पर्य मगर से है। महाभारत में मकर नामक व्यूह की रचना कौरव पांडव दोनों द्वारा ही की थी।

कछुआ- महाभारत के अनुसार इस भूमि सेना को कछुए की तरह जमाया जाता था। इस व्यूह को महाभारत युद्ध के आठवें दिन कौरवों द्वारा पांडव सेना को भारी नुकसान पहुंचाने के लिए की गई थी।

अर्धचंद्रकार- अर्धचंद्र सैन्य रचना को अर्धचंद्रकार व्यूह कहा गया है। इस व्यूह की रचना अर्जुन ने कौरवों की ओर से तीसरे दिन गरुड़ व्यूह के प्रत्युत्तर में की थी, जो पांडवों को क्षति पहुंचाने में सफल रही थी।

मंडलाकार- मंडल का अर्थ गोलाकार या चक्र कार होता है महाभारत के युद्ध में सातवें दिन इस व्यूह की रचना भीष्म पितामह ने परिपत्र रूप में किया था जिसके जवाब में पांडवों ने वज्र व्यू की रचना कर भेद दिया था।


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Content Writer

Jyoti

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