Dharmik Katha: अनोखा भक्त...भक्ति देख नारद जी भी हो गए गदगद

punjabkesari.in Friday, Nov 11, 2022 - 04:09 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
प्राचीन समय की बात है एक बार नारद जी अपने प्रभु श्री हरि विष्णु को बैकुंठ धाम में मिलने के लिए जा रहे थे। तब मार्ग में उन्होंने जाते जाते एक नीम का वृक्ष देखा जिसकी छांव में बैठकर एक महात्मा जी ध्यान में लीन थे। नारद जी के मन में विचार आया कि ये मेरे प्रभु के भक्त हैं, मैं तो जा ही रहा हूं क्यों न इनसे भी पूछ लूं कि क्या ये कोई अपना संदेश भगवान तक पहुंचाना चाहते हैं। 
PunjabKesari
ऐसा सोच विचार कर नारद जी से महात्मा को प्रणाम किया और कहा कि हे महात्मा मैं सृष्टि के पालनकृता प्रभु के पास जा रहा हूं अगर आप उन तक कोई बात पहुंचाना चाहते हैं तो मुझे बता दीजिए मैं उन्हें बता दूंगा।

तब महात्मा जी ने कि आपकी मुझ पर बहुत कृपा होगी अगर आप मेरे एक प्रश्न का उत्तर ले आएंगे। तो नारद जी ने कहा कि कहिए क्या प्रश्न है तो महात्मा जी ने कहा कि मैं भगवान के दर्शन करने के लिए यहां ध्यान व तप कर रहा हूंं। आप बस ये पूछ आइएगा मेरी तरफ से कि मुझे उनके दर्शन कब होंगे। 

नारद जी ने कहा ठीक है और वहां से चल दिए। 

श्री हरि के पास पहुंच कर उन्हें प्रणाम किया, उनकी पूजा-अर्चना करने के बाद कुछ देर उन्हें बताने लगे कि आज आपके पास आते-आते मार्ग में एक महात्मा मिले जो विशाल नीम के वृक्ष के नीचे बैठकर आपका तप कर रहे थे। उनका एक प्रश्न लेकर आया हूं। दरअसल उन्होंने पूछा है कि आखिर आप उन्हें दर्शन कब दोगे।
PunjabKesari
भगवान ने बोला दूंगा। नारद जी कहने लगे परंतु कब दोगे वो ये जानना चाहते हैं। तो भगवान ने नारद जी को उत्तर दिया कि उन्हें कहिएगा कि जिस नीम के वृक्ष के नीचे वो बैठे, उस पेड़ में जितने नीम के पत्ते हैं उतने साल बाद मैं उन्हें दर्शन दूंगा। 

1100  रुपए मूल्य की जन्म कुंडली मुफ्त में पाएं । अपनी जन्म तिथि अपने नाम , जन्म के समय और जन्म के स्थान के साथ हमें 96189-89025 पर वाट्स ऐप करें
PunjabKesari

नारद जी ये सुनकर आशर्यजनक व बुरी लगी परंतु अब वो अपने भगवान के कुछ कहते कैसे। हज़ारों करोड़ों पत्तों वाले उस नीम के वृक्ष का विचार करके नारद जी सोचने लगे कि अपने भक्त के साथ प्रभु का ऐसा विनोद?

इन्हीं सारी बातों का विचार करते हुए वो प्रभु को प्रणाम किया और वहां से लौट गए। 

वापिस आते समय उन्हें वो महात्मा वहीं बैठे मिले। जैसे ही महात्मा ने नारद जी को देखा तो उन्होंने उत्सुक्ता वश पूछा कि आपने प्रभु से मेरा प्रश्न पूछा?

नारद जी ने कहा हे महात्मा! आप उसका उत्तर न ही सुने तो बेहतर होगा क्योंकि उत्तर बहुत दुखदायी है। परंतु महात्मा जी जिद्द करने लगे कि बताइए भगवान ने क्या कहा तो विवशता वश नारद जी ने कहा है कि दुखी मत होना परंतु प्रभु ने कहा है कि इस नीम वृक्ष में जितने पत्तें हैं उतने वर्ष बाद वे आपको दर्शन देंगे। 
PunjabKesari

ये सुनते ही महात्मा जी खुशी से नाचने लगे और जिसे देखकर नारद जी हैरान हो गए। उन्होंने महात्मा से कहा कहीं आप पागल तो नहीं हो गए। तो महात्मा ने कहा नहीं मैं तो आनंदमय हो गया हूं। 

उनकी बात सुनकर नारद जी ने कहा ये रोने का विषय है न की नाचने का। तब महात्मा बोले नारद जी ये नाचने का विषय है क्योंकि अब तो मुझे ये भी पता नहीं था कि प्रभु मुझे मिलेंगे या नहीं। लेकिन अब ये तय हो गया है कि वो मुझे मिलेंगे। 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Jyoti

Related News